शुक्रवार, 18 सितंबर 2015

गाय खाने वाले राक्षसों का विरोध पहले भी होता था और अब भी किया जाएगा !

"'वैदिक काल में गोश्त खाया जाना आम था तो अब क्यों हो रहा है विवाद' -BBC"
   किंतु उस समय में सभी लोग गोस्त नहीं खाते थे अन्यथा गोस्त खाने वालों को राक्षस क्यों कहा जाता था !क्योंकि गोस्त खाने वाले लोगों की बुद्धि तामसी हो जाती है और ये तामसी लोग समाज को दुःख देते थे माता पिता की सेवा नहीं करते थे रास्ते चलते बलात्कार का देते थे गरीबों का हक़ खा जाते थे सारे अत्याचार करते थे बिलकुल उसी तरह जैसे आज चल रहे हैं जैसे आज किसी भी पार्क या एकांत जगह में देखो लड़कियाँ चिपकी बैठी होती है लड़कों से !ऐसा ही राक्षसों के जवाने  में होता था सूर्पणखा ऐसे ही तो प्यार करने गई थी जैसे आज बाल खोल कर रहने लगी हैं माहिलाएं यही उस जवाने में होता था जैसे आज राक्षसों से महिलाओं की सुरक्षा करने की जरूरत समझी जाती है वैसे ही उस युग में भी होता था देखो गिद्धराज क्यों मारे गए क्यों हुआ राम रावण युद्ध ! महाभारत के युद्ध का कारण भी महिला ही बनी आज भी मुजपफर पर जैस बड़ा काण्ड भी तो इसी कारण से हुआ !!
    इसलिए वृद्धों की सेवा एवं महिलाओं की सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि मांसाहार पर रोक लगे !राक्षसों का काम मांसाहार का समर्थन करना है तो वो करें किंतु भले लोगों को सामाजिक सुरक्षा के लिए जारी रखना चाहिए मांसाहार विरोधी आंदोलन !अन्यथा ये पापी जिस दिन सारे पशु खा जाएँगे और मांसाहारियों को जिस दिन मांस नहीं मिलेगा उस दिन ये मनुष्यों को ही खाएँगे !क्योंकि जिसके दांतों में खून लग चुका है वो छोड़ देगा क्या !

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