गुरुवार, 3 मार्च 2016

PM ko

    बंधु-बहनो !मेरा निवेदन है कि आप ज्योतिष को जानें या न जानें और ज्योतिष को स्वयं मानें या न मानें किंतु ज्योतिष को बिना प्रॉपर ढंग से पढ़े ज्योतिष सही है या गलत इसका फैसला करने की आदत छोड़ दें !क्योंकि ज्योतिष एक शास्त्र है और शास्त्र हम आप सभी के हैं इसलिए हम सभी लोगों को मिलजुलकर इसकी रक्षा करनी होगी !ये अपने पूर्वजों की धरोहर हैं । 
     आपको सरकार और कानून पर इतना तो विश्वास करना ही चाहिए कि यदि ज्योतिष में सच्चाई न होती तो बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी जैसे बड़े संस्थानों में ज्योतिष सब्जेक्ट का पाठ्यक्रम क्यों होता ज्योतिष शिक्षण के लिए अन्य सब्जेक्ट की तरह डिपार्टमेंट क्यों होता उसके रीडर प्रोफेसर क्यों होते और उनकी सैलरी लाखों में क्यों होती !केवल BHU ही नहीं देश के अन्य कई प्रांतों में भी ऐसी यूनिवर्सिटीज सरकार ने चला रखी हैं । केवल इतना ही नहीं अपितु ज्योतिष जैसे गंभीर सब्जेक्ट में दो पाठ्यक्रम हैं और दो विषयों से एम. ए.(ज्योतिषाचार्य) और पीएचडी करने की व्यवस्था की गई है कहने का मतलब कुछ तो ऐसा होगा कि सरकार ज्योतिष प्रशिक्षण पर करोड़ों रुपए महीने खर्च कर रही है एक एक विश्व विद्यालय पर !यदि सच्चाई न होती तो इसका विरोध करने के लिए लोग अब तक कोर्ट चले जाते और ज्योतिष डिपार्टमेंट बंद करवाने के आदेश पारित करवा लाते !ये तो बात रही कानून की !
    बंधुओ !अब रही बात मान्यताओं और अनुभवों की
तो प्राचीन काल से ही ज्योतिष राजा महाराजाओं से लेकर आम जनता तक अपनी सच्चाई के कारण ही अत्यंत लोकप्रिय रहा है।
   आप स्वयं सोचिए कि जब आधुनिक विज्ञान विकसित नहीं हुआ था तब भी ज्योतिष विज्ञान तो यहीं बैठे बैठे पूरे आकाश की तलाशी केवल ज्योतिषगणित के बलपर ही तो लिया करता था आखिर सूर्य चन्द्र कब उगेंगे कब अस्त होंगे न केवल सूर्य चन्द्र ग्रहणों के प्रारम्भ और समाप्ति का एक एक सेकेंड एक्यूरेट टाईम पता लगा लेना अपितु सूर्य और चन्द्र मंडलों में किस दिशा से ग्रहण प्रारम्भ होगा और सूर्य - चन्द्र मंडलों  का कितना भाग काला  होगा ये तक यहीं बैठे बैठे पता लगा लेना अलग अलग शहरों में ये ग्रहण कहाँ कितना और कैसा दिखाई पड़ेगा !केवल इतना ही नहीं भविष्य में आने वाले ग्रहणों के विषय में सबकुछ पता लगा लेना क्या ये छोटी बात है आप ही सोचिए कि इतनी विराट क्षमता वाला ज्योतिष शास्त्र विज्ञान नहीं तो क्या है !
  जो लोग आकाश में जहाँ कभी गए नहीं केवल गणित के बल पर जब वहाँ की इतनी खबर रखते थे तो जिस पृथ्वी पर रहते हैं उस धरती का क्या कुछ छिपा होगा क्या उस शास्त्र से !किस वर्ष कितनी वर्षा होगी इसका पता इसी गणित के बल पर बर्षों पहले लगा लिया करते थे उसी हिसाब से किसान अपनी फसलें बोने  का चयन किया करते थे जिससे फसलों का नुकसान कम से कम होता  था । वर्तमान आधुनिक मौसम विज्ञान दस पाँच दिन पहले लगा पाता है पूर्वानुमान !वो भी कितना एक्यूरेट होता है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रमोदी जी के बनारस जाने के लिए आयोजित दो बड़े कार्यक्रम केवल मौसम के कारण ही कैंसिल करने पड़े जिन्हें करोड़ों रूपए खर्च करके संयोजित किया गया था !अब आप स्वयं कल्पना कीजिए जो मौसम भविष्य देश के प्रधान मन्त्री के एक आयोजन में मदद नहीं कर सका वो देश के किसानों के किस काम आएगा !किसानों को तो महीनों पहले फसलों के बोन आदि का चयन करना होता है उसके लिए कितना कारगर है ये मौसम विभाग  स्वयं सोचिए !किंतु इतने पर भी उस मौसम विभाग को संचालित करने के लिए सरकार करोड़ों अरबों रूपए खर्च करती है किंतु "राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान" के तहत हम जिस मौसम सम्बन्धी विधा के पूर्वानुमान पर रिसर्च कर रहे हैं यदि वो आंशिक मदद करने में भी सफल होती है तो क्या सरकार को सहयोग नहीं करना चाहिए !हमने कई पत्र लिखे किंतु कोई सुनवाई नहीं हुई । बंधुओ !फिर भी हम आपको भरोसा देते हैं कि आपलोगों के सहयोग से हम इस रिसर्च में सफल होंगे । 
       इसी प्रकार भूकंप विज्ञान विभाग में हमने सूचना के अधिकार के तहत पूछा कि पिछले दस वर्षों में भूकंप का पूर्वानुमान लगाने में आप कितने कदम आगे बढ़ पाए  हैं किंतु पता लगा कि दस वर्ष की तो छोड़िए पिछले सौ वर्षों में इस दिशा  में कोई ख़ास प्रगति नहीं हो पाई है जब भूकम्प आता है तो सारी जिम्मेदारी सँभाले मीडिया खड़ा होता है वो दोचार दिन बाद तक गिरती बिल्डिंगें, बिखरता मलबा, कराहते लोगों के वीडियो चलाया करता है अकेले कहाँ तक चिल्लाए ऐसी परिस्थिति में जब किसी भूकम्प विभाग के वैज्ञानिक के मुख में कैमरा लगा ही देता है तो उन्हें कुछ बोलना भी पड़ता है तो वो वहीँ जमीन के अंदर की प्लेटों वाली बात दोहरा देते हैं ,डेंजर जोन  बता देते हैं और अभी आफटर शॉक्स आते रहेंगे इसके सूचना दे देते हैं बंधुओ केवल इतना बताने के लिए सरकार इस मंत्रालय पर कितना खर्च करती होगी सोचिए और भूकम्प के पूर्वानुमान की दिशा में की दिशा में यदि कोई जानकारी हाथ लगी ही नहीं तो भूकंप मंत्रालय और भूकम्प विभाग पर खर्च होने वाली अकूत संपत्ति का देश हित  में और दूसरा उपयोग क्या है ?सरकार करोड़ों अरबों रूपए खर्च करती है इन विभागों पर किंतु "राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान" के तहत हम प्राचीन विज्ञान के द्वारा भूकंप सम्बन्धी विधा पर रिसर्च कर रहे हैं यदि वो इससे सहयोग मिलने की आंशिक सम्भावना भी दिखती है तो क्या सरकार को  संस्थान की मदद नहीं करनी चाहिए किंतु मदद तो दूर भेजे हुए पत्रों के जवाब तक नहीं दिए जाते हैं !फिर भी बंधुओ !फिर भी इस रिसर्च यात्रा को हम यथा संभव कोशिश करके  जारी रखेंगे ऐसा मेरा निश्चय है !आप सभी लोगों का सहयोग अपेक्षित है । 
      बंधुओ ! चिकित्सा विज्ञान जो तीन प्रकार की बीमारियाँ  मानता है उनमें कुछ तुरंत के किए हुए कर्मों से होती हैं जैसे शर्दी लगेगी तो जुकाम होगा ही, छत से कूदेंगे तो चोट लगेगी ही इसके लिए तो चिकित्साविज्ञान के पास पर्याप्त औषधियाँ  हैं किंतु इसमें ज्योतिष की भूमिका 25 प्रतिशत होती है क्योंकि शर्दी लगने से हर किसी को तो जुकाम नहीं हो जाता है और ऊँचाई से गिरने या एक्सीडेंट होने पर भी कई लोग बिल्कुल बाल बाल बच जाते हैं उन्हें खरोंच तक नहीं लगती है ऐसी परिस्थितियों पर हो रही है रिसर्च !
   दूसरी बीमारियाँ वो हैं जो इसी जन्म में किए हुए पुराने कर्मों के कारण होती हैं ऐसी बीमारियाँ कोई कर्म प्रतिकूल करने पर तुरंत न होकर बाद में होती हैं जैसे चीनी अधिक खाते रहने से शुगर होती है  बचपन से अधिक खाते रहने या ऊट पटांग आहार व्यवहार शराब आदि नशा सेवन से इसी जन्म में कालांतर में बीमारियाँ होती हैं किंतु ऐसा करने वाले सभी लोगों को तो नहीं होती हैं ऐसी परिस्थितियों में किसको हो सकती हैं किसको नहीं और हो सकती हैं तो कब और किस वर्ष में इसका पूर्वानुमान लगाने में ज्योतिष की पचास प्रतिशत भूमिका होती है और ऐसी बीमारियाँ होने के बाद औषधियों से इसमें अधिक से अधिक पचास प्रतिशत ही लाभ हो पाता है किंतु इन बीमारियों के होने से पहले पूर्वानुमान यदि ठीक ढंग से लगा लिया जाए तो शुरुआत से ही आचार व्यवहार में संयम करके ऐसी परिस्थितियाँ पैदा होने से काफी हद तक बचा जा सकता है इस विधा पर रिसर्च क्यों न की जाए !
  तीसरी वो बीमारियाँ होती हैं जो अपने द्वारा किए गए पिछले जन्म के कर्मों के कारण होती हैं जैसे पिछले जन्म में मैंने सर्पों को मारा है तो यदि सर्प सामान्य होगा इस जन्म में काटेगा और यदि सर्प जागृत आदि हुआ तो उसके शाप के कारण इस जन्म में संतान नहीं होती है कोई बड़ी बीमारी लग जाती है ऐसे ही और तमाम प्रकार की पीड़ाएँ भोगनी पड़ती हैं ऐसी ही अन्य कर्मों से जुड़ी तमाम पीड़ाएँ होती हैं जिनमें ज्योतिष 75  प्रतिशत प्रभावी होती और चिकित्सा विज्ञान बेबस होता है और औषधियों की भूमिका केवल 25 प्रतिशत होती है वो भी काम चलाऊ !किंतु ज्योतिष के द्वारा बचपन में ही यदि इसका पूर्वानुमान लगा लिया जाए तो इनसे बचने के लिए बचपन से ही भगवान शिव की आराधना एवं सर्प पूजा आदि करके भगवान की कृपा से भवितव्यता पर  एक सीमा तक लगाम लगाई जा सकती है।ऐसी परिस्थितियोँ में ज्योतिष के द्वारा इन परिस्थितियों पर रिसर्च क्यों न की जाए !
  डेंगू जैसे घातक ज्वर -
      ऐसे ज्वरों के विषय में डेंगू का इलाज आम तौर पर चिकित्सकीय प्रक्रिया से किया जाता है, लेकिन इसे दूसरे विषाणु-जनित रोगों से अलग कर पाना कठिन है। उपचार का मुख्य तरीका सहायक चिकित्सा देना ही है, मुख से तरल देते रहना  , नसों से भी तरल दिया जाता है,
     


काम समय जब भूकंप किए गए दो कार्यक्रम इससे ज्वलंत उदाहरण और क्या हो सकता है कि वर्षा वर्षों पहले की गणित लगा लिया 
पशु पक्षियों वृक्षों आदि के जीवन से लेकर मानव जीवन तक

किस शहर से किस पता कितना ये न होता तो
हमारे यहाँ ज्योतिष संबंधी कामों के लिए आप संपर्क करें या न करें किंतु इतना अवश्य याद रखें कि ज्योतिष एक बड़ा विज्ञान है बंधुओ !आपको ये बात आपको समझाने में मेरा कोई निजी स्वार्थ आपके पति पत्नी बेटा बेटी भाई बहन नाते रिस्तेदार मित्रों या अन्य सगे  सम्बन्धियों को जीवन के न जाने किस मोड़ पर फँसाव लगने लगे और तनाव बहुत अधिक बढ़ जाए उस समय किसी के प्रेरित करने पर या अपने मन से ही उसे लगने लगे कि चलो किसी ज्योतिषी के पास ही चलें शायद कोई रास्ता निकल ही जाए और कई मामलों में बड़ा सहयोग मिलता भी है ज्योतिष से- जैसे लम्बे समय तक चलने वाली बीमारी,पति - पत्नी या प्रेमी - प्रेमिका के बीच बढ़ता आपसी तनाव या संतान न होने पर या गंभीर आर्थिक संकट उपस्थित होने पर या किसी विवाद मुकदमें आदि में फँसने पर या किसी अन्य प्रकार से हुए तनाव या मनोरोग बढ़ने पर  या तरक्की के रास्ते तलाशने के लिए ज्योतिष बड़ी भूमिका निभा सकता है बशर्ते ज्योतिषी योग्य हो !जानकारी के अभाव में अक्सर ऐसे हैरान परेशान लोग अचानक ऐसे  'एस्ट्रोलुटेरों' से टकरा जाते हैं और उनके चंगुल में अधिक से अधिक फँसते चले जाते हैं जिन्हें उस दलदल से निकालने के लिए आपको ज्योतिष का इतना जानकार तो होना ही चाहिए कि आवश्यकता पड़ने पर आप अपने उस सगे सम्बन्धी की मदद कर सकें !

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