शुक्रवार, 3 नवंबर 2023

वायुप्रदूषण की समस्या

राहुलगाँधी नहीं बन सकते प्रधानमंत्री ! यदि बन भी जाएँ पूरा नहीं कर पाएँगे कार्यकाल !-ज्योतिष 

      राहुलगाँधी जी के नाम का पहला अक्षर र है इसलिए वे स्वयं के बलपर प्रधानमंत्री  नहीं बन सकते यदि बन भी जाएँ तो टिकेंगे नहीं !
    यदि पार्टी या गठबंधन के लोग अपने अपने बलपर चुनाव जीतकर आवें और राहुलगाँधी जी को प्रधानमंत्री बना दें राहुलगाँधी का प्रधानमंत्री बन पाना तभी संभव  है,अन्यथा नहीं !इसका भी है कारण !
    वस्तुतः जिस व्यक्ति के नाम का पहला अक्षर र होता है उसके साथ ऐसा ही होता है |
  र अक्षर वाले राम जी खुद राजा नहीं बन पाए उन्हें भरत जी ने राजा बनाया था  |
  र अक्षर वाला रावण कुबेर के राज्य से राजा बना !
      ऐसे ही वर्तमान राजनीति में देखा जाए तो---------
    राजीव गाँधी जी को इंद्रा जी हत्या से दुखी जनता ने प्रधानमंत्री बनाया था | 
    रावड़ी देवी जी को लालू प्रसाद जी ने मुख्यमंत्री बनाया था !
    रघुबर दास जी मोदी लहर में मुख्यमंत्री  बने थे |
    ऐसे ही कोई व्यक्ति या संगठन अपने नाम पर बहुमत प्राप्त करके राहुलगाँधी जी को भी प्रधानमंत्री बना  सकता है | 
 आप स्वयं देखिए र अक्षर वाले ऐसे मुख्यमंत्रियों की लंबी सूची !जो मुख्यमंत्री बनकर भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए -

 उत्तरप्रदेश में र अक्षर वाले राम नरेश यादव,रामप्रकाश गुप्त,और राजनाथ सिंह जी तीन मुख्यमंत्री हुए तीनों अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए !
 मध्य प्रदेश में र अक्षर वाले रविशंकर शुक्ल जी मुख्यमंत्री बने किंतु कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए -
 बिहार में र अक्षर वाले राम सुंदर दास जी मुख्यमंत्री बने किंतु कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए !
 पंजाब
में र अक्षर वाले रामकिशन एवं रजिंदर कौर भट्टल दो मुख्यमंत्री बने किंतु कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए !
 उड़ीसा में
र अक्षर वाले राजेंद्र नारायण सिंह देव मुख्यमंत्री बने किंतु कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए ! केरल में र अक्षर वाले आर. शंकर मुख्यमंत्री बने किंतु कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए !

उत्तराखंड में र अक्षर वाले रमेश पोखरियाल निशंक मुख्यमंत्री बने किंतु कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए ! 

गोवा में र अक्षर वाले रविनाइक जी मुख्यमंत्री बने किंतु कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए !                             कर्णाटक में र अक्षर वाले रामकृष्णहेगड़े मुख्यमंत्री बने किंतु कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए ! 

मणिपुर में र अक्षर वाले रणवीरसिंह एवं राधाविनोदकोईझाम दो मुख्यमंत्री बने किंतु कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए त्रिपुरा  में र अक्षर वाले राधिकारंजनगुप्ता मुख्यमंत्री बने किंतु कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए !

  इसके अतिरिक्त बिहार में रावड़ी देवी जी को लालू प्रसाद जी ने मुख्यमंत्री बनवाया था !

   झारखंड  में  रघुबर दास जी मोदी लहर में मुख्यमंत्री  बने थे | 
   छत्तीसगढ़  में डॉ.रमन सिंह जी के नाम के पहले डॉक्टर लगने  से र अक्षर का प्रभाव कम रहा | 
      इसके अलावा दिल्ली, जम्मूकश्मीर, सिक्किम, तेलंगाना, तमिलनाडु, राजस्थान, नागालैंड, मेघालय, मिजोरम, गुजरात, असम, अरुणाचल, पश्चिम बंगाल, हिमाचल, हरियाणा, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश आदि में र अक्षर वाला कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री बन ही नहीं पाया !
   कुल मिलाकर  विश्व के बहुत कम देशों प्रदेशों में र अक्षर वाले लोग सत्ता के प्रमुख पदों तक पहुँच कर अपना कार्यकाल पूरा कर पाए हैं | ऐसी स्थिति में राहुलगाँधी जी भी तो र अक्षर वाले ही हैं वे भी स्वयं के बलपर प्रधानमंत्री  नहीं बन सकते यदि बन भी जाएँ तो वे भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएँगे ! राहुल गाँधी जी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए अपने नाम एवं काम में कुछ आवश्यक बदलाव करने होंगे !जिसके लिए हमारे यहाँ से परामर्श लिया जा सकता है | 

      यदि आपके यहाँ भी किसी व्यक्ति का नाम र अक्षर से प्रारंभ होता है तो आप भी हमारे यहाँ से पता कीजिए कि कैसा परिवार या व्यापार के अन्य सदस्यों के साथ उसका व्यवहार !!

 

 

 

 

 

 

 

 

 

   

महोदय नमस्कार    

    श्रीमान जी !मैंने BHU से पीएचडी की है | और पिछले तीस वर्षों से भारत के प्राचीन विज्ञान के आधार पर मैं वर्षा आँधी तूफ़ान आदि प्राकृतिक घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाता आ रहा हूँ | महामारी एवं उसकी लहरों के विषय में पूर्वानुमाल लगाता रहा हूँ | उसी गणित विज्ञान के आधार पर वायु प्रदूषण के विषय में भी पूर्वानुमान लगाकर अपने सभी पूर्वानुमानों की तरह ये भी प्रधानमंत्री जी की मेल पर 23 जुलाई को ही  भेज दिए थे | ये अनुभव में सही होते हैं इस लिए ये जनहित में काफी उपयोगी हैं किंतु सरकार इन्हें इस लिए नहीं स्वीकार कर रही है क्योंकि  प्राचीन गणित विज्ञान को विज्ञान की श्रेणी में नहीं रखा गया है | इससे जनहित बाधित हो रहा है क्योंकि आधुनिक विज्ञान के द्वारा भविष्य में झाँकना संभव नहीं है | इसलिए यह गणित विज्ञान समाज के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है | इस विषय में जनहित याचिका लगाने हेतु आपसे मदद की अपेक्षा है | जिसके लिए आर्थिक सेवा अधिक कर पाना मेरे लिए संभव नहीं है |  



        निवेदक        

डॉ. शेष नारायण वाजपेयी  

  A -7\41,कृष्णा नगर ,दिल्ली -51 

मोबाईल -9811226983   


 भूकंप - अयोध्या में 4\5-11-2023 को रात्रि 1 बजे तीव्रता 3.6 का भूकंप

                                    वायुप्रदूषण बढ़ने का कारण और पूर्वानुमान !

     चिकित्सा विशेषज्ञों के द्वारा समय समय पर बताया जाता है कि वायुप्रदूषण का स्तर बढ़ने से हृदय रोग का जोखिम काफी अधिक बढ़ जाता है| इस रोग के कारण हृदय, मस्तिष्क और अन्य अंगों को ऑक्सीजन की निरंतर आपूर्ति बाधित होती है|जिससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है.प्रदूषण के कारण फेफड़ों का कैंसर या स्किन कैंसर जैसे भयंकर रोगों के पैदा होने की आशंका रहती है | कोरोनामहामारी जनित संक्रमण बढ़ने के लिए भी वायु प्रदूषण को जिम्मेदार माना जा रहा था | | 

    कुलमिलाकर  वायुप्रदूषण को स्वास्थ्य के लिए खतरनाक मानकर ही तो इससे समाज को सुरक्षित बचाने के लिए तरह तरह के अनुसंधान किए जाते हैं जिनपर खर्च होने वाली धनराशि में जनता भी अपनी सहभागिता का प्रसन्नतापूर्वक निर्वहन करती है | इसके बाद भी जनता को उसी प्रदूषित हवा में साँस लेना पड़ता है जिससे हृदयरोग, फेफड़ों का कैंसर,स्किन कैंसर जैसे भयंकर रोगों के पैदा होने की आशंका जताई जाती है |

     ऐसी बातों से डरा सहमा समाज अपने बचाव के लिए ऐसा क्या कर सकता है जिससे या तो वायुप्रदूषण मुक्त वातावरण बने या फिर वायुप्रदूषण  का इतना अधिक दुष्प्रभाव मनुष्यों के स्वास्थ्य पर हो ही न | इसके लिए समाज को क्या करना है और वैज्ञानिक अनुसंधानों से ऐसी क्या मदद मिल सकेगी !जिससे या तो वायु प्रदूषण न बढ़े ढे और यदि बढ़े भी तो उसके  दुष्प्रभाव से समाज को सुरक्षित बचाया जा सके |लक्ष्य तो मनुष्यों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना ही है |

     धुआँ और धूल के बढ़ने से ही वायु प्रदूषण बढ़ता है | ये एक आशंका है अंदाजा है या इसका  अनुसंधान जनित कोई ऐसा तर्कसंगत वैज्ञानिक आधार नहीं है जिसके आधार पर विश्वास पूर्वक यह कहा जा सके कि यदि ऐसा ऐसा करना छोड़ दिया जाए तो वायु प्रदूषण नहीं बढ़ेगा |इसके बाद भी वायु प्रदूषण बढ़ने पर जिन कार्यों को वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार माना जाता है उन्हें रोक देने की बात कही जाती है,किंतु किंतु वाहनों उद्योगों या ईंट भट्ठों को हमेशा के लिए रोककर नहीं  रखा जा सकता है,क्योंकि मनुष्यजीवन के सफल संचालन में उनकी भी बड़ी भूमिका है |

    इसलिए ऐसे कार्यों को तो समाज उतने समय के लिए ही रोक सकता है जब वायु प्रदूषण बढ़ने के विषय में पहले से पता लग जाए !किंतु इसके लिए वायुप्रदूषण बढ़ेगा कब ये वैज्ञानिकों को पहले से बताना पड़ेगा !इस समस्या में वैज्ञानिकों की यही तो भूमिका है | वायुप्रदूषण बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए क्या अभी तक कोई प्रभावी तकनीक विकसित की जा सकी है? यदि हाँ तब तो ठीक है और यदि नहीं तब दूसरा प्रश्न यह भी खड़ा होता है कि धुआँ और धूल के बढ़ने से वायुप्रदूषण बढ़ने की आशंका जो जताई जा रही है | उसमें सच्चाई है भी या नहीं यह पता कैसे लगे केवल आशंका के आधार पर धुआँ धूल बढ़ाने वाले करोड़ों लोगों के कामों को रोककर बैठ जाना इसलिए उचित नहीं है क्योंकि समाज एक ओर तो वायु प्रदूषण से परेशान होता ही है दूसरी ओर बिना किसी ठोस कारण के उसी का काम बंद करवा दिया जाए | इसकेलिए वायुप्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार कारण खोजना एवं वायुप्रदूषण बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान लगाना यदि संभव नहीं हो सका है तो  वायु प्रदूषण संबंधी समस्या के समाधान में वैज्ञानिक अनुसंधानों की और दूसरी भूमिका क्या हो सकती है |

    ऐसी स्थिति में यदि जीवन ही सुरक्षित नहीं रहेगा वैज्ञानिकों के द्वारा खोजी गई बहुत सारी सुख सुविधा की चीजों का उपयोग कौन करेगा | वैज्ञानिकों के द्वारा विकास के लिए किया गया अभी तक का संपूर्णपरिश्रम मनुष्य के किस काम आ पाएगा |

   इसलिए वैज्ञानिकों सरकारों एवं समाज के प्रयास से मनुष्य जीवन को सुरक्षित बचाया जाना सबसे पहले आवश्यक है|ऐसा करने के लिए प्रदूषणमुक्त वातावरण बनाए रखने के लिए कुछ ठोस कदम सही दिशा में उठाए जाएँ | वायुप्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार उन वास्तविक कारणों को खोजा जाए जिन पर अंकुश लगाने से प्रदूषणमुक्त वातावरण बनाने में मदद मिल सके |   

    सामान्यतौर पर देखने सोचने से तो यही लगता है कि प्रदूषित गैसें, धूल, गंदगी, पराग, कालिख, वायरस आदि हवा को दूषित कर देते होंगे |ऐसा होता भी होगा, किंतु ऐसे कारण तो प्रायः हमेंशा रहते  हैं इसलिए वायुप्रदूषण भी लगभग हमेंशा ही एक जैसा रहना चाहिए |वर्षा आदि होने पर कम हों तब तो बात समझ में आती है किंतु एक ही समय पर एक जैसी संपूर्ण परिस्थितियाँ रहने पर भी वायु प्रदूषण का अधिक बढ़ने या कम होने का कारण समझ में नहीं आता है | ऐसा होते कई बार अनुभव किया जाता है | 

     इसे देखकर ऐसा लगता है कि वायु प्रदूषण बढ़ना भी आँधी तूफानों वर्षा बाढ़ या भूकंप आदि की तरह कोई प्राकृतिक घटना ही तो नहीं है | जो अपने समय से ही घटित होती हो उसी में प्रदूषित गैसें, धूल, गंदगी, पराग, कालिख, वायरस आदि सहायक हो जाती हों,सीधी तौर पर ऐसी घटनाएँ वायुप्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार न हों | सर्दी गर्मी वर्षा आदि के लिए जैसे ऋतुकाल होता है वैसा इसके लिए भी समय निश्चित हो |जैसे सर्दी में भी किसी दिन सर्दी बहुत अधिक होती है और किसी दिन कम ऐसा ही गर्मी और वर्षा आदि ऋतुओं के विषय में देखा जाता है | ऐसे ही वायु प्रदूषण भी अपनी ऋतु में ही बढ़ता हो !जैसे दूसरी ऋतुओं में भी किसी किसी दिन वर्षा हो जाती है | ऐसे ही दूसरी ऋतुओं में भी किसी किसी दिन वायु प्रदूषण बढ़ जाता हो | कहीं वायु प्रदूषण बढ़ने घटने की घटना भी प्राकृतिक ही तो नहीं है| अति प्राचीन पौराणिक इतिहास में भी वायुप्रदूषण बढ़ने का वर्णन मिलता है|उस समय तो उद्योगों या वाहनों से धुआँ निकलना कारण नहीं था |  

    इसलिए वायुप्रदूषण बढ़ने के लिए केवल  बिचार से मैंने उसी वैदिक विज्ञान के द्वारा वायुप्रदूषण बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान लगाने का निश्चय किया है जिसके आधार पर पिछले कुछ दशकों से वर्षा आँधी तूफ़ान यहाँ तक कि महामारी एवं उसकी लहरों के विषय में भी पूर्वानुमान लगाता आ रहा हूँ जो प्रायः सही निकलते रहे हैं|

    वैदिकविज्ञान के आधार पर पिछले कई वर्षों से ऐसी अधिकाँश प्राकृतिक घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाकर मैं पीएमओ की मेल पर आगे से आगे भेजता आ रहा हूँ | इसी क्रम में प्रत्येक महीने में वायुप्रदूषण बढ़ने के विषय के पूर्वानुमान भी पीएमओ की मेल पर भेज रहा हूँ |जो सही निकल रहे हैं |इस वर्ष में वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए भी जो पूर्वानुमान भेजे गए थे वे भी सही निकल रहे हैं | वह मेल अभी भी सुरक्षित है |
    विशेष बात यह है कि हमारे द्वारा लगाए गए पूर्वानुमानों का आधार विशुद्ध रूप से गणित संबंधी है | ऐसे पूर्वानुमान लगाने की प्रक्रिया में धुआँ धूल आदि प्रत्यक्ष कारणों को कहीं सम्मिलित नहीं किया गया है | यदि ये आगे भी सही निकलते हैं तो ऐसे पूर्वानुमान महीनों वर्षों पहले लगाए जा सकते हैं |जिनके सहयोग से  वायुप्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु आगे से आगे सावधानी बरती जा सकती है | सही पूर्वानुमान पता लग जाने से ऐसा समय आने से पूर्व समाज स्वयं भी संयम बरत सकता है | 

     


 

 नेपाल में भूकंप के 13 झटके, 157 दर्दनाक मौतें वीडियो में देखें ताज़ा अपडेट

भूकंप के कई भीषण झटके भारत और नेपाल में महसूस हो चुके है. बात अगर नेपाल की करें, तो पिछले 24 घंटों में भूकंप के 13 झटके महसूस किए जा चुके है. नेपाल में भूकंप की तीव्रता 6.4 रही. भूंकप की वजह से 157 लोगों की मौत हो गई है. तो वहीं भारत के कई उत्तरी राज्यों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए है.

 जब वायु प्रदूषण हर वर्ष बढ़ने लगा हो अक्टूबर से लेकर फरवरी मार्च तक

 

वायुप्रदूषण बढ़ने के विषय में सबसे बड़ा रिसर्च !

 
               जो काम विज्ञान नहीं कर सका वो काम किया गया है  रिसर्च में - आप स्वयं देखिए -
    वायुप्रदूषण कुछ देशों प्रदेशों में अधिक बढ़ता है और कुछ में कम ! इससे लगता है कि वायुप्रदूषण बढ़ने का कारण भौगोलिक  होते हैं |
     इसी प्रकार से किसी एक ही स्थान पर लगभग एक ही प्रकार की परिस्थितियों में ,एक ही दशक के कुछ वर्षों, महीनों या कुछ दिनों  में वायुप्रदूषण अधिक बढ़ता है तो कुछ वर्षों, महीनों दिनों  में कम बढ़ता है ! कभी कभी तो एक ही सप्ताह के कुछ दिनों में वायु प्रदूषण बढ़ा रहता है और कुछ दिनों कम !यह सब देखकर लगता है कि वायुप्रदूषण बढ़ने घटने का  कारण  समय संबंधी है |
    वायु प्रदूषण यदि सर्दी में बढ़े तो हवाएँ धीरे चलने को एवं गर्मी  में बढ़े तो तेज हवाओं के साथ धूल उड़ने को वायुप्रदूषण बढ़ने का कारण मान लिया जाता है | दीपावली के समय वायु प्रदूषण  बढ़े तो पटाखों के धुएँ को और धान काटने के  समय बढ़े तो पराली के धुएँ को इसके लिए जिम्मेदार मान लिया जाता है | इसके अलावा भी यदि वायुप्रदूषण कभी भी बढ़ने लगे तो उद्योगों वाहनों ईंटभट्ठों एवं  निर्माण कार्यों से उड़ने वाले धुएँ धूल आदि को वायुप्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार मान लिया जाता है,क्योंकि ये लगभग  पूरे वर्ष ही चला करते हैं |
 

      इसमें विशेष बात यह है कि
 वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए धुआँ धूल उड़ाने वाले संपूर्ण कार्यों को वायु प्रदूषण बढ़ने का कारण मान लिया जाता है ,
वायुप्रदूषण बढ़ने के लिए ये सब कारण जिम्मेदार हो सकते हैं ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है किंतु इन सबके पीछे आधारभूत कोई तर्कसंगत सही उत्तर वैज्ञानिकों के द्वारा अभी तक नहीं दिया जा सका है | 
      इसके बाद भी वायु प्रदूषण बढ़ जाने पर इसके बढ़ने के लिए जिम्मेदार वास्तविक कारण खोजे बिना कार्यवाही के नाम पर धुआँ धूल उड़ाने वाले कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है आखिर क्यों ?
     जनता के द्वारा दिए गए टैक्स के पैसे जिन वैज्ञानिकों की सैलरी एवं ऐसे अनुसंधान कार्यों पर खर्च किए जाते हैं | उनसे यदि वायुप्रदूषण बढ़ने का वास्तविक कारण खोजना एवं इसके विषय में पूर्वानुमान लगाना भी यदि संभव  पाया है तो अनुसंधानों से सरकारें समाज को आखिर ऐसी कौन सुविधा पहुँचा पाती हैं जो उन अनुसंधानों के बिना संभव नहीं है | 
    ऐसे सभी काल्पनिक कारणों से अलग मैंने एक ऐसा वायुप्रदूषण विज्ञान खोजा है जिसके आधार पर धुएँ धूल उड़ाने वाले कारणों को सम्मिलित किए बिना भी  वायुप्रदूषण संबंधी सही पूर्वानुमान लगा लिया जाता है | आप स्वयं देखिए और मिलान कीजिए - 23 जुलाई 2023 को प्रधानमंत्री जी को भेजी गई यह मेल -
 

कोई टिप्पणी नहीं: