शनिवार, 5 सितंबर 2015

हे कृष्ण ! ऐसी कृपाकरो कि फिर से साथ साथ पढ़ने और खेलने लगें कृष्ण और सुदामा !

ज्योतिरभ्यन्तरे नित्यं शरीरं श्याम सुन्दरम् । 
विराटप्रकाश पुंज में नित्य विराजते हैं भगवान श्रीकृष्ण !प्रभु आपको नित्य नमन !see more....http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/09/blog-post_5.html

हे माता यशोदे  !
 आपने कितने बड़े बड़े पुण्य किए होंगे कितने तीर्थों का सेवन किया होगा कितने महापुरुषों का आशीर्वाद लिया होगा जो आपको इतना बड़ा सौभाग्य मिला है !माते !जिन श्यामसुन्दर के रोमछिद्रों से बड़े बड़े समुद्र प्रकट हुए हैं उन माधव मुकुंद को आप अंजली भर पानी से नहला देती हैं धन्य हैं आप ! 'पाणिद्वयान्तर जलैः स्नपयाम्बभूव !' see more....http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/09/blog-post_5.html

 हे  श्याम सुन्दर ! आधुनिक राक्षस खाए जा रहे हैं आपकी दुलारी पिआरी गौएँ ! 
हे कन्हैया !जिन गायों की रक्षा के लिए धराधाम पर पधारे थे आप ! जिन गायों की सेवा करते रहे थे आप !जिन्हें चराने के लिए नंगे पाँव चलते रहे थे ब्रज भूमि में !हे माधव !वही गौएँ बूचड़ खानों में खड़ी जोह रही हैं आपके आगमन की बाट !हे माधव !बचा लो उन्हें न जाने किस क्षण उन्हें 'बीफ' बता कर खा जाएँ पापीराक्षस  !हे कन्हैया ! इन असुरों का संहार करो और बचा लो दुग्धमृत परोसने वाली गौमाताओं को !see more....http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/09/blog-post_5.html

हे कृपालु  कृष्ण !
    कौरवों के अत्याचारों से द्रोपदी की रक्षा की थी आपने ,कंसादि असुरों के अत्याचारों से गोपसुन्दरियों की रक्षा की थी आपने !किंतु आज बलात्कारियों के भय से भारत की गोपियाँ (कन्याएँ)भयभीत हैं आपके समय में तो जमुना पार करके एकांत स्थलों से गुजरती हुई चली दधि मक्खन बेचने चली जाया करती थीं गोपिकाएँ   किंतु आज तो बीच शहर में दिन दहाड़े हो रहे हैं सामूहिक बलात्कार !आज मटकनाथ जैसे शिक्षक स्वशिष्याओं का करने लगे हैं शीलहरण !ऐसे शिक्षक और शिष्य संबंधों के हत्यारों से बच्चियों को बचा लो कन्हैया !हे माधव !पधारो और रक्षा करो देश की कन्याओं की !see more....http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/09/blog-post_5.html
 हे माधव मुकुंद !
    नौ सौ दासियाँ होते हुए भी माता यशोदा ! अपने हाथ से ताजा मक्खन निकालकर  खिलाया करती थीं आपको(निर्ममंथ स्वयं दधि ) आज विलुप्त होते जा रहे हैं माताओं में वो दिव्य संस्कार ! अब मन के आँचल की छाँव बिरले भाग्यशाली बच्चों को ही मिल पा रही है बाकी तो जब आँचल ही नहीं रहेगा तो कैसे मिलेगी आँचल की छाँव ! बच्चे बिगडें तो बिगडें ,बच्चों का स्कूल छूटे तो छूटे किंतु ब्यूटीपार्लर न छूटे !न जाने किसे खुश करने के लालच में कराया जा रहा है त्वचालंकरण !  हे स्वामी कृष्ण !पधारो माता यशोदा के साथ और दिखादो दुनियाँ को कि अपने बच्चों  को कृष्ण बनाने के लिए कितनी तपस्या करनी पड़ती है माता यशोदा को !किसी सच्ची माँ का गौरव केवल अपना चर्म चमकाने से नहीं अपितु बच्चों को संस्कारी बनाने से बढ़ता है !see more....http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/09/blog-post_5.html

        हे द्वारिकाधीश कृष्ण !सुना है कि तुम और गरीब सुदामा एक ही साथ पढ़ते थे !किंतु अब सुदामा से घृणा करने लगे हैं कृष्ण !
    हे माधव !आज तो पापी प्रशासकों ने देश का बचपन बाँट दिया है आज गरीबों के लिए वे सरकारी स्कूल हैं जिनके अधिकाँश शिक्षक केवल सैलरी लेने के लिए प्रयोजन विहीन जीवन ढो रहे हैं !जबकि रईसों के लिए बातानुकूलित बड़े बड़े सुख सुविधा संपन्न स्कूल हैं ऐसी परिस्थिति में कोई कृष्ण किसी सुदामा का मित्र कैसे हो सकता है कैसे खेल सकता है साथ साथ ! सरकारी कर्मचारी हों या सरकारों में सम्मिलित मक्कार लोग वे गरीब सुदमाओं से आज इतनी घृणा करने लगे हैं कि ग़रीबों के बच्चों के शरीरों से अपने बच्चों के शरीर छूने नहीं देना चाहते हैं वे ! उन्हें भय है कि कहीं गरीब बच्चों के कुसंस्कार हमारे बच्चों में न आ जाएँ ! हे कन्हैया ! आपके देश में अब कोई आधुनिक कृष्ण गरीब ग्वालबालों के साथ न खेलने दिया जाता है और न पढ़ने !गरीबों के बच्चे ललचाया करते हैं आधुनिक कृष्णों को देख देख कर ! हे माधव !पधारो और देश का बचपन बँटने से बचा लो कन्हैया !मुक्त करालो रईसों के कारागारों में सजा भोग रही आधुनिक शिक्षा व्यवस्था को ! हे स्वामी ! ऐसी कृपाकरो कि अपने दुलारे भारत में फिर से साथ साथ पढ़ने और खेलने लगें कृष्ण और सुदामा !फिर से हो एक नए युग का निर्माण !see more....http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/09/blog-post_5.html
     हे कृष्ण ! आपका दिव्य प्रेम अमर है !
      हे कन्हैया !  आपकी दिव्य लीलाओं से  आजकल कामी लोग अपने छिछोरेपन की तुलना करने लगे हैं ये मूत्रता(सेक्स) के लिए मरने वाली कौम अपने को श्री राधाकृष्ण प्रेम के रूप में स्थापित करने का असफल प्रयास कर रही है ! हे माधव !इन बेचारों को नहीं पता है कि प्रेम करने से पूर्व निजी सुखों की चाहत छोड़नी पड़ती है और जीना होता है केवल अपने प्रेमास्पद को सुख पहुँचाने की भावना से तभी तो इतने लम्बे समय तक श्रीकृष्ण वियोगव्रत का निर्वाह कर सकी थीं श्री किशोरी जी अन्यथा वर्तमान में प्रचलित आधुनिक छिछोरे प्रेमी प्रेमिकाओं में कहाँ होती है इतनी समाई !  वो तो सुसाइड नोट लिखकर कब के लटक गए होते ! इसलिए  हे माधव ! पधारो फिर एक बार और गन्दगी में गोते लगाने वाले इन प्रेम पाखंडियों को दिखा दो एक बार कि पवित्र प्रेम होता कैसा है !see more....http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/09/blog-post_5.html



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