घर के सदस्यों पर कुत्तों की संगति का ऐसा बुरा असर पड़ता है कि लोग आपस
में न केवल उन्हीं की तरह बोलने लग जाते हैं अपितु सार बात ब्यवहार बदल
जाता है किसी से नमस्ते नहीं न किसी से राम राम न किसी बड़े बूढ़े का सम्मान न
किसी नाते रिस्तेदारी का महत्त्व !रिस्ते नातों के नाम पर कुत्ता केवल एक
कुतिया केवल एक कुत्ते को वो भी केवल बच्चे पैदा करने के लिए ! इन संबंधों
में भी लक्ष्य केवल सेक्स होता है न कि समर्पण ! इसलिए समर्पण ये संबंध या
को मंटा के घर के सदस्य लोग या तो आपस में बोलेंगे नहीं या फिर ऊटपटांग
बोलेंगे एक दूसरे को काटने की तरह दौड़ेंगे !ये सब कुत्ता संगति के संस्कार
है असर है सब कुछ कुत्तों से सीखने लग जाते हैं कुत्तों को पालना ,खिलाना
दूध पिलाना नहलाना धुलाना आदि और भी बहुत कुछ !लोग घर में माता पिता से बात
करना पसंद नहीं करते कुत्ते की सेवा कर रहे हैं के गाल बताया गया है
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