संस्थान के बारे में : राजेश्वरी
प्राच्यविद्या शोधसंस्थान दिल्ली स्थित एक अनुसंधान संस्थान है |इसकी
स्थापना वैसे तो सन 1992 में हो गई थी,किंतु पंजीकृत सन 2012 में हुआ था
|हमारे संस्थान का उद्देश्य समस्यामुक्त सुखशांति युक्त स्वस्थ समाज का
निर्माण करना है|इसी लक्ष्य को लेकर अनुसंधानकार्य किए जा रहे हैं | इसमें
आयुर्वेद विज्ञान,स्वरविज्ञान,ज्योतिषविज्ञान,जीवजंतुविज्ञान एवं
बनस्पतिविज्ञान के साथ साथ पृथ्वी से लेकर आकाश तक में हमेंशा होते रहने
वाले प्रकृति परिवर्तनों का भी अध्ययन एवं अनुसंधान करना होता है |प्रकृति
में वर्तमान समय में घटित हो रही कोई एक प्राकृतिक घटना भविष्य में घटित
होने वाली किसी दूसरी घटना के विषय में सूचना दे रही होती है | इसलिए भावी
अनुसंधानों के लिए ऐसी प्राकृतिक घटनाओं का संग्रह करके रखना होता है |
प्राचीन विज्ञान के आधार पर प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने के लिए
जिम्मेदार वास्तविक कारण खोजने हेतु अनुसंधान किया जाता है | इसके साथ ही
साथ आकस्मिक रूप घटित होने वाली भूकंप आँधीतूफ़ान बज्रपात चक्रवात वर्षा
,बाढ़ एवं महामारी जैसी प्राकृतिक घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाने के
लिए भी अनुसंधान कार्य किया जा रहा है | गणितविज्ञान के साथ ही साथ समय
समय पर उभरने वाले प्राकृतिक संकेतों के आधार पर अनुसंधान पूर्वक यह पता
लगाया जाता है कि भूकंप आँधीतूफ़ान बज्रपात चक्रवात वर्षा ,बाढ़ एवं महामारी
जैसी घटनाओं को टालना या इनके वेग को कम किया जाना संभव नहीं है|इसलिए ऐसी
आपदाओं से मनुष्य जीवन को सुरक्षित बचाकर रखने हेतु सफल अनुसंधान करने के
लिए हमारा संस्थान कृत संकल्प है |
सही पूर्वानुमानों को खोजने के लिए किए जा रहे हैं अनुसंधान -
सृष्टि के प्रारंभिक काल की यदि कल्पना की जाए तो उस समय मनुष्य प्रकृति
की प्रत्येक घटना से अपरिचित रहा होगा | उस समय उसे सर्दी गर्मी वर्षा आदि
ऋतुओं के आने जाने का क्रम एवं उनके रहने का समय प्रभाव आदि जब पता नहीं
रहता रहा होगा | ऋतु संबंधी घटनाओं से परिचित न होने के कारण उस समय सर्दी
गर्मी वर्षा आदि ऋतुएँ भी किसी आपदा से कम नहीं लगती रही होंगी, अब वही
सर्दी गर्मी आदि ऋतुएँ आती हैं अपना अपना प्रभाव भी छोड़ती हैं,लेकिन उनसे
किसी को भय नहीं होता है ,क्योंकि लोगों को उनके आने के विषय में पहले से
पता होता है |
इसी प्रकार से भूकंप आँधीतूफ़ान बज्रपात चक्रवात वर्षा ,बाढ़ एवं महामारी
जैसी जो घटनाएँ अचानक घटित हुई सी लगती हैं |उनमें नुक्सान भी अधिक होता है
| इसीलिए उनसे हमेंशा डर लगा रहता है कि ऐसी घटनाएँ न जाने कब घटित होने
लगें |यदि इनके घटित होने के विषय में पहले से पता लगाया जाना संभव हो जाए
कि कब कौन घटना घटित होगी ,तो ऐसी घटनाओं के विषय में लोगों का डर तो
बहुत कम हो ही जाएगा | इसके साथ ही ऐसी घटनाओं में जनधन की हानि भी बहुत कम
होगी |
पूर्वानुमान पता लगते ही शुरू होगा समाधान !
सृष्टि के प्रारंभिक काल में पहले से जानकारी के अभाव में सर्दी गर्मी
वर्षा आदि ऋतुएँ किसी प्राकृतिक आपदा से कम नहीं लगती होंगी !ऋतुजनित ऐसी
घटनाओं के समय में भी ऋतुओं का प्रभाव सहना बड़ा कठिन होता होगा | अधिक
सर्दी गर्मी वर्षात से पीड़ित बहुत लोग रोगी होकर मृत्यु का शिकार हो जाते
होंगे | सर्दी गर्मी वर्षात के आने जाने का क्रम एवं उनके रहने का समय
प्रभाव आदि जबसे पता लगा तब से उन्हीं ऋतुओं के प्रभाव से लोग उस प्रकार से
रोगी नहीं होते हैं | ऋतुओं के प्रभाव से बचाव की तैयारियाँ आगे से आगे
करके रख लिया करते हैं |अब वही सर्दी गर्मी वर्षा आदि ऋतुएँ आती हैं अपना
अपना प्रभाव भी छोड़ती हैं,लेकिन उनसे किसी को भय इसलिए नहीं होता है
,क्योंकि लोगों को उनके आने के विषय में पहले से पता होता है | जिनसे बचाव
की तैयारियाँ उन्होंने पहले से ही करके रख ली होती हैं | जिससे भीषण सर्दी
,गर्मी एवं वर्षा आदि के दुष्प्रभावों से यथा संभव बचाव हो जाता है |
ऐसे ही भूकंप आँधीतूफ़ान बज्रपात चक्रवात वर्षा ,बाढ़ एवं महामारी जैसी जो
घटनाओं के विषय में सही पूर्वानुमान लगाना यदि संभव हो जाए और उसी के
अनुशार बचाव के लिए पहले से तैयारियाँ करके रख ली जाएँ तो ऐसी प्राकृतिक
आपदाओं से भी जनधन का उतना नुक्सान नहीं होगा जितना अभी होता है |
विज्ञान के अभाव में बढ़ती जा रही हैं समस्याएँ
भूकंप आँधीतूफ़ान बज्रपात चक्रवात वर्षा ,बाढ़ एवं महामारी जैसी घटनाओं से
बचाव के लिए जो तैयारियाँ पहले से करके रखनी होती हैं या जो जो अग्रिम
सावधानियाँ बरतनी होती हैं | ये सब करने के लिए ऐसी घटनाओं के विषय में
पहले से पूर्वानुमान पता होने की आवश्यकता होती है |
किसी भी घटना के विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए किसी ऐसे विज्ञान की
आवश्यकता होती है | जिसके द्वारा भविष्य को देखना संभव हो | इसके बिना
भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं को देखा जाना कैसे संभव है |भविष्य में
झाँकने ऐसा विज्ञान कोई विज्ञान ही नहीं है जिससे पूर्वानुमान लगाया जाना
संभव हो |प्राचीन काल में गणित विज्ञान के द्वारा बहुत सारी घटनाओं के
विषय में पूर्वानुमान लगा लिया जाता था | उसी गणित विज्ञान एवं कुछ अन्य
प्राकृतिकसंकेतों के आधार पर पूर्वानुमान लगाने के लिए हमारे यहॉंअनुसंधान
कार्य किए जा रहे हैं |
आवश्यक गणित का प्रबंध भी संस्थान में ही है !
भूकंप आँधीतूफ़ान बज्रपात चक्रवात वर्षा -बाढ़ एवं महामारी जैसी घटनाओं के
विषय में गणितविज्ञान के द्वारा अनुसंधान पूर्वक पूर्वानुमान लगाया जाना
यदि संभव भी हो जाए तो भी प्राचीन गणित विज्ञान के इतने सुयोग्य विद्वानों
की बहुत कमी है |जो ऐसी सटीक गणित करने में सक्षम हों जिससे प्राकृतिक
आपदाओं या घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाना संभव हो | संस्कृत और
ज्योतिष की निरंतर उपेक्षा होने के कारण कोई अपने बच्चे को ऐसे विषय पढ़ाना
ही नहीं चाहता है | ऐसी स्थिति में गणित ज्योतिष जैसे विषयों के विद्वान
कहाँ से लाए जाएँ !संस्कृत विश्व विद्यालयों में ऐसे विषयों के अध्यापन
के लिए नियुक्त शिक्षकों में से किसी के द्वारा कोई ऐसा अनुसंधान नहीं किया
जा सका जिससे पिछले दस वर्षों में घटित हुई भूकंप आँधीतूफ़ान बज्रपात
चक्रवात वर्षा -बाढ़ एवं महामारी जैसी किसी घटना के विषय में कोई
पूर्वानुमान बताया जा सका हो |ऐसी स्थिति में वहाँ से पढ़लिखकर ऐसे
गणितवैज्ञानिक कैसे तैयार किए जा सकते हैं जो भूकंप आँधीतूफ़ान बज्रपात
चक्रवात वर्षा -बाढ़ एवं महामारी जैसी घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाकर
समाज की मदद करने में सक्षम होंगे |
ऐसी परिस्थिति में प्रकृत्तिक घटनाओं के विषय में सही सटीक पूर्वानुमान
लगाने हेतु अनुसंधानों के लिए आवश्यक गणित संबंधी कार्य भी यथा संभव
संस्थान में किए जा रहे हैं |इस गणित के आधार पर लगाए जा रहे पूर्वानुमान
सही घटित हो रहे हैं |
प्राकृतिक आपदाओं पर अंकुश लगाया जाना संभव है क्या ?
शास्त्रों में ऐसी अनेकों वैज्ञानिक विधाओं का वर्णन मिलता है जिसके
द्वारा प्राकृतिक आपदाओं पर अंकुश लगाने की बातें कही गई हैं | ऐसी बातें
विद्वानों के द्वारा बार बार दोहराई भी जाती रही हैं, किंतु जब किसी भी
प्रकार की प्राकृतिक आपदा घटित होती है तब ऐसे प्रयोगों से समाज को लाभ
पहुँचाना संभव नहीं हो पाता है | महामारी के समय में भी ऐसा कोई सटीक
प्रयोग सामने नहीं लाया जा सका जिसके द्वारा समाज को कुछ मदद मिल सकी होती
!इससे यह संशय होना स्वाभाविक ही है कि शास्त्रों में वर्णित ऐसी विधाओं
सच्चाई नहीं है या फिर सच्चाई है किंतु ये उस प्रकार से किए नहीं जा पा रहे
हैं जैसे किए जाने चाहिए थे |
ऐसे उपायों के परीक्षण के लिए हमारे संस्थान में कुछ प्राकृतिक आपदाओं के
निवारण के लिए जो शास्त्रीय प्रयोग किए गए वो सही सटीक निकले हैं उनसे
महामारी से जूझती जनता को काफी मदद मिली है | अभी तो ये प्रयोग के तौर पर
किए गए हैं इन्हें अत्यंत बृहद स्तर पर किए जाने की आवश्यकता है | संस्थान
को द्वारा भविष्य में बड़े स्तर पर ऐसे प्रयोग किए जाने की योजना है |
प्राकृतिक आपदाएँ और मनुष्यजीवन की समस्याओं से संबंधित अनुसंधान -
जीवन को लेकर बहुत ऐसे प्रश्न उठते हैं जिनका उत्तर मिलना बहुत कठिन होता
है | ऐसे ही जीवन में बहुत सारी ऐसी समस्याएँ होती हैं जिनका समाधान निकाला
जाना बहुत कठिन होता है | मनुष्यजीवन को सुखी स्वस्थ सुख सुविधा युक्त
समस्यामुक्त रखने का लक्ष्य लेकर हमारे संस्थान में विविध प्रकार के
अनुसंधान किए जा रहे हैं |
भूकंप आँधीतूफ़ान बज्रपात चक्रवात वर्षा ,बाढ़ एवं महामारी जैसी घटनाओं के
घटित होने में जो लोग घायल या रोगी होते हैं या जिनकी मृत्यु होती है |उनके
साथ ऐसा होना ही होता है ,या प्रयत्न पूर्वक इनकी चपेट में आने से बचा भी
जा सकता है | उनके घायल होने,रोगी होने या उनकी मृत्यु होने को मनुष्यकृत
प्रयत्नों से टाला जाना कितना संभव है ! ऐसी घटनाओं में जिनकी मृत्यु होती
है उस मृत्यु के लिए ऐसी घटनाएँ जिम्मेदार होती हैं या वह मनुष्य जिसकी
मृत्यु हुई होती है अथवा उसकी मृत्यु का समय ही पूरा हो चुका होता है |यह
पता करने के लिए भी हमारे यहॉं अनुसंधान किया जाता है |
जीवन में अनेकों प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है |उन समस्याओं
का तनाव उस व्यक्ति को होना निश्चित होता है या प्रयत्न पूर्वक उससे बचा भी
जा सकता है ?ऐसे ही जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में जिस लक्ष्य की लालषा से
प्रयत्न प्रारंभ किया जाता है | उसमें यदि सफलता नहीं मिलती है तो तनाव
होता ही है | ऐसे समय में उस व्यक्ति को तनाव मिलना ही था या सफलता न मिलने
के कारण तनाव मिला है !वह व्यक्ति यदि चाहता तो ऐसे तनाव से बचा जाना संभव
था क्या ?यह खोजने के लिए भी हमारे यहॉँ अनुसंधान किए जाते हैं |
कुछ लोग अस्वस्थ होते हैं समय से चिकित्सा न मिल पाने के बाद उनकी मृत्यु
हो जाती है | सामान्य रूप से इसका कारण समय से चिकित्सा न मिल पाने को माना
जाता है,किंतु समय से चिकित्सा होने पर क्या मृत्यु को टालना संभव हो
जाता ?ऐसे प्रश्नों के उत्तर भी अनुसंधान पूर्वक खोजे जा रहे हैं |
जीवन में बहुत लोगों के साथ संबंध बनाकर जीना पड़ता है समय समय पर कुछ
संबंध बनते बिगड़ते रहते हैं | ऐसा होने का कारण क्या है |ऐसे संबंधों को
बिगड़ने से रोका जा सकता है क्या या कि उन्हें बिगड़ना ही होता है |यह पता
करने के लिए अनुसंधानों को आगे बढ़ाया जा रहा है !
संस्थान के उद्देश्य :
भूकंप आँधीतूफ़ान बज्रपात चक्रवात वर्षा ,बाढ़ एवं महामारी जैसे संकटपूर्ण
समय में समाज को सुरक्षित बचाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है |इनमें में
जन धन का नुक्सान बिल्कुल न हो या कम से कम हो, इसके लिए ऐसी घटनाओं के
विषय में पहले से पता लगाना आवश्यक होता है | ऐसा किया जाना तभी संभव है
जब भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं के विषय में पहले से पता लगाने के लिए
ऐसा कोई सक्षम भविष्यविज्ञान हो | जिसके द्वारा भविष्य में घटित होने वाली
घटनाओं को पहले से देख लेने की कोई वैज्ञानिक प्रक्रिया हो !हमारा लक्ष्य
प्राचीन विज्ञान संबंधी अपने अनुसंधानों के द्वारा उस वैज्ञानिक पद्धति को
खोजना है जिसके द्वारा भविष्य में घटित होने वाली भूकंप आँधीतूफ़ान बज्रपात
चक्रवात वर्षा,बाढ़ एवं महामारी जैसी घटनाओं के विषय में सही पूर्वानुमान
लगाना संभव हो सके |
संस्थान के कार्य :
विगत तीस वर्षों से संस्थान के तत्वावधान में भूकंप आँधीतूफ़ान चक्रवात
वर्षा ,बाढ़ एवं महामारी जैसे विषयों में जो अनुसंधान किए जाते रहे हैं |
उनके द्वारा प्राप्त अनुभवों के आधार पर ऐसी प्राकृतिक घटनाओं के विषय में
जो पूर्वानुमान लगाए जाते रहे हैं | उनमें से वर्षा होने के विषय में लगाए
जाने वाले दीर्घावधि मध्यावधि पूर्वानुमान प्रायः सही निकलने लगे हैं |
चक्रवात आँधी तूफ़ान आदि के विषय में भी लगाए गए पूर्वानुमान भी प्रायः सही
होते देखे जा रहे हैं |ऐसी सभी प्रकार के पूर्वानुमान प्रमाणित रूप से घटना
घटित होने से काफी पहले ही स्काईमेट, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग एवं पीएमओ
की मेल पर भेजे दिए जाते रहे हैं |पीएमओ की मेल पर अभी भी भेजे जा रहे हैं
जो साक्ष्य रूप में मेल पर विद्यमान हैं | कोरोना महामारी एवं उसकी लहरों
के विषय में हमारे संस्थान के द्वारा लगाए जाते रहे पूर्वानुमान संपूर्ण
रूप से सही निकलते देखे गए हैं | महामारी का विस्तार, प्रसारमाध्यम,
अंतर्गम्यता आदि के विषय में लगाए गए अनुमान भी सही निकले हैं | ये सभी
पीएमओ की मेल पर अभी भी विद्यमान हैं |
भविष्य की कार्य योजना : भविष्य
में भूकंप आँधीतूफ़ान चक्रवात वर्षा ,बाढ़ एवं महामारी जैसे विषयों में और
अधिक गंभीरता से अनुसंधान किए जाने की आवश्यकता है|जिससे भूकंप जैसी बड़ी
प्राकृतिक घटनाओं को समझना तथा ऐसी घटनाओं के घटित होने के वास्तविक कारण
खोजना एवं इनके विषय में पूर्वानुमान लगाया जाना संभव हो सके | वर्षा कहाँ
होगी कितनी होगी इस विषय में और अभी स्पष्टता लाए जाने की आवश्यकता है
|आँधीतूफ़ान चक्रवात आदि के विषय में अनुसंधानों के द्वारा स्थान पता लगाए
जाने पर कार्य चल रहा है कि ऐसी घटनाएँ कब कहाँ से शुरू हो सकती हैं उस
स्थान के विषय में पूर्वानुमान लगाए जाने की आवश्यकता है |
राजेश्वरीविद्यालय :
परतंत्रता के समय आक्रांताओं के द्वारा बहुत सारा साहित्य नष्टकर दिया गया
था |इससे संबंधित विद्वानों की संख्या भी धीरे धीरे समाप्त होती चली गई |
इस सबके बाद भी कुछ ऐसे विद्वान बच गए जो इसप्रकार के अनुसंधान करने में
सक्षम थे,किंतु उन्होंने अपनी विद्या किसी को देना उचित नहीं समझा !उसे
गुप्त रखते रखते अपने साथ लेते चले गए |अब बहुत कम ऐसे विद्वान बचे होंगे
जो प्राचीन विज्ञान से संबंधित अनुसंधानों में मदद करने की क्षमता रखते
होंगे !उन्हें खोजकर उनके ज्ञान विज्ञान को उनसे प्राप्त किया जाना बहुत
बड़ा कार्य है |जिसे अत्यंत साधनापूर्वक किया जाना आवश्यक है | जहाँ कहीं से
उस विद्या की छोटी सी चिंगारी भी मिल जाए उसे ही तपस्या पूर्वक आग के बहुत
बड़े ढेर में बदलना है | यह बहुत बड़ी तपस्या का कार्य है जिसे अत्यंत
समर्पण पूर्वक किया जाना है |
इतने बड़े कार्य को करने के लिए सुयोग्य समर्पित एवं तपस्वी विद्वानों की
आवश्यकता है | जिन्हें बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभानी होगी | उन्हें संस्थान
के द्वारा पहले से किए जा रहे अनुसंधानों को न केवल और अधिक विस्तार देना
है अपितु इसे भविष्य में सदियों तक चलाने के लिए उस प्रकार की अनुसंधान
सामग्री संग्रहीत करनी है |इसके लिए अनुसंधान में आवश्यक आयुर्वेद
विज्ञान,स्वरविज्ञान,ज्योतिषविज्ञान,जीवजंतुविज्ञान एवं बनस्पतिविज्ञान
के ऐसे सक्षम विद्वान तैयार करना है | जो गणित विज्ञान के द्वारा तो
प्रकृति के स्वभाव को समझने में सक्षम हों ही इसके साथ ही साथ पृथ्वी से
लेकर आकाश तक में हमेंशा होते रहने वाले प्रकृति परिवर्तनों का भी अध्ययन
एवं अनुसंधान करने में सक्षम हों | इसकेसाथ ही शास्त्र में वर्णित प्रयोगों
का प्रयोग पूर्वक परीक्षण करने में सक्षम हों | ऐसे विद्वान तैयार करने के
लिए राजेश्वरीविद्यालय की स्थापना करने का उद्देश्य है |
राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान की स्थापना की आवश्यकता !
भूकंप,तूफ़ान,सूखा ,बाढ़ बज्रपात जैसी प्राकृतिकआपदाएँ हों या महामारियाँ ये
सब अचानक घटित होने लगती हैं |ऐसी आपदाएँ घटित होते ही तुरंत नुक्सान हो
जाता है या फिर उसी समय नुक्सान होना प्रारंभ जाता है| जिससे जनधन की हानि
जो होनी होती है वो हो ही जाती है |इसके तुरंत बाद आपदाप्रबंधन विभाग सारी
जिम्मेदारी सँभाल ही लेता है |
ऐसी परिस्थिति में आपदाएँ घटित होने एवं नुक्सान होने के बीच में समय इतना
नहीं मिल पाता है कि संभावित प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए आवश्यक संसाधन
जुटाए जा सकें या बचाव के लिए आवश्यक सतर्कता बरती जा सके !
इसलिए आवश्यकता ऐसे वैज्ञानिक अनुसंधानों की है | जिनके द्वारा प्राकृतिक
घटनाओं के घटित होने से पहले सरकार एवं समाज को यह जानकारी उपलब्ध करवाई
जा सके कि किस प्रकार की प्राकृतिक घटना कब घटित होने वाली है |जिससे घटना
घटित होने से पहले सरकार आपदा प्रबंधन संबंधी व्यवस्थाओं को तैयार कर ले
एवं ऐसे आवश्यक संसाधन जुटाना प्रारंभ कर दे जिससे उस प्रकार की आपदा से
नुक्सान कम से कम हो ऐसा सुनिश्चित किया जा सके | इसके साथ ही साथ ऐसे
पूर्वानुमान पाकर समाज भी अपने स्तर से सावधानी बरतनी प्रारंभ कर दे |यदि
ऐसा संभव हो तब तो प्राकृतिक विषयों में वैज्ञानिक अनुसंधानों की सार्थकता
है अन्यथा ऐसे वैज्ञानिक अनुसंधानों की जनहित में उपयोगिता ही क्या बचती है
|
वर्षा संबंधी प्राकृतिक अनुसंधान !-
भारत कृषि प्रधान देश है! कृषि कार्यों एवं फसलयोजनाओं के लिए वर्षा की
बहुत बड़ी भूमिका होती है | यद्यपि वर्षा की आवश्यकता तो सभी फसलों को होती
है किंतु धान जैसी कुछ फसलों के लिए अधिक वर्षा की आवश्यकता होती है और
मक्का जैसी कुछ फसलों के लिए कम वर्षा की आवश्यकता होती है|ऐसी परिस्थिति
में धान जैसी अधिक पानी की आवश्यकता वाली फसलों को किसान लोग नीची जमीनों
में बोते हैं जबकि मक्का जैसी कम वर्षा की आवश्यकता वाली फसलों को किसान
ऊँची जमीनों पर बोते हैं |
इसी प्रकार से किसी वर्ष की वर्षाऋतु में वर्षा बहुत अधिक होती है जबकि
किसी वर्ष की वर्षा ऋतु में वर्षा बहुत कम होती है | इसलिए जिस वर्ष में
वर्षा अधिक होने की संभावना होती है उस वर्ष किसान लोग धान जैसी अधिक अधिक
पानी की आवश्यकता वाली फसलें अधिक खेतों में बोते हैं जबकि मक्का जैसी कम
वर्षा की आवश्यकता वाली फसलों को किसान कम खेतों में बोते हैं |
धान जैसी फसलों में पहले बीज बोकर थोड़ी जगह में बेड़ तैयार की जाती है
निर्धारित समय बाद उन पौधों की रोपाई पूरे खेत में करनी होती है उस समय
अधिक पानी की आवश्यकता होती है इसलिए किसान लोग इस प्रकार की योजना पहले से
बनाकर चलते हैं ताकि धान की रोपाई के समय तक मानसून आ चुका हो जिससे पानी
की कमी न पड़े | इसके लिए किसानों को सही सटीक मौसम संबंधी पूर्वानुमानों
की आवश्यकता होती है | इसके लिए मानसून आने के विषय में सही तारीखों का पता
लगना जरूरी माना जाता है |
मार्च अप्रैल में फसलें तैयार होने पर किसान लोग वर्ष भर के लिए आवश्यक
आनाज एवं भूसा आदि संग्रहीत करके बाकी बचा हुआ आनाज भूसा आदि बेच लिया करते
हैं |जिससे उनकी आर्थिक आवश्यकताओं पूर्ति हो जाती है |इसके लिए उन्हें
मार्च अप्रैल में ही वर्षा ऋतु में होने वाली संभावित बारिश का
पूर्वानुमान पता करने की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि खरीफ की फसल पर
इसका प्रभाव पड़ता है | मार्च अप्रैल में किसानों को आनाज एवं भूसा आदि का
संग्रह करके बाकी बचे हुए अनाज भूसा आदि की बिक्री के लिए किसानों को खरीफ
की फसल की उपज को ध्यान में रखकर चलना होता है |इसके लिए वर्षा ऋतु संबंधी
सटीक मौसम पूर्वानुमानों की आवश्यकता होती है |
तापमान संबंधी पूर्वानुमान -
तापमान ऋतुओं के हिसाब से घटता बढ़ता रहता है उसका तो समाज को अभ्यास है
|उसके आधार पर ही समाज ने अपना अपना जीवन व्यवस्थित कर रखा है किंतु जब
तापमान बढ़ने और कम होने की प्रक्रिया असंतुलित होने लगती है तापमान ऋतु
आधारित अपने क्रम को तोड़ते हुए अस्वाभाविक रूप से घटने या बढ़ने लगता है |
उससे मनुष्यों को तरह तरह के रोग होने लगते हैं | फसलों वृक्षों बनस्पतियों
आदि में अनेकों प्रकार के विकार पैदा होने लगते हैं जिससे उपज प्रभावित
होती है |अतएव समाज को वैज्ञानिक अनुसंधानों से ऐसी अपेक्षा है कि ऋतु
आधारित अपने क्रम को तोड़ते हुए तापमान कब अचानक बढ़ने या कम होने लगेगा इसका
पूर्वानुमान समाज को पहले से पता होने चाहिए ताकि समाज उसी हिसाब से अपने
कार्यों एवं जीवन को व्यवस्थित कर सके |
वायुप्रदूषण संबंधी अनुमान पूर्वानुमान-
मनुष्य भोजन के बिना हफ्तों तक जल के बिना कुछ दिनों तक जीवित रह सकता है,
किन्तु वायु के बिना उसका जीवित रहना असम्भव है।इसलिए वायु सभी मनुष्यों,
जीवों एवं वनस्पतियों के लिए अत्यंत आवश्यक है।वायु प्रदूषण बढ़ने से दमा,
सर्दी-खाँसी, अँधापन, त्वचा रोग आदि अनेकों प्रकार की बीमारियाँ पैदा होने
लगती हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसे प्रदूषण मुक्त शुद्ध
वायु मिले किंतु यह कैसे संभव है इसके लिए समाज को क्या अपनाना एवं क्या
छोड़ना पड़ेगा और क्या करना होगा | इसके विषय में सही एवं सटीक जानकारी
अनुसंधान पूर्वक समाज को उपलब्ध करवाई जाए |इसके साथ ही साथ यदि वायु
प्रदूषण घटने बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान लगाना संभव हो तो समाज को वह
उपलब्ध करवाया जाए | समाज अपने वैज्ञानिक अनुसंधानों से ऐसी अपेक्षा करता
है |
महामारी संबंधी अनुमान पूर्वानुमान -
लोगों को महामारियों से डर लगना स्वाभाविक ही है| महामारियों के समय का
वातावरण बहुत भयावह होता है जो हर किसी को सहना ही होता है |भारी मात्रा
में जन धन की हानि होते देखी जाती है |महामारी काल में चिकित्सा व्यवस्था
पूरी तरह निष्प्रभावी होती है | ऐसे समय में रोग और रोग के लक्षण पता न
होने के कारण चिकित्सा करना भी संभव नहीं होता है |
ऐसे कठिन समय में वैज्ञानिक अनुसंधान कर्ताओं से जनता यह अपेक्षा रखती
हैकि महामारी प्रारंभ होने से पहले उसे महामारी के विषय में अनुमानों
पूर्वानुमानों से उसे अवगत कराया जाए कि इतने वर्षों या महीनों के बाद
महामारी प्रारंभ होने की संभावना है | इससे महामारी आने के समय तक समाज
अपनी अपनी सामर्थ्य के अनुशार अपने लिए आवश्यक वस्तुओं का संग्रह कर सकता
है | संभावित रोगों से बचाव के लिए आहार विहार रहन सहन खान पान में आवश्यक
संयम का पालन करके अपने बचाव के लिए प्रयत्न किया जा सकता है |
इसीप्रकार से महामारी के विषय में सरकारों को यदि अनुमान पूर्वानुमान आदि
समय रहते पता चल जाए तो सरकारें बचाव के लिए यथा संभव संसाधन जुटा सकती हैं
चिकित्सा की दृष्टि से आवश्यक प्रबंधन कर सकती हैं | जीवन यापन के लिए
आवश्यक वस्तुओं का पर्याप्त मात्रा में संग्रह करके रखा जा सकता है |
ऐसी परिस्थिति में महामारी संबंधी अपने अनुसंधानों के द्वारा वैज्ञानिक
लोग यदि महामारी के विषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाकर यदि समय रहते
समाज एवं सरकार को उपलब्ध करवा सकते हैं तब तो उनकी और उनके द्वारा किए
जाने वाले अनुसंधानों की सार्थकता सिद्ध होती है अन्यथा उनकी उपयोगिता पर
संशय होना स्वाभाविक ही है |
वैज्ञानिक अनुसंधानों से जीवन संबंधी अपेक्षाएँ -
मानव जीवन से संबंधित कुछ ऐसी अत्यंत कठिन समस्याएँ हैं जो न कही जा सकती
हैं और न सही जा पाती हैं | ऐसी समस्याओं का समाधान निकालना वैज्ञानिकों
के बश में होता तब तो कोई बात ही नहीं थी | जिस प्रकार से स्वास्थ्य
समस्याओं के लिए सरकारों ने चिकित्सालय खोल रखे हैं लोग वहाँ जाकर अपनी
स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान पा लिया करते हैं |इसमें वैज्ञानिक अनुसंधान
सफल हैं |
स्वास्थ्य से ही संबंधित कुछ ऐसी समस्याएँ हैं जिनका वैज्ञानिकों के
द्वारा न समाधान किया जा रहा है और न ही मना किया जा रहा है कि इनका समाधान
निकालना हमारे बश की बात नहीं है |वैज्ञानिकों आवश्यकता पड़ने पर वैज्ञानिक
लोग अपनी असफलता छिपाने के लिए ऊटपटाँगवैज्ञानिकों मनगढंत मनगढंत
कहानियाँ सुना दिया करते हैं |इनका समाधान आधुनिक विज्ञान से होना संभव
होता तो अब तक हो जाता |भूकंप,तूफ़ान,सूखा ,बाढ़ बज्रपात जैसी
प्राकृतिकआपदाओं एवं महामारियों के विषय में एक ओर वैज्ञानिक लोग अनुसंधान
किया ही करते हैं वहीं दूसरी ओर ऐसी प्राकृतिक आपदाएँ अचानक घटित होने
लगती हैं | जिनके विषय में उन वैज्ञानिकों को कुछ पता ही नहीं होता है |
ऐसे अनुसंधानों से उस समाज को क्या लाभ होता है जिसके खून पसीने की कमाई से
दिए गए टैक्स का पैसा ऐसे अनुसंधानों के नाम पर खर्च किया जाता है | ऐसे
अनुसंधान न हों तो क्या नुक्सान हो जाएगा | यद्यपि ये सरकार और वैज्ञानिकों
का आपसी विषय है |
ऐसी आपदाएँ घटित होते ही उस समाज का नुक्सान तो तुरंत हो जाता है या फिर
उसी समय नुक्सान होना प्रारंभ जाता है| जिससे जनधन की हानि जो होनी होती
है वो हो ही जाती है |इसके तुरंत बाद आपदाप्रबंधन विभाग सारी जिम्मेदारी
सँभाल ही लेता है | वैज्ञानिकों के द्वारा किए जाने वाले अनुसंधानों की
उपयोगिता क्या है |
इसीलिए राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान का लक्ष्य भारतवर्ष के
प्राचीनविज्ञान से संबंधित अनुसंधानों के द्वारा ऐसे लोगों को सुरक्षित
बचाना है|जो सभी तरफ से निराश हताश होकर अपने जीवन को बोझ समझने लगे हैं |
ऐसे लोगों को सुरक्षित बचाकर उनके निराश हताश जीवन के खोए हुए आनंद को वापस
लाने के लिए प्रभावी प्रयत्न करना है |
1.
मनुष्य अपने जीवन में अक्सर पराजित और परेशान होता रहता है और जब जब ऐसा
होता है तब तब मनुष्यों का परेशान होना स्वाभाविक ही है | प्रत्येक मनुष्य
सफल होने के लिए बार बार प्रयत्न करता है जो सफल हो जाता है उसका प्रयत्न
तो दिखाई पड़ता है जो प्रयास करने पर भी सफल नहीं होता है उसके प्रयास पर
लोग विश्वास नहीं करते जबकि वह कई बार प्रयास करने के बाद भी लगातार असफल
होता जाता है | ऐसी परिस्थिति में वो गंभीर मानसिक पीड़ा से गुजर रहा होता
है|निरंतर असफल होते रहने के बाद उसका दिमागी तनाव बढ़ता है इससे उसे नींद
आनी कम होती है|उसके बाद भूख लगने में कमी आती है | पेट की गंदी गैस सीने
में चढ़ती है | उससे घबराहट होती है|यही गंदी गैस जब सिर पर चढ़ती है तो सिर
चकराने लगता है आँखों में अँधेरा दिखने लगता है | उल्टी लगने लगती है|बालों
और त्वचा में रूखापन होने लगता है|शुगर बीपी जैसे रोग पनपने लगते हैं|कई
बार हृदयरोग या हृदयघात जैसी गंभीर घटनाएँ घटित होती देखी जाती हैं|निरंतर
असफल होते रहने वाले व्यक्ति का जब शरीर भी साथ नहीं देने लगता है तब वह
निराश हो जाता है |ऐसे हैरान परेशान कुछ लोग कभी कभी असफलता से आहत होकर
आत्महत्या या सपरिवार आत्महत्या जैसे दुर्भाग्यपूर्ण कठोर कदम उठाते देखे
जाते हैं |बहुत लोग ऐसी दुर्भाग्य पूर्ण परिस्थिति को धैर्य पूर्वक सह तो
जाते हैं किंतु निराश हताश मन उन्हें किसी लायक नहीं रहने देता है |
ऐसी परिस्थिति में जिस असफलता के कारण ऐसी परिस्थिति पैदा हुई उसके लिए वह
व्यक्ति कितना दोषी है सफलता के लिए जिसने निरंतर प्रयत्न किए इसके बाद भी
उसे सफलता नहीं मिली इसका कारण क्या है ? महामारी संबंधी अपने अनुसंधानों
के द्वारा वैज्ञानिक लोग यदि महामारी के विषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि
लगाकर यदि समय रहते समाज एवं सरकार को उपलब्ध करवा सकते हैं तब तो उनकी और
उनके द्वारा किए जाने वाले अनुसंधानों की सार्थकता सिद्ध होती है अन्यथा
उनकी उपयोगिता पर संशय होना स्वाभाविक ही है |
राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान (समयविज्ञान )
संस्थापक : डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
एम.ए. - ज्योतिष ( ज्योतिषाचार्य)सं.सं.विश्वविद्यालय वाराणसी
पीएच.डी. - ज्योतिष : काशी हिंदू विश्व विद्यालय
एम.ए.संस्कृतव्याकरण (व्याकरणाचार्य )सं.सं.विश्वविद्यालय वाराणसी
एम.ए.हिंदी -कानपुर विश्व विद्यालय
पी.जी.डी.पत्रकारिता :उदय प्रताप कालेज वाराणसी
Web:https://samayvigyan.com/
Web :www.drsnvajpayee.com/
'ज्योतिष सेवा संवाद' के लिए संपर्क सूत्र
Email : samayvigyan@gmail.com
Email : rps246sansthan@gmail.com
Whatsapp web :9811226973
ज्योतिष प्रशिक्षण एवं काउंसलिंग(ऑनलाइन)
ज्योतिषाचार्य :डॉ. एस. एन. वाजपेयी
पीएच.डी. ज्योतिष (काशी हिंदू विश्वविद्यालय )
वास्तु शिक्षा स्वास्थ्य परिवार व्यापार विवाह संतान या संबंधों के बनने
बिगड़ने की है या किसी अन्य विषय को लेकर तनाव है तो उसके समाधान के लिए
हमारी मेल पर संपर्क करें !
राजेश्वरी ज्योतिष विद्यालय (R.J.V)
ज्योतिष प्रशिक्षण एवं काउंसलिंग(ऑनलाइन)
घर बैठे ज्योतिष सीखें और पाएँ अपनी समस्याओं का समाधान ! ज्योतिष पढ़ने या अपनी किसी समस्या का समाधान पाने के लिए आप मैसेज भेज कर संपर्क कर सकते हैं |
ज्योतिष
राजेश्वरी ज्योतिष विद्यालय (R.J.V)
(ऑनलाइन ज्योतिष पढ़ें विद्वान् बनें )
ज्योतिष संबंधी जानकारी बढ़ाएँ अपनी एवं अपनों की समस्या घटाएँ !
प्रश्न : ज्योतिष किससे पढ़ें ?
उत्तर :ज्योतिष केवल उसी से पढ़ें जिसने खुद पढ़ी हो ! सरकार के बहुत सारे ऐसे विश्वविद्यालय हैं जिनमें ज्योतिषाचार्य (M.A.ज्योतिष) Ph.D.आदि करवाई जाती है|ऐसे विश्वविद्यालयों से ज्योतिषाचार्य (M.A.ज्योतिष) Ph.D.पर्यंत पढ़े लिखे लोगों से ही ज्योतिष पढें |
प्रश्न :हमारे यहाँ से ज्योतिष पढ़ने के लाभ क्या हैं ?
उत्तर :मैंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से न केवल ज्योतिष में ही Ph.D.की है | प्रत्युत प्रकृति और जीवन में घटित होने वाली संभावित घटनाओं के विषय में अनुसंधान पूर्वक सही पूर्वानुमान लगाता आ रहा हूँ |
मनुष्य जीवन के विषय में : हमारे यहाँ ज्योतिष के आधार पर लोगों के जीवन
से संबंधित शिक्षा स्वास्थ्य परिवार व्यापार विवाह संतान मानसिक
तनाव,पारिवारिक तनाव,पति पत्नी के बीच का आपसी तनाव, कार्यक्षेत्र में
तनाव आदि विषयों में पिछले तीस वर्षों से अनुसंधान पूर्वक सही पूर्वानुमान लगाकर लोगों की समस्याओं का समाधान किया जाता आ रहा है |
मौसम के विषय में : ज्योतिष के द्वारा वर्षा बाढ़ आँधीतूफान चक्रवात एवं तापमान बढ़ने घटने के विषय में पूर्वानुमान लगाकर सरकार को भेजता आ रहा हूँ |अपनी वेवसाइट पर प्रकाशित करता आ रहा हूँ !बहुत बड़ी संख्या में लोग पढ़ते रहे हैं | जो सही निकलते रहे हैं |
महामारी के विषय में: हमारे यहाँ महामारी आने आने के विषय में एवं महामारी की प्रत्येक लहर आने एवं जाने के विषय में निश्चित तारीखों के साथ जो पूर्वानुमान लगाकर पीएमओ की मेल पर भेजे जाते रहे हैं | वे बिल्कुल सही निकलते रहे हैं | किसी दूसरे के द्वारा लगाए गए पूर्वानुमान या वैज्ञानिकों के द्वारा लगाए गए पूर्वानुमान भी इतने सही निकलते नहीं देखे गए हैं |
भूकंपों
के विषय में :इस विषय में अभी तक जो पूर्वानुमान लगाए जाते रहे हैं उनमें
से अनेकों पूर्वानुमान सही निकलते रहे हैं | हमारे यहाँ भूकंप संबंधी
अनुसंधानों के द्वारा यह पता लगाने में सफलता मिली है कि भूकंपों के प्रकार
कितने होते हैं | बहुत भूकंप इस प्रकार के होते हैं वो जब जिस क्षेत्र
में आते हैं वहाँ के विषय में उस समय से संबंधित कोई सूचना दे रहे होते
हैं | कौन भूकंप क्या सुचना दे रहा है | इसे समझकर उसे प्रकाशित कर दिया
जाता है | इसमें कुछ सूचनाएँ देश एवं समाज की सुरक्षा से संबंधित होती हैं |
कुछ किसी सभा सम्मेलन रैली आंदोलन आदि में होने वाली दुर्घटनाओं से
संबंधित होती हैं | कुछ सूचनाएँ आतंकियों के किसी स्थान पर पहुँचने एवं
किसी स्थान को छोड़कर जाने से संबंधित होती हैं | कुछ सूचनाएँ सरकारों के
बनने या बिगड़ने से संबंधित होती हैं | कुछ सूचनाएँ वर्षा बाढ़ एवं आँधी
तूफ़ान जैसी कुछ दूसरी प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित होती हैं | कुछ सूचनाएँ
सामाजिक आंदोलनों हिंसा राष्ट्रों के युद्धों से संबंधित होती हैं | कुछ
सूचनाएँ रोगों महारोगों महामारियों के पड़ा होने तथा घटने बढ़ने से संबंधित
होती हैं |
प्रश्न : ज्योतिष क्या है ?
उत्तर
:ज्योतिष भविष्य में झाँकने का एक मात्र विज्ञान है | ज्योतिष के अलावा
कोई दूसरा ऐसा विज्ञान नहीं है जिसके द्वारा भविष्य के विषय में कुछ जाना
जा सके |
ज्योतिष पढ़ने के लाभ :
ज्योतिष सेवा के बदले कहीं से धन मिलता है,किसी से मित्रता होती है,कहीं
परोपकार होता है तो कहीं यश मिलता है !ज्योतिष पढ़कर कोई बेकार नहीं रहता है
|
ज्योतिष जितना पढ़ो उतना कमाओ : दूसरे विषयों में बड़ी बड़ी डिग्रियाँ लेकर लोग बेकार घूमते देखे जाते हैं किंतु ज्योतिष पढ़ने वाला कोई बेरोजगार नहीं रहता !
ज्योतिष से लोगों को पहचानो :
कौन व्यक्ति कैसा है, किस व्यक्ति के लिए कैसा है ? उसका स्वभाव कैसा है,व्यवहार कैसा है आदि ?
कौन व्यक्ति किस व्यापार के लिए कैसा है किस परिवार के लिए कैसा है|व्यापार और परिवार के किस सदस्य के लिए कैसा है ?
कौन व्यक्ति किस संस्था के लिए कैसा है किस सरकार, किस संस्थान, किस सामाजिकसंगठन,या किस राजनैतिक दल के लिए कैसा है ? उन संस्थाओं, संस्थानों,संगठनों ,सरकारों,राजनैतिकदलों में साथ काम करने वाले किस सदस्य के लिए कैसा है ?
उस व्यक्ति के साथ जिस लड़की का विवाह किया जा रहा है उसके लिए कैसा है|उस लड़की के साथ संबंध कैसे रहेंगे, उसका स्वास्थ्य पर कैसा प्रभाव पड़ेगा,उसके साथ विवाह होने से संतान कब होगी !उसके यहाँ जिस बच्चे का जन्म हुआ है उसके लिए वो कैसा है ! उस लड़की से विवाह करने का व्यापार पर कैसा प्रभाव पड़ेगा,परिवार पर कैसा प्रभाव पड़ेगा,परिवार के किस सदस्य पर कैसा प्रभाव पड़ेगा !
ऐसा
व्यक्ति की शिक्षा या सलाह से किसे लाभ होगा किसे नहीं ! वो जिसकी मदद कर
रहा है उससे उसे कुछ लाभ होगा या नहीं !वो डॉक्टर है तो जिसकी चिकित्सा कर
रहा है उस रोगी के लिए कैसा है | वो वकील है तो जिस के केस की कोर्ट में
पैरवी कर रहा है उसे सफलता मिलेगी या नहीं !ऐसा व्यक्ति जिसके साथ साझेदारी
का व्यापार करने जा रहा है उस पार्टनर के लिए कैसा रहेगा | वो जिससे
प्रेम कर रहा है उसके लिए कैसा रहेगा ?
ज्योतिष समस्या समाधान (ऑनलाइन )
समय से पहले और भाग्य से ज्यादा सफलता किसी को नहीं मिलती है !
जानिए - आपके सफल होने का समय कब आएगा और आपके भाग्य में सफलता कितनी लिखी है !
कैसे काम में सफलता मिलनी है और कैसे स्थान पर मिलनी है !
धर्म शास्त्रीय जन जागरण क्रांति में क्या आप भी देना चाहेंगे अपना बहुमूल्य सहयोग !
राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान ' नाम से हमारी रजिस्टर्ड संस्था है जिसके तहत हम अपने देश के स्वाभिमान को सुरक्षित रखने के लिए हमारे प्राचीन शास्त्रों या धर्म ग्रंथों में जो विधि व्यवस्था बताई गई है उसे आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहा हूँ !
जीवन एवं समाज के विभिन्न क्षेत्रों को सरल एवं सहज बनाने के लिए प्राचीन शास्त्रीय सम्पदा में से जीवन मूल्यों को खोज कर समाज के सामने तर्क सहित रखना जिससे समाज के भावनात्मक रूप से जीवित वर्ग को उसे स्वीकार करने में कठिनाई न हो !
धर्म के क्षेत्र में धर्म शास्त्रीय विचार सम्पदा को समाज में विस्तारित करना चाहते हैं
यदि आप ऐसे किसी बनावटी आत्मज्ञानी, बनावटी ब्रह्मज्ञानी, ढोंगी,बनावटी तान्त्रिक,बनावटी ज्योतिषी, योगी उपदेशक या तथाकथित साधक आदि के बुने जाल में फँसाए जा चुके हैं तो आप हमारे यहाँ कर सकते हैं संपर्क और ले सकते हैं उचित परामर्श ।
कई बार तो ऐसा होता है कि एक से छूटने के चक्कर में दूसरे के पास जाते हैं वहाँ और अधिक फँसा लिए जाते हैं। आप अपनी बात किसी से कहना नहीं चाहते। इन्हें छोड़ने में आपको डर लगता है या उन्होंने तमाम दिव्य शक्तियों का भय देकर आपको डरा रखा है।जिससे आपको बहम हो रहा है। ऐसे में आप हमारे संस्थान में फोन करके उचित परामर्श ले सकते हैं। जिसके लिए आपको सामान्य शुल्क संस्थान संचालन के लिए देनी पड़ती है। जो आजीवन सदस्यता, वार्षिक सदस्यता या तात्कालिक शुल्क के रूप में देनी होगी, जो शास्त्र से संबंधित किसी भी प्रकार के प्रश्नोत्तर करने का अधिकार प्रदान करेगी। आप चाहें तो आपके प्रश्न गुप्त रखे जा सकते हैं। हमारे संस्थान का प्रमुख लक्ष्य है आपको अपनेपन के अनुभव के साथ आपका दुख घटाना,बाँटना और सही जानकारी देना।
विशेष बात यह है कि यदि आप चाहें तो आपके प्रश्न के उत्तर में दी गई जानकारी शास्त्रीय प्रमाणों के साथ लिखित रूप में दी जाएगी। जो कानूनी आवश्यकता पड़ने पर भी प्रमाण के रूप में प्रस्तुत की जा सकेगी।
विशेष-
आपके द्वारा शुल्क रूप में जमा की गई धन राशि किसी भी परिस्थिति में वापस नहीं की जाएगी।
नम्र निवेदनः-
आदरणीय सभी सदाचारी, विद्वानों, महात्माओं भागवत वक्ताओं, योगियों, ज्योतिषियों आदि को यदि हमारी किसी बात से ठेस लगी हो तो हम उसके लिए न केवल क्षमाप्रार्थी हैं प्रत्युत आपके दिए हुए मंतव्य को सम्मिलित कर भूल सुधार का बचन देते हैं। हमारा उद्देश्य केवल पाखंड से दूषित हो रहे शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान को बचाना है।
संस्थान के उद्देश्य-
ऋषि मुनियों के स्वाध्याय, साधना, परिश्रम से प्राप्त हुए अपने शास्त्रीय ज्ञानामृत से समाज को लाभान्वित होने का जो अवसर मिला है जो ग्रंथामृत सुलभ हुआ है उससे हर जाति, वर्ग समुदाय, सम्प्रदाय लाभान्वित हो। बिखरते परिवार राष्ट्र समाज फिर से एक दूसरे के साथ पूर्ण विश्वास पूर्वक जुड़ सकें। इससे परिवार, राष्ट्र, समाज फिर से खुशहाल हो सकेगा और अपना एवं अपने परिवार का पेट भरने के लिए प्राच्य विद्याओं के बहाने अपने सरल समाज को फँसने फँसाने का यह घृणित खेल बंद होना चाहिए ।
शास्त्रीय विद्वानों से विशेष आग्रहः-
सभी शास्त्रज्ञानी गुणवानों, सदाचारियों, मुनि महात्माओं, योगियों, ज्योतिषियों, साधकों तांत्रिकों आदि से निवेदन है कि यदि आपका शास्त्रीय स्वाध्याय है या आप किसी भी शास्त्रीय विषय में अपने आपको हर प्रकार के प्रश्नोत्तर के लिए सक्षम समझते हैं तो कृपा करके अपने पत्र व्यवहार का पता तथा फोन नम्बर आदि उपलब्ध कराएँ, और हमारे विद्वज्जनों के समुदाय में सम्मिलित होकर अलंकृत करें संस्थान को।आप अपने घर में ही रहकर पत्र व्यवहार या फोन के माध्यम से यह परोपकार कर सकते हैं,ताकि आपकी योग्यता से समाज को लाभान्वित कराने का पुण्य भागी बनने का सौभाग्य हमें प्राप्त हो सके । याद रखना आपका अपना राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान संपर्क सूत्र की प्रतीक्षा में है।
धर्म भक्त धनवानों से विशेष आग्रहः-
यदि आपको भी लगता है कि धर्म को लेकर चारों तरफ एक दूसरे को बरगलाने का दुखद वातावरण बना हुआ है। हर कोई बिना परिश्रम किए हुए सुख सुविधा पूर्ण जीवन जीने के लिए धर्म का दुरुपयोग कर लेना चाहता है । जिसके लिए टी.वी. आदि सभी प्रकार के विज्ञापनों में वह वर्ग अंधाधुंध धन झोंक रहा है स्वाभाविक है कि वो इसी धार्मिक धंधे से ही निकालना चाहेगा। इसी धर्म की आड़ में धन इकट्ठा करने के लिए वह कितना भी बड़ा कपटकार्य करने को तैयार है।यदि आपको भी धर्म के विषय में सोचते हैं तो दीजिए अपना बहुमूल्य सहयोग ।
शास्त्रीय विद्वानों के पास न विज्ञापनों में खर्च करने
के लिए अनाप सनाप धन है और न ही धोखाधड़ी पूर्वक वो समाज को नोंचना ही चाहते हैं यदि
चाहें तो वो भी उन्हीं लोगों की तरह
निर्ममतापूर्वक धर्म को धंधा बना सकते हैं किंतु वो शास्त्रीय साधक हैं इसलिए उनकी धर्म पर असीम
आस्था है वो इसे धंधा नहीं बनाना चाहते हैं तथापि जीवनयापन का साधन भी वो अपनी विद्या
से ही बनाना चाहते हैं, यह उनका नैतिक अधिकार भी है आखिर जिस प्राचीन विद्या
के अध्ययन में उन्होंने लगभग बारह वर्ष लगाए हैं अब वो अपनी रोजी रोटी के लिए यदि
व्यवसाय आदि करेंगे तो उनकी योग्यता का समाज हित में उपयोग नहीं हो सकेगा। अतः
समाज हित में उनकी योग्यता का लाभ उठाने के लिए राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध
संस्थान ऐसे विद्वानों को एक मंच
उपलब्ध कराकर उनकी योग्यता का लाभ समाज हित में लेना चाहता है। जिसके लिए उन्हें आजीविका के
लिए आर्थिक सहयोग करना आवश्यक होगा।
अतः इसके अलावा भी संस्थान ने ऐसी सभी प्रकार
की अपनी गतिविधियाँ निस्वार्थ रूप से संचालित
करने के लिए जो सदस्यता शुल्क रखी है उसे भी मुक्त किया जा सके इसके लिए सभी धर्म एवं
शास्त्र प्रेमी सज्जनों से धनात्मक सहयोग की अपेक्षा है। यदि आप सहयोग करना या किसी और
को प्रेरित करना चाहें तो हमारे यहॉं
आपका सादर स्वागत है। इसके साथ ही इस व्यवस्था को और अधिक बेहतर बनाने के लिए आपके न केवल
सुझाव अपितु सभी प्रकार के सहयोग सादर आमंत्रित हैं।यदि आप संस्थान कार्यों के प्रचार प्रसार
से लेकर किसी भी प्रकार से सहयोग या समय
देना चाहें तो यह संस्थान के लिए सौभाग्य की बात होगी।
सदस्यता शुल्क माफ करने का विचार क्यों-
प्रायः धार्मिक समाज अभी तक इतना एवं न जाने कितने बार विविध रूपों में ठगा जा चुका है कि अब वह धर्म के मामले में किसी का विश्वास नहीं कर पा रहा है हर किसी से डरने लगा है।संस्थान की गतिविधियों एवं आश्वासनों को भी वह उसी दृष्टि से देख रहा है अतः वह संस्थान के संपर्क में भी आने से डरता है इसलिए सदस्यता शुल्क माफ करने का बिचार है ताकि उसे सभी प्रकार से भय मुक्त किया जा सके।
राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान की अपील
यदि किसी को केवल रामायण ही नहीं अपितु ज्योतिष वास्तु धर्मशास्त्र आदि समस्त भारतीय प्राचीन विद्याओं सहित शास्त्र के किसी भी नीतिगत पक्ष पर संदेह या शंका हो या कोई जानकारी लेना चाह रहे हों।शास्त्रीय विषय में यदि किसी प्रकार के सामाजिक भ्रम के शिकार हों तो हमारा संस्थान आपके प्रश्नों का स्वागत करता है ।
यदि ऐसे किसी भी प्रश्न का आप शास्त्र प्रमाणित उत्तर जानना चाहते हों या हमारे विचारों से सहमत हों या धार्मिक जगत से अंध विश्वास हटाना चाहते हों या राजनैतिक जगत से धार्मिक अंध विश्वास हटाना चाहते हों तथा धार्मिक अपराधों से मुक्त भारत बनाने एवं स्वस्थ समाज बनाने के लिए हमारे राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोध संस्थान के कार्यक्रमों में सहभागी बनना चाहते हों तो हमारा संस्थान आपके सभी शास्त्रीय प्रश्नोंका स्वागत करता है एवं आपका तन , मन, धन आदि सभी प्रकार से संस्थान के साथ जुड़ने का आह्वान करता है।
सामान्य रूप से जिसके लिए हमारे संस्थान की सदस्यता लेने का प्रावधान है।
फ्री ज्योतिष या मुफ्त ज्योतिष नामक श्लोगन आपको फँसा सकते हैं पाखंडियों के षड्यंत्र में ! see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/05/blog-post_26.html
इन लेखों को पढ़ने वाले को ज्योतिष के नाम पर कभी मिस गाइड नहीं किया जा सकता ! see more....http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_17.html
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