राजनैतिकपार्टियाँ हमसे स्वतंत्र और मैं उनसे स्वतंत्र हूँ !न मैं पार्टियों पर बोझ बना हूँ और न ही पार्टियाँ मुझ पर हैं !जो चाहो सो लिखो बताओ बोलो -
"गरीबों के हाथ में आरक्षण जैसी भीख का कटोरा पकड़ाकर सत्ता माँगने वालों का विरोध करना हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है ! हमारे पूर्वजों ने किसी भी जाति का शोषण कभी नहीं किया है इसलिए ऐसे आरोप बर्दाश्त नहीं किए जा सकते !" खुली बहस के लिए चुनौती है !!
"गरीबों के हाथ में आरक्षण जैसी भीख का कटोरा पकड़ाकर सत्ता माँगने वालों का विरोध करना हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है ! हमारे पूर्वजों ने किसी भी जाति का शोषण कभी नहीं किया है इसलिए ऐसे आरोप बर्दाश्त नहीं किए जा सकते !" खुली बहस के लिए चुनौती है !!
इस उद्देश्य से मैं गया तो बहुतों के पास और आगे भी जाऊँगा इस भ्रष्ट राजनीति को ठिकाने भी लगाऊँगा जो इसमें घुसे बिना संभव नहीं है !
देश के गरीबों के नाम पर लूट, किसानों के नाम पर लूट, मजदूरों के नाम पर लूट,महिलाओं बच्चों विद्यार्थियों के नाम पर लूट! बारी राजनीति ! चुनावों के समय इन लोगों को आश्वासन कुछ देना और सत्ता मिलने पर करना कुछ !बातों में सेवाभाव और आचरण में गरीबों का हिस्सा हड़पने की नीति !राजनीति का दोहन केवल अपने और अपनों के लिए ये नहीं सहा जाएगा !अन्याय का विरोध करना हमारा धर्म है ।
बंधुओ ! देश के गरीब अमीर सभी भाइयों बहनों एवं अपने सभी देशवासियों के लिए प्रतिदिन सोलह घंटा परिश्रम पूर्वक लिखता हूँ वर्षों बीत गए इसी
कठोर साधना में ! इंटरनेट के विविध माध्यमों पर पड़े हमारे हजारों लेख इस बात के
गवाह हैं !इसके आलावा भी अपनी लिखी हुई करीब छोटी बड़ी करीब 100 पुस्तकें हैं उनमें से लगभग 25 तो प्रारंभिक कक्षाओं में पढ़ाई भी जाती हैं ।
इतना ही नहीं मैं स्वयं अपने बच्चों को ग़रीबों के बच्चों के साथ ही सरकारी स्कूलों में पढ़ाता हूँ !मैं ब्राह्मण हूँ देश के दीन दुखियों के लिए जीना
हमारा धर्म है यही कर्तव्य है ये मुझे याद है यही पूर्वजों का आदेश है ! हर क्षण देश और समाज
के लिए जीता हूँ रात रात भर जगता हूँ जब कोई पार्टी गरीबों के हित का
संकल्प लेती दिखती है तो उस पर विश्वास करके उसके पक्ष में लिखने लगता हूँ कि शायद ग़रीबों के
लिए ये कुछ करें किंतु जैसे ही उसके नेता लोग अपनों के साथ मिलकर सत्ता
भोगने लगते हैं तो मैं फिर से ग़रीबों के हित में लिखने लगता हूँ ।
बंधुओ ! मैं ग़रीबों के लिए जीता हूँ ! सोचा था कि किसी राजनैतिक दल
को यदि लगेगा कि देशहित में मेरा भी उपयोग किया जा सकता है तो शायद मैं और
अधिक ताकत से अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ पाऊँ अर्थात लोगों के लिए कुछ कर
पाऊँ ! बस इसी भावना से किसी राजनैतिकदल से जुड़ने के प्रयास में लगा रहा किंतु जिस राजनैतिक दल के मालिक मठाधीशों से मिला !उनमें से एक ने कहा कि - "तुम चंडी पाठ करने वाले हम रंडीवाजों के बीच कितने दिन ठहर पाओगे !" गो रक्षा के मुद्दे पर एक निजी चर्चा में एक पदाधिकारी ने कहा कि ये सब बकवास है -"बीमारों की तरह घास फूस ( साग सब्जी ) ही यदि खाना है तो काहे की पार्टी और काहे का त्यौहार !" एक ने कहा कि - "मैं मंदिर नहीं जाता किसी कथा भागवत को नहीं मानता किसी वेद पुराण को नहीं मानता !किसी देवी देवता का प्रसाद कभी नहीं खाता । " तिलक लगा लेता हूँ क्योंकि हिंदू हूँ !" खैर ! ये अपने दल के बड़े लोग हैं और निजी संपर्कों को निजी ही रखना मर्यादा है किंतु यह सब सुन कर ठेस जरूर लगी किंतु जिस दल पर विश्वास किया उसी के नेताओं से लगी ठेस कहें किससे ! अंततः विचारधारा को बचाना अपना धर्म समझता हूँ औरों से तो अच्छे हैं बस ये सोचकर संतोष कर लेता हूँ ।
मैं केवल भ्रष्ट राजनेताओं का ही विरोधी नहीं हूँ इसके अलावा भी जो बाबा पाखंडी हैं व्यापारी हैं धूर्त हैं कसरत व्यायाम को योग बताकर लूट रहे हैं !समाज को दिए विश्वास और स्वेच्छा से स्वीकार की गई अपनी ही वेषभूषा के विरुद्ध आचार व्यवहार को अपना रहे हैं उसे भी धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार मानता हूँ उनका धन भी कालाधन ही मानता हूँ !क्योंकि उनके आचार व्यवहार से कपट झलकता है न केवल इतना अपितु उनका सारा कारोबार ही कपट की बुनियाद पर खड़ा होता है !इसलिए इसे धर्म नहीं कहा जा सकता !
इसी प्रकार से नचैेयों गवैयों की भागवत नाम की भोगवतकथाओं को मैं भ्रष्टाचार मानता हूँ ।ऐसे ही अनपढ़ ज्योतिषी तांत्रिक जिनके पास अपने विषयों के अध्ययन के सरकारी विश्व विद्यालयों से प्राप्त डिग्री प्रमाणपत्र नहीं हैं ऐसे सभी प्रकार के भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध जन जागरण करना हमारा धर्म है !
जिस विषय को जो स्वयं पढ़ा ही नहीं होगा उसके विषय में वो जो कुछ भी बोलेगा वो झूठ ही तो होगा !ये धोखाधड़ी नहीं तो क्या है !इसलिए इसका विरोध होना ही चाहिए !
मैंने चार विषय में एम.ए.और एक विषय में BHU से Ph.D.घूस देने के लिए मेरे
पास पैसे नहीं थे बिना पैसों के नौकरी मुझे मिलनी नहीं थी इसलिए मैंने
सोचा नौकरी के लिए प्रयास करके अपना मनोबल क्यों गिराऊँ बिना नौकरी के ही
जीवनयापन क्यों न कर लिया जाए !see more About Me ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें