मंगलवार, 3 मई 2016

aavashyk -

आदरणीय मंत्री जी सादर प्रणाम !
 विषय -आग लगने संबंधी घटनाओं में 10 अप्रैल को आए भूकंप की भूमिका एवं इस विषय से संबंधित शोधकार्य में सहयोग प्राप्ति  हेतु निवेदन  !  
महोदय ,
      आपसे ये निवेदन करते हुए मुझसे यदि कोई गलती हो रही हो तो मैं आपसे अग्रिम क्षमा याचना के साथ आपको अपना राष्ट्रीय अभिभावक समझकर भारत के प्राचीन विज्ञान से संबंधित अपने शोध कार्य के विषय में लिख रहा हूँ आपको यदि उचित न लगे तो मुझे क्षमा कर दीजिएगा !
  श्रीमान जी ! मैं जिस विषय का निवेदन कर रहा हूँ आधुनिक शिक्षित समाज का अधिकाँश वर्ग उस विषय को अंधविश्वास मानता है किंतु मैंने काशी हिंदू विश्व विद्यालय से उसी  विषय में Ph .D. की है और प्राचीन विज्ञान से संबंधित ग्रंथों के सहयोग से 'समयविज्ञान ' पर काम कर रहा हूँ ।चिकित्साविज्ञान से लेकर प्रकृतिविज्ञान, मौसमविज्ञान, भूकंपविज्ञान,स्वभावविज्ञान जैसे हर क्षेत्र में समयविज्ञान की बहुत बड़ी भूमिका है ।समय के अनुसार ही सब कुछ बन और बिगड़ रहा है, रोग और निरोग प्राप्त हो रहा है, लोगों का लोगों के प्रति अच्छा बुरा बर्ताव हो रहा है, प्रकृति में परिवर्तन हो रहे हैं प्रकृति में भूकंप जैसी और भी घटनाएँ घट रही हैं उन घटनाओं के घटने के कारण कुछ और घटनाएँ घट रही हैं।
      ऐसे ही विषयों को आधार बनाते हुए भारत के प्राचीन ज्ञान विज्ञान के सहयोग से चलाए जा रहे हमारे इस शोधकार्य का शीर्षक  'समयविज्ञान' निश्चित किया गया है । इसके तत्वावधान में ही देश और समाज के लिए बहुमूल्य एवं गूढ़ कई प्राकृतिक रहस्यों को समझने सुलझाने के सुखद क्षण मिले हैं यदि कभी आपके यहाँ से समय मिला तो जरूर आपके समक्ष प्रस्तुत करने का सौभाग्य लाभ लूँगा !
    महोदय ! "समयवैज्ञानिकपद्धति" का ऐसा मानना है कि संसार में घटित होने वाली बहुत सारी घटनाओं के साथ साथ विशेषकर प्राकृतिक घटनाएँ प्रायः एक दूसरी घटनाओं  से संबंधित होती हैं प्रकृति में आज घट रही भूकंप आदि घटनाएँ भविष्य में होने घटने वाली अनेकों प्रकार की घटनाओं  की सूचना दे रही होती हैं । प्रकृति का नियम है "यदि ऐसा हुआ है तो वैसा होगा " जैसे सूर्योदय होने के साथ ही सूर्यास्त होना भी निश्चित हो जाता है !इस दृष्टि से प्रकृति में घटने वाली बहुत सारी घटनाओं भूकम्पों पर मैंने अध्ययन किया है ।इसी क्रम में -
     श्रीमान जी ! "10-4-2016 को आए भूकंप से दिल्ली से लेकर उत्तर भारत कश्मीर समेत देश के और भी कई क्षेत्र प्रभावित हुए थे !" मैंने इस भूकंप को भी अपनी रिसर्च का विषय बनाया और 10-4-2016 को ही अपने ब्लॉग पर इस भूकंप के कारण होने वाले निम्न लिखित फल को लिखा -
     " भूकंप (10-4-2016) के कारण पड़ेगा भीषण सूखा, बढ़ेंगे अग्निकांड और बिगड़ेंगे पाकिस्तान के साथ संबंध !  3-4-2016 से 10-4-2016 तक   हवा में मिली हुई थी आग जो भूकंप की अग्रिम सूचना दे रही थी । अब जानिए क्या है भूकम्प का फल -  अग्नि सम्बन्धी समस्याएँ और अधिक भी बढ़ सकती हैं इस समय वायुमण्डल में व्याप्त है अग्नि !इसलिए अग्नि से सामान्य वायु भी इस समय ज्वलन शील गैस जैसे गुणों से युक्त होकर विचरण कर रही है । इसके अलावा इस समय दिशाओं में जलन, तारे टूटना ,उल्कापात होने जैसी घटनाएँ भी देखने सुनने को मिल सकती हैं । इस भूकंप के कारण ही नदियाँ कुएँ तालाब आदि अबकी बार बहुत जल्दी ही सूखते चले जाएँगे !"ये दुष्प्रभाव अक्टूबर 2016 तक विशेष रहेगा जैसा जैसा समय बीतता जाएगा वैसा वैसा घटता जाएगा दुष्प्रभाव !" इस लिंक(http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2016/04/10-4-2016.html) पर ये लेख बिना किसी संशोधन के पड़ा हुआ है विश्वास के लिए इसकी जाँच परख की जा सकती है !महोदय !चूँकि गर्मी ,सूखा से लेकर आग लगने जैसी घटनाएँ एवं कुएँ तालाब नदी आदि के सूखने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी 10-4-2016 के बाद ही हुई है इसलिए इस बिषय में मेरे शोधकार्य को सही मानते हुए इससे बचाव के लिए शास्त्रों में यज्ञ आदि जो उपाय बताए गए हैं वो किए जाने चाहिए !
       महोदय !ऐसे ही अन्य घटनाओं ,भूकंपों ,वर्षा ,चिकित्सा,मनोरोगियों,सामाजिक व्यवहारों परिवारों के विषय में मैं जो काम कर रहा हूँ इस शोधकार्य में सरकार से सहायता की अपेक्षा है।आपसे निवेदन है कि हमारे इस शोधकार्य को 'समयविज्ञान' के नाम से पहचान मिले !    
                                                              निवेदक  भवदीय - 
                                           राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोधसंस्थान(रजि.)
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एम. ए.(व्याकरणाचार्य) ,एम. ए.(ज्योतिषाचार्य)-संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी
एम. ए.हिंदी -कानपुर विश्वविद्यालय \ PGD पत्रकारिता -उदय प्रताप कालेज वाराणसी
पीएच.डी हिंदी (ज्योतिष)-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU )वाराणसी
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