गुरुवार, 30 जून 2016

बाबारामदेव जी सिद्ध करें कि ज्योतिष पाखंड और ज्योतिषी पाखंडी हैं ! प्रधानमंत्री जी को भेजा गया मेरा पत्र !

  शास्त्रों ने अनंत काल से भारतीय ज्ञान विज्ञान तथा संस्कृति को सँवारा एवं सुरक्षित रखा है हर युग में हमारा मार्ग दर्शन किया है इसलिए कोई भी कृतज्ञ स्वाभिमानी हिंदू वेदों शास्त्रों पुराणों रामायणों गीता उपनिषद  गौ गंगा गायत्री की निंदा नहीं सह सकता है । शास्त्रनिंदा सहना कठिन ही नहीं असम्भव भी है !जो चीज समझ में न आवे उसे गलत कह देना कहाँ का न्याय है जिसने कुछ भी न पढ़ा हो उसे सब कुछ पाखंड लगेगा इसमें शास्त्र का क्या दोष !अपनी अयोग्यता छिपने के लिए शास्त्रों को गलत कहने लगना इसका क्या औचित्य !
  ज्योतिष वेदों का नेत्र है और 6 शास्त्रों में ज्योतिष शास्त्र का भी स्थान है अनंत काल से ऋषियों मुनियों महर्षियों के द्वारा चिरपरीक्षित है । यहाँ तक कि आयुर्वेद में भी कई जगह प्रयोग किया गया है ज्योतिष वास्तु आदि का ! ग्रह शांति के लिए नग नगीना पहनने का विधान आयुर्वेद में भी बताया गया है !शकुन अपशकुन स्वप्न फल और सामुद्रिक विद्या भी है आयुर्वेद में !यहाँ तक कि आयुर्वेद के 6 अंगों में भूत विद्या का भी स्थान है !इतना ही नहीं ज्योतिष शास्त्र के बिना अधूरा है चिकित्सा शास्त्र इस बात को आधुनिक और वैज्ञानिक पद्धति से मैं सिद्ध करने को तैयार हूँ !इतने सबके बाद भी अचानक कोई कह दे कि ज्योतिष शास्त्र पाखण्ड है तो ये शास्त्र का अपमान होने के नाते सहने लायक नहीं है!इसलिए मेरा विनम्र आह्वान है कि बाबारामदेव सिद्ध करें कि ज्योतिष शास्त्र पाखंड है ।
सभी भाई बहनों से विनम्र  निवेदन -
     सम्माननीय योग गुरु बाबा रामदेव जी को सिद्ध

करना चाहिए कि उन्होंने ज्योतिष अर्थात शनि राहु केतु  एवं साढ़े साती की गणना को पाखंड किस आधार पर कहा है !क्या वे ज्योतिष को नहीं मानते या फलित ज्योतिष को नहीं मानते !आयुर्वेद को मानते हैं या नहीं ये उन्हें स्पष्ट करना चाहिए !आयुर्वेद भी पूरा  मानते हैं या अपनी सुविधानुसार उसका कुछ अंश मानते हैं और यदि आयुर्वेद पूरा  मानते हैं तो आयुर्वेद  के बड़े ग्रंथों में जो ज्योतिष का प्रयोग मिलता है उसे वो क्या मानते हैं ।यदि आयुर्वेद के ग्रंथों में वास्तुशास्त्र का प्रयोग मिलता है ग्रहों और नक्षत्रों के फल का वर्णन है, ग्रहों की शांति का वर्णन है, ग्रहों की शांति के लिए नग नगीनों को धारण करने का वर्णन है ,शकुनों अपशकुनों का वर्णन है, स्वप्नों के दर्शन के फल का वर्णन है ,शरीर के लक्षणों और चिन्हों का वर्णन है जिसे सामुद्रिक कहा जाता है ! यहाँ तक कि आयुर्वेद के प्रमुख 6 अंगों में ही "भूतविद्या" का भी वर्णन है ।जिसमें वो सरे विषय आते हैं जिनका उपहास उड़ाया गया है !ये सारे विषय फलित ज्योतिष शास्त्र  के हैं जिनका प्रयोग आयुर्वेद के ग्रंथों में मिलता है !
     भगवान धन्वंतरि ने सुश्रुत से ये भी कहा है कि आयुर्वेद में आयुर्वेद के अलावा भी जिन शास्त्रों का वर्णन है उसका अध्ययन उन्हीं शास्त्रों से करना चाहिए 'अन्यशास्त्रोपन्नानाम् '   इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि एक हि शास्त्र को पढ़ने वाला व्यक्ति शास्त्र के निश्चय को नहीं जान सकता इसलिए जिसने बहुत शास्त्र पढ़े हों वही चिकित्सकशास्त्र को समझ सकताहै !
 एक शास्त्रमधीयानो न विद्याच्छास्त्र निश्चयम्     |
तस्मात् बहु श्रुतः शास्त्रं विजानीयात् स चिकित्सकः || 
      इस वाक्य से चिकित्सक के लिए भगवान धन्वंतरि का आदेश है कि ज्योतिष आदि सभी शास्त्रों का अध्ययन करना चाहिए !इसके बाद भी रामदेव जी के द्वारा ज्योतिष वास्तु नग नगीना एवं वास्तुविद्या की निंदा करने का आधार क्या है !ये बात उन्हें सिद्ध करनी चाहिए । 
      यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो मैं उनके अपने द्वारा अपनाए गए संन्यास,योग,आयुर्वेदएवं व्यापार के विषय से जुड़े प्रश्न पूछूँगा और उनके अपने मुख से उनके अपने आचार व्यवहार एवं व्यापार के विषय में जानना चाहूँगा कि ये कितना शास्त्रीय  है और कितना पाखंड है या इसमें पाखंड बिलकुल नहीं है शत प्रतिशत शुद्ध सात्विक एवं शास्त्रीय है । 
        मेरा उद्देश्य किसी का अपमान करना कतई नहीं है हम चाहते हैं कि शास्त्रों के विषय में भ्रम न फैलाया जाए और शास्त्रीय सत्यता का सम्मान हो !अन्यथा आयुर्वेद के लोग ज्योतिष की निंदा करने लगें और ज्योतिषी लोग आयुर्वेद की निंदा करें तो इससे अंततः नुक्सान शास्त्र और संस्कृति का ही होगा इसे बचाया जाना चाहिए । 
      जहाँ तक ज्योतिष के क्षेत्र में पाखंडियों के भ्रम फैलाने की बात है तो धर्म से लेकर चिकित्सा, राजनीति,विज्ञान आदि से संबंधित कोई भी क्षेत्र पाखण्डों से अछूता नहीं है !यदि कोई हमारी बात से सहमत न हो तो वो हमें चुनौती दे मैं सिद्ध करने को तैयार हूँ !जहाँ तक बात ज्योतिष की है इसका पाखण्ड दूर करने के लिए सरकार को ज्योतिष का काम करने की अनुमति मेडिकल की तरह ही केवल उन्हीं लोगों को देनी चाहिए जिन्होंने सरकार के किसी विश्वविद्यालय से पढ़कर ज्योतिष विषय में डिग्री ली हो !साथ ही  वही उपाय बतावें जो शास्त्र से प्रमाणित कर सकें !इतना करने मात्र से ज्योतिष के क्षेत्र में फैला पाखंड रुक जाएगा !
        वैसे भी बाबा रामदेव जी ने केवल पाखंडी ज्योतिषियों की ही निंदा नहीं की है अपितु उन्होंने ज्योतिष शास्त्र  की निंदा की है । इसका स्पष्टीकरण भी उन्होंने एक ऐसे ग्रन्थ को उद्धृत करते हुए दिया है जो लिखा ही इस पद्धति पर गया है कि जो अपने को समझ में न आए उसे गलत पाखण्ड आदि कुछ भी कह दो !किंतु ये ढंग ठीक नहीं है फिर भी मैं बड़ी विनम्रता पूर्वक बाबा रामदेव जी से जानना चाहता हूँ कि उनके ज्योतिष विरोधी बयान के आधारभूत तर्क और प्रमाण क्या हैं !

रामदेव जी ने ज्योतिष और ज्योतिषियों के विषय में क्या कहा है यह जानने के लिए खोलें ये लिंक और पढ़ें -

  • IBN -7
रामदेव बोले, रत्नशास्त्र-वास्तुशास्त्र पाखंड, 'कृपा' के कारोबारी ढोंगी! see more...http://khabar.ibnlive.com/news/desh/baba-ramdev-yoga-day-faridabad-nirmal-baba-gemmology-492348.html 
  • दैनिक जागरण -
समाज को गर्त में धकेल रहे  हैं पाखंडी !-बाबा रामदेव
see more.... http://www.jagran.com/haryana/faridabad-14187390.html

 इसी विषय में पढ़ें मेरा यह लेख भी -

'योगपर्व' या 'ज्योतिषशास्त्रनिंदा पर्व' !

बाबा रामदेव सिद्ध करें कि 'ज्योतिषशास्त्र' पाखंड है 

और ज्योतिषशास्त्र के विद्वान् लोग पाखंडी हैं !

 see more.

...http://bharatjagrana.blogspot.in

/2016/07/blog-post.html

 

     

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