सोमवार, 2 मई 2016

आदरणीय प्रधानमंत्री जी सादर प्रणाम !
 विषय -देश में बढ़ रही आग लगने की घटनाओं के विषय में -
महोदय ,
       आपको ये सूचना देते हुए यदि मुझसे कोई गलती हो रही हो तो मैं अग्रिम क्षमा याचना के साथ आपको अपना राष्ट्रीय अभिभावक समझकर अपने सामान्य बौद्धिक स्तर से जिस बात को आपसे बताना जरूरी समझ रहा हूँ वो आपसे कर रहा हूँ यदि उचित न लगे तो मुझे क्षमा कर दीजिएगा !
  श्रीमान जी ! मैं जिस विषय का निवेदन कर रहा हूँ आधुनिक शिक्षित समाज का अधिकाँश वर्ग उस विषय को अंधविश्वास मानता है किंतु मैंने काशी हिंदू विश्व विद्यालय से उसी  विषय में Ph .D. की है और प्राचीन विज्ञान से संबंधित ग्रंथों के सहयोग से 'समयविज्ञान ' पर काम कर रहा हूँ ।समय का सिद्धांत है कि "यदि ऐसा  हुआ है तो वैसा होगा " चिकित्सा विज्ञान से लेकर प्राकृतिक विज्ञान मौसम विज्ञान जैसे हर क्षेत्र में इसी सिद्धांत से कई बहुमूल्य एवं गूढ़ प्राकृतिक रहस्यों को समझ सका हूँ यदि कभी आपके यहाँ से समय मिला तो जरूर आपके सामने रख सकने का सौभाग्य लाभ लूँगा !
     श्रीमान जी !समय सबसे अधिक बलवान होता है ऐसा लगभग सभी लोग स्वीकार करते है चिकित्सा में जितना महत्त्व  है उससे कम समय का नहीं है समय अनुकूल होने पर औषधि के अभाव में भी बहुत सारे रोगियों को स्वस्थ होते देखा जा सकता  किन्तु समय की प्रतिकूलता में अच्छी से अच्छी औषधि देकर भी रोगी को निरोग कर पाना कठिन ही नहीं असम्भव भी होते देखा जाता है ।इसी प्रकार से  चिकित्सा के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी है अस्तु समय का महत्त्व सबसे अधिक माना जा सकता है !
    महोदय ,समय जैसे महत्त्वपूर्ण विषय पर कोई अध्ययन की व्यवस्था होगी मुझे इसकी जानकारी नहीं है किंतु मैंने  अपने शोध कार्य को 'समयविज्ञान' नाम देते हुए कई क्षेत्रों में रिसर्च किया है

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