जब ज्योतिष भी अन्य सब्जेक्ट ही तरह ही
एक सब्जेक्ट है जिसे अन्य विषयों की तरह ही बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी जैसे
बड़े विश्व विद्यालयों में पढ़ाया जाता है अन्य विषयों की तरह ही इसका भी
अलग से डिपार्टमेंट है अन्य विषयों की तरह ही ज्योतिष में भी M. A. , Ph.D. जैसी बड़ी
डिग्रियाँ होती हैं । उतना ही परिश्रम
करना होता है जितने समय में अन्य विषयों को पढ़ने में डिग्रियाँ मिलती हैं
उतना समय ही ज्योतिष में लगता है ।जब भारत सरकार की ही सारी व्यवस्था है
फिर ज्योतिष सब्जेक्ट के साथ सरकारी विभागों में पक्षपात क्यों किया जाता
है ?
जीवन ,समाज या प्रकृति आदि से संबंधित भविष्य में घटित होने वाली
घटनाओं का पूर्वानुमान लगाना ही ज्योतिष का काम है इसी उद्देश्य की पूर्ति
के लिए ज्योतिष के पठन पाठन हेतु भारत सरकार करोड़ों अरबों रूपए खर्च करती
है । स्कॉलर ज्योतिष पढ़लिख कर तैयार होते हैं यहाँ तक कि ज्योतिष सब्जेक्ट
में Ph.D.तक कर लेते हैं और वो भी ज्योतिषादि प्राचीन ज्ञानविज्ञान के द्वारा
यदि एक चिकित्सा के क्षेत्र में ज्योतिष आदि प्राचीन विज्ञान विधा से रिसर्च करना चाहते हैं तो क्या सरकार अन्य सब्जेक्ट की तरह ही ज्योतिष आदि प्राचीन विज्ञान विधा से रिसर्च करने वालों की भी मदद करेगी ?
ऐसे रोग जो किसी एक समय में बहुत बड़े वर्ग को अपनी चपेट में ले लेते हैं जिनका कोई प्रत्यक्ष कारण नहीं होता है , इसीप्रकार से जीवन में होने वाले ऐसे रोग या मनोरोग जिनके विषय में जन्म के समय ही पूर्वानुमान लगाया जा सकता हो कि इस स्त्री या पुरुष को इस वर्ष या इस उम्र में हो सकते हैं ऐसे ऐसे रोग !ऐसे रोग जिनका प्रारंभ तो बहुत सामान्य स्तर से होता है किंतु अचानक बहुत बढ़ जाते हैं । ऐसे रोग या ऐसी चोट का पूर्वानुमान यदि प्रारंभ में लगाया जा सकता हो और वो काफी हद तक सही भी बैठता हो ! ऐसे किसी रिसर्च वर्क को सरकार से सहयोग प्राप्ति हेतु किसके सामने और कैसे प्रस्तुत किया जाए !
'मनोरोग' मन में होने वाली या मन के कारण होने वाली बीमारी है किंतु मन संबंधी जाँच और दवा की चर्चा चिकित्सा पद्धति में कहीं नहीं मिलती !स्वभावों को समझने के लिए कुछ लोगों के विषय के अनुभव कुछ अन्य लोगों पर प्रयोग किए जा रहे होते हैं उन्हीं के आधार पर लोगों को जो काउंसलिंग दी जा रही होती है उसका असर उतना नहीं होता है जितना होना चाहिए !क्योंकि सबकी परिस्थिति मनस्थिति एवं सहनशक्ति अलग अलग होती है जबकि इन तीनों के वास्तविक अध्ययन की विस्तृत व्यवस्था ज्योतिष शस्त्र में है ऊके अनुसार दी गई काउंसलिंग काफी प्रभावी होती है !ऐसी बातों को प्रामाणिकता पूर्वक प्रस्तुत करने के लिए कहाँ और किससे संपर्क किया जाए !
ऐसे रोग जो किसी एक समय में बहुत बड़े वर्ग को अपनी चपेट में ले लेते हैं जिनका कोई प्रत्यक्ष कारण नहीं होता है , इसीप्रकार से जीवन में होने वाले ऐसे रोग या मनोरोग जिनके विषय में जन्म के समय ही पूर्वानुमान लगाया जा सकता हो कि इस स्त्री या पुरुष को इस वर्ष या इस उम्र में हो सकते हैं ऐसे ऐसे रोग !ऐसे रोग जिनका प्रारंभ तो बहुत सामान्य स्तर से होता है किंतु अचानक बहुत बढ़ जाते हैं । ऐसे रोग या ऐसी चोट का पूर्वानुमान यदि प्रारंभ में लगाया जा सकता हो और वो काफी हद तक सही भी बैठता हो ! ऐसे किसी रिसर्च वर्क को सरकार से सहयोग प्राप्ति हेतु किसके सामने और कैसे प्रस्तुत किया जाए !
'मनोरोग' मन में होने वाली या मन के कारण होने वाली बीमारी है किंतु मन संबंधी जाँच और दवा की चर्चा चिकित्सा पद्धति में कहीं नहीं मिलती !स्वभावों को समझने के लिए कुछ लोगों के विषय के अनुभव कुछ अन्य लोगों पर प्रयोग किए जा रहे होते हैं उन्हीं के आधार पर लोगों को जो काउंसलिंग दी जा रही होती है उसका असर उतना नहीं होता है जितना होना चाहिए !क्योंकि सबकी परिस्थिति मनस्थिति एवं सहनशक्ति अलग अलग होती है जबकि इन तीनों के वास्तविक अध्ययन की विस्तृत व्यवस्था ज्योतिष शस्त्र में है ऊके अनुसार दी गई काउंसलिंग काफी प्रभावी होती है !ऐसी बातों को प्रामाणिकता पूर्वक प्रस्तुत करने के लिए कहाँ और किससे संपर्क किया जाए !
निवेदक भवदीय -
आचार्यडॉ.शेषनारायण वाजपेयी
संस्थापक : राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोधसंस्थान(रजि.)
एम. ए.(व्याकरणाचार्य) ,एम. ए.(ज्योतिषाचार्य)-संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी
एम. ए.हिंदी -कानपुर विश्वविद्यालय \ PGD पत्रकारिता -उदय प्रताप कालेज वाराणसी
पीएच.डी हिंदी (ज्योतिष)-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU )वाराणसी
K -71 ,छाछी बिल्डिंग, कृष्णा नगर, दिल्ली -110051
Tele: +91-11-22002689, +91-11-22096548
Mobile : +919811226973,
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