रविवार, 31 जुलाई 2016

बाबा रामदेव ने शास्त्र पढ़े हैं तो शास्त्रार्थ करें !अन्यथा ज्योतिष के विषय में बकवास बंद करें !

       ज्योतिष विज्ञान है इसे सरकार के किसी भी मंच पर मैं सिद्ध  तैयार हूँ !इतना ही नहीं यहाँ तक कि ज्योतिष के बिना चिकित्सा शास्त्र और विज्ञान कैसे अधूरा है यह भी सिद्ध करूँगा !
  हमारे प्रश्नों का जवाब दें बाबा रामदेव ! और चिकित्सा विज्ञान की सभी पद्धतियाँ !
 हमारा पहला प्रश्न - एक बीमारी एक जैसे रोगी एक डॉक्टर और एक जैसा इलाज होने पर भी उसका असर अलग अलग होते क्यों देखा जाता है ?एक रोगी स्वस्थ हो जाता है एक अस्वस्थ रहता है एक मर जाता है आखिर क्यों ?
हमारा दूसरा प्रश्न-आयुर्वेद में वर्णित असाध्य(जो बिलकुल ठीक नहीं हो सकते )  और कष्टसाध्य (जिनमें चिकित्सा से केवल कुछ सुधार किया जा सकता है बस !) ऐसी परिस्थिति में किसी रोग के असाध्य और कष्टसाध्य होने के कारण क्या हैं ?
हमारा तीसरा प्रश्न - आयुर्वेद की उद्घोषणा है कि  असाध्य रोगी स्वस्थ करना चिकित्सा के बश की बात नहीं है और कष्टसाध्य रोगी स्वस्थ नहीं किए जा सकते केवल स्थिर रखे जा सकते हैं जबकि केवल साध्य रोगी  ही स्वस्थ  किए जा सकते हैं !यदि ये बात सही है तो साध्य रोगी तो बिना औषधि के भी स्वस्थ होते देखे जाते हैं फिर उनकी औषधि करके उन्हें स्वस्थ करने का श्रेय चिकित्सा को क्यों मिलना चाहिए ?
 हमारा चौथा प्रश्न- ज्योतिष की दृष्टि से जब जिनका जो समय शुभ होता है वो जंगल में रहें या राजमहलों में यदि वे रोगी भी हो जाएँ और उन्हें चिकित्सा की कोई व्यवस्था न मिले तो भी अपने शुभ समय के प्रभाव से वे स्वस्थ होते देखे जाते हैं । इसी प्रकार से जिनका समय अशुभ होता है ऐसे राजा महाराजा मंत्री मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री राष्ट्रपति  जैसे सर्व साधन संपन्न लोग भी बड़े बड़े चिकित्सकों के द्वारा बहुमूल्य औषधियाँ का प्रयोग किए जाने के बाद भी बचाए नहीं जा पाते !क्योंकि उनका समय अशुभ था । यदि स्वस्थ और अस्वस्थ होने में जीवित बचने और न बचने में मूल कारण समय ही है तो रोगी के स्वस्थ होने पर अपनी पीठ थपथपाने वाले चिकित्सक लोग रोगी के अस्वस्थ रहने या मृत हो जाने पर उसकी जिम्मेदारी अपने ऊपर क्यों नहीं लेते !तब वो जिस क़ुदरत नेचर समय भाग्य आदि को कोसते देखे जाते हैं रोगी के स्वस्थ होने का श्रेय भी क़ुदरत नेचर समय भाग्य आदि को ही क्यों नहीं देते हैं ?
  हमारा पाँचवाँ प्रश्न- जब जिसका अच्छा बुरा आदि जैसा भी समय होता है तब उसके ऊपर अच्छा बुरा आदि वैसा ही चिकित्सा अर्थात औषधियों का असर होता है कई बार अच्छी से अच्छी चिकित्सा होने के बाद भी समय के प्रभाव से रोगी मरते जाते  हैं इसलिए समय  महत्त्व औषधीय चिकित्सा से अधिक क्यों नहीं माना जाना चाहिए !
 हमारा छठा प्रश्न- जिसका समय बुरा होता है उसे कोई भी चिकित्सा व्यवस्था स्वस्थ नहीं कर सकती फिर बाबा रामदेव जैसे कसरती लोगों के हाथ पैर हिलाने डुलाने उलटे सीधे खड़े होने उछलने कूदने पेट फुलाने  पिचकाने से कोई कैसे स्वस्थ कैसे और कितना हो जाएगा ? 
  हमारा सातवाँ प्रश्न
     बाबा राम देव जब योग के नाम पर कसरतें बेचा करते थे तब कसरतों की बिक्री बढ़ाने के लिए प्रशंसा में विज्ञापन करने के लिए वे सैकड़ों बड़े बड़े भयानक रोगों की लंबी लंबी लिस्टें रटकर समाज को सुनाया करते थे और बताया करते थे कि ये सब ठीक करना है तो कसरत कीजिए !लोगों ने इनकी बातों पर भरोसा कर लिया किंतु फिर भी जब स्वस्थ नहीं हुए तो लोग कानाफूसी करने लगे !चतुर बाबा जी समझ गए कि इससे तो पोल खुल सकती है तो उन्होंने दवाएँ बेचनी शुरू कर दीं बोले रोग इनसे ठीक होंगे किंतु जब उनसे भी नहीं ठीक हुए तब बाबा जी ने फिर एक पैंतरा बदला और आता दाल चावल सरसों का तेल जैसी खाने पीने के सामान बेचने लगे और कहा कि शुद्ध खाओगे तो रोग होंगे ही नहीं !
 दिनिं बाबा जी ने इससे बचने के लिए ग लोभ में आ गए और इनके पीछे चल दिए
      भोजन व्यायाम और औषधियाँ आदि इन तीन बातों में हमारा यदि खान पान आदि भोजन शुद्ध है तो रोग होगा ही नहीं !यदि रोग होगा भी तो व्यायाम(योग) से ठीक हो जाएगा !और यदि इन दोनों से न ठीक हो तब  औषधियों की बारी आती है । ये हम सबको पता है कि हमारे स्वास्थ्य पर मुख्य असर हमारे भोजन का होता है यदि हम शुद्ध भोजन करेंगे तो स्वस्थ रहेंगे !दूसरा असर व्यायाम(योग) का है गरीबों किसानों मजदूरों जैसे परिश्रमी लोगों व्यायामों (योग)की जरूरत नहीं पड़ती है जो खाते तो हैं किंतु पचाने के लिए मेहनत नहीं करते उनके हाथ पैर हिलाने डुलाने को
   औषधियाँ - हमारे अस्वस्थ शरीरों को स्वस्थ करने में औषधियों की बहुत बड़ी भूमिका होती है इसलिए हमारे जीवन में औषधियों का बहुत बड़ा महत्त्व होता है । 
      व्यायाम - हमारे शरीरों को मजबूत बनाता है और अस्वस्थ शरीरों को निरोग बनाता है ।
     
    
     
     यदि रोगी के स्वस्थ होने और न होने में
 
    कारण हो जाते तो इसका चिकित्सा और चिकित्सक अपनी पीठ थपथपाते किंतु की जाने वाली   आदि रहने वाले लोग हों या जंगली पशु आदि बिना चिकित्सा के भी बीमारियों से मुक्त होकर स्वस्थ हो जाने वाले प्राणी हों या साध्य होने के कहाँ चिकित्सा करवाने जाते हैं किंतु साध्य होने के कारण स्वस्थ हो जाते हैं तो चिकित्सा कीभूमिका क्या है ?
      फिर औषधि की भूमिका क्या है ?
    किंतु समय थोड़ा अधिक जरूर लगता है जंगल में रहने वाले लोग हों या जंगली पशु आपस में लड़ भिड़ कर घायल हो जाते हैं किंतु बिना किसी औषधि के भी समय के साथ साथ वे स्वस्थ हो जाते हैं । दि के भी कर भी नहीं किए जा सकते   
  प्रधानमंत्री जी ! बाबारामदेव को क्या  ज्योतिष की निंदा करने के लिए  ही सौंपा गया था 'योगमंच' ?
बाबा रामदेव ने शास्त्र पढ़े हैं तो शास्त्रार्थ करें !
   बाबारामदेव ने सरकारी मंच से ज्योतिष की निंदा करके किया है अक्षम्य अपराध ! ज्योतिष पाखंड है ज्योतिषी पाखंडी हैं या फिर पाखंडी हैं स्वयं बाबा रामदेव ! इसके निर्णय के लिए शास्त्रीय बहस में हिस्सा लें बाबा रामदेव ! शास्त्रार्थ के लिए व्यवस्था करे सरकार !आखिर ज्योतिष को गालियाँ देने के लिए बाबा रामदेव ने जिस मंच का उपयोग किया था वो भी तो सरकारी खर्चे से ही बना था !   
     सरकारी मंच से बाबारामदेव ने उस ज्योतिष शास्त्र की निंदा की है जिस ज्योतिष की शिक्षा व्यवस्था पर करोड़ों रूपए महीने खर्च करती है भारत सरकार !सरकार ने आखिर सह कैसे ली ज्योतिष शास्त्र की निंदा!सरकारी कार्यक्रम के मंच पर ज्योतिषशास्त्र की निंदा की कोई आवश्यकता ही नहीं थी !सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं थी । अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस में ज्योतिषशास्त्र की निंदाकरने करवाने का कोई कार्यक्रम नहीं था फिर बाबा बहके क्यों ?
  बाबा रामदेव ने जब ज्योतिष पढ़ी ही नहीं हैं उन्हें ज्योतिष के विषय में कुछ अता पता ही नहीं है फिर ज्योतिष सच है या पाखंड इसका पता उन्हें कैसे लगा !और बिना पता के उन्होंने ज्योतिष को पाखंड बोला  क्यों ?और यदि उन्होंने ज्योतिष पढ़ी है तो किस विश्व विद्यालय से किस कक्षा तक ?और यदि नहीं पढ़ी है तो बकवास करने की जरूरत क्या थी और पढ़ी है तो शास्त्रार्थ का सामना क्यों नहीं करते !
   सरकारी कार्यक्रम की मर्यादापालन में चूक कहाँ हुई !सरकारी मंच पर अचानक क्यों बहक गए बाबा रामदेव !अगर उनकी बकवास का उत्तर उसी भाषा में उसी समय देने लगते ज्योतिष को मानने वाले लोग तो क्या हालत होती योगपर्व की !आखिर करोड़ों लोग ज्योतिष पर भरोसा करने वाले भी हैं ज्योतिष की निंदा वो मौन रहकर सुन और सह लेंगे इतना गिरा हुआ समझ लिया गया उन्हें !इसके लिए जिम्मेदार कौन बाबा रामदेव या सरकार !
   बाबारामदेव पाखंडी हैं या ज्योतिष के विद्वान ! खुलीबहस हो समाज फैसला करे कि देश का सबसे बड़ा पाखंडी कौन !!
   हे ज्योतिषशास्त्र द्रोही बाबारामदेव जी !ज्योतिष को गलत सिद्ध कीजिए या फिर माफी माँगिए जनता से   और खुले मंच से स्वीकार कीजिए कि ज्योतिष की निंदा करते हुए आपने जो कुछ बोला है वो निंदनीय है !
     को सरकारी कार्यक्रम का मंच उपलब्ध करवाया गया था या मंच पर पहुँचकर सोर्सफुल होने के गुरूर में बाबा रामदेव बहक गए और बयाने लगे बिना शिर पैर की वे बातें जिनके विषय में उनके पास कोई प्रमाण ही नहीं थे और यदि ऐसा  था तो सरकार की ओर से बाबा को रोका क्यों नहीं गया !आजतक ज्योतिष शास्त्र विरोधी बाबा रामदेव के बयान की निंदा क्यों नहीं की गई !
     'योग' भी 'ज्योतिष' के बिना ढोंग है ! जिसका समय ख़राब हो उसे कैसे ठीक कर देगा योग और आयुर्वेद !'योग' दिव्य विद्या है किंतु योग के नाम पर नाचने कूदने वाले नट नागर क्या समझेंगे ज्योतिष का महत्त्व !पंसारियों को तो अपना माल बेचने से मतलब !वो बाबा बन के बिके तो बाबा बन कर बेच लेंगे !
     ज्योतिषियों को पाखंडी कहने वाले बाबा रामदेव जी! आप तो चैरिटी चैरिटी के गीत दिन भर गाते हो किंतु चैरिटी में कमाई नहीं होती!चैरिटी वाले इतने महँगे महँगे विज्ञापन नहीं देते !फिर आप कैसे हो गए अरबोपति !ये जनता को भी पता है जहाँ कमाई वहाँ चैरिटी कैसी ! ये धोखा है ये झूठ है ये पाखंड है !अपनी संपत्ति को आप पात्रता से प्राप्त बताते हैं और गरीबों की गरीबत उनकी कुपात्रता है क्या !इतनी गिरी सोच !हो सकता है कि वो ईमानदार हों इसलिए गरीब हों ऐसा भी तो हो सकता है । 
            योग आयुर्वेद समेत समस्त चिकित्सा पद्धतियों का मनना है कि साध्य रोगी ही ठीक हो सकता है कष्ट साध्य रोगी मुश्किल से ठीक होता है और असाध्य रोगी बिलकुल नहीं ठीक होता किंतु साध्य रोगी  कौन !जिसका समय ठीक होता है वो !किंतु समय किसका ठीक इसका निर्णयतोज्योतिषशास्त्र ही करेगा !
     जो निरक्षर बाबा लोग ज्योतिष को गालियाँ देने लगे हैं इसका सीधा सा मतलब है कि ऐसे पाखंडियों ने न कुछ पढ़ा है और न ही इन्हें कुछ पता है जबकि सारा संसार जनता है कि जिसका समय सही है वही स्वस्थ हो सकता है जिसकी जब तक आयु है और वही बचाया जासकता है ! ज्योतिष शास्त्र समय संबंधी पूर्वानुमान का सबसे बड़ा विज्ञान है !ये अगर पेट पिचका कर पैसे कमाने वाले नट नागरों को न समझ में आए तो इसके लिए ज्योतिष शास्त्र और ज्योतिष विद्वान क्या करें !कैसे घुसाएँ उन दिमागी अपाहिजों की घमंडी खोपड़ी में! 
     जिस ज्योतिष शास्त्र को आयुर्वेद केवल मानता ही नहीं है अपितु आयुर्वेद अधूरा है ज्योतिष शास्त्र के बिना !आयुर्वेद के बड़े बड़े ग्रंथों में ज्योतिष शास्त्र संबंधित बातों को उद्धृत किया गया है  गया है !यदि कोई व्यक्ति ज्योतिष शास्त्र न भी पढ़ा हो केवल आयुर्वेद भी पढ़ा हो तो उसे भी पता होगा ज्योतिष शास्त्र का महत्त्व किंतु जिसने कुछ पढ़ा ही न हो उसके लिए बेकार है ज्योतिष क्या कोई भी शास्त्र ! वो जिस विषय में जितनी चाहे उतनी बकवास करे स्वतंत्र है वो !जितनी योग के नाम पर कसरत करने के लिए हाथ पैर तो कोई भी हिला  डुला सकता है पढ़ा हो या अनपढ़ किंतु ज्योतिष शास्त्र वेदों का नेत्र है !ये उसी को समझ में आएगा जिसके पास दिमाग होगा !ज्योतिष जैसे शास्त्र के विषय में मुख उठा के ऐसे ऐसे लोग बकवास करने लगते हैं जिनमें शास्त्रों को समझने की क्षमता ही नहीं है । 
    आयुर्वेद के शीर्ष ग्रंथों में भी औषधि आहरण से लेकर औषधि निर्माण एवं औषधि दान तक की विधि में ज्योतिष शास्त्र का भरपूर उपयोग किया गया है !औषधि आहरण में स्थान विशेष की चर्चा सुश्रुत संहिता में वास्तु के आधार पर ही की गई है की तक की विधि थ भी कहते हैं !ज्योतिषशास्त्र जन्मपत्री विज्ञान वास्तु विज्ञान को यदि वे गलत कहते हैं तो इधर उधर योग शिविरों कहते क्यों घूम रहे हैं सीधे शास्त्रार्थ करें और गलत सिद्ध करके दिखावें ज्योतिष को !साधू संतों जैसा वेष धारण करके शास्त्रों की निंदा करना निंदनीय है कोई बात यदि किसी को समझ में न आवे इसका मतलब ये नहीं कि वो गलत है !रिओं यदि उन्हें गलत की सत्यता पर यदि संदेह हो तो बाबा जी करें शास्त्रार्थ !सरकार व्यवस्था करे !
    योग शिविरों में ज्योतिष की बुराई करना ठीक नहीं है यदि ज्योतिष की पद्धति गलत सिद्ध होगी तो बंद कर दी जाएगी !दूध का दूध पानी का जाएगा !यदि सही होगी तो ज्योतिष की बुराई बंद हो जाएगी !ऐसे कोई भी कभी भी ज्योतिष की निंदाकरने लगता आखिर ज्योतिष एक विषय है !कोई ज्योतिषी गलत हो सकता है किंतु शास्त्र नहीं !केवल ज्योतिष ही नहीं संपूर्ण धर्म क्षेत्र ही आज भ्रष्टाचार का शिकार है योग्य और सदाचारी लोगों को खोज पाना दिनोंदिन कठिन होता जा रहा है !धर्म की जितनी विधाएँ हैं सब फेल होती जा रही हैं समाज में बढ़ते अपराध इस बात के सुदृढ़ प्रमाण हैं !पैसे के बल पर भीड़ कहीं कोई कितनी भी इकट्ठी कर ले किंतु समाज सिरे से ख़ारिज करता जा रहा है !ज्योतिष शास्त्र के क्षेत्र में जो ज्योतिष पढ़े नहीं हैं वो भी ज्योतिष की निंदा करते हैं अरे !जिस विषय को आप जानते ही नहीं हैं उसके सही गलत होने का फैसला आप कैसे कर सकते हैं ! आखिर ज्योतिष भी एक शास्त्र है कोई व्यक्ति कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए वो शास्त्र से बड़ा कभी नहीं हो सकता !वैसे भी शास्त्रार्थ अपनी पुरानी परंपरा है इसमें कोई बुराई भी नहीं है ! शंका समाधान हो जाए तो क्या बुरा है !
" ग्रहों की मान्यता को पाखंड बताने वाला कोई भी व्यक्ति यदि ज्योतिष पढ़ा हो तो उसे शास्त्रार्थ की खुली चुनौती !"
     जिसने ज्योतिष पढ़ी हो उसी से हो सकता है शास्त्रार्थ !और जिसने जिस विषय को पढ़ा ही न हो वो उस विषय को सही या गलत कैसे कह सकता है ।बिना पढ़े लोग तो सारी दुनियाँ को अपने जैसा ही अनपढ़ समझते हैं इसलिए मुख उठाकर कभी किसी को भी कुछ भी बोल देते हैं ऐसे लोगों से शास्त्रार्थ कर पाना कैसेsee more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2016/06/blog-post_20.html "

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