रविवार, 28 अगस्त 2016

कारसेवकों के हत्यारों ने ही बाबरी ढाँचा गिराने की दी थी चुनौती ! इसी के कारण तो कारसेवकों को तोड़ना पड़ा बाबरी ढाँचा !

    अरे श्री रामभक्तों के हत्यारो ! रामभक्तों ने तुम्हारी चुनौती स्वीकार की और ढाँचा गिरा दिया तो अब  राम भक्तों की ओर से सपा प्रमुख को दी जा रही है चुनौती कि सरकार आपकी है हिम्मत है तो बाबरी ढाँचा दोबारा बना कर दिखा दो तब पता लगे कि कितने बहादुर हैं आप ! निहत्थे कारसेवकों पर गोली चलवाना कायराना हमला था ! जनता के दिए हुए अधिकारों का दुरुपयोग था !राम भक्तों पर अत्याचार था !एक घमंडी मूर्ख शासक का  पाप था !बर्बरता थी !देशद्रोह था !लोकतंत्र की हत्या थी ! 
   जब ढाँचा गिराया जा रहा था तब कहाँ थे डरपोक सपाई !उसे बचाने के लिए क्यों नहीं आए थे आगे ! ढाँचा तो टूटना ही था किंतु सपाइयों को ढाँचा बचाने के लिए शहादत देने से किसने रोका था !
    हे सपा शिरोमणि !ढाँचा गिरवाए बिना आप शांत तो नहीं बैठ सके थे !जब तक ढाँचा गिरा नहीं तब तक आप बड़ी बड़ी बातें बघारते रहे किंतु जैसे ही ढाँचा गिर गया वैसे ही शांत हो गए आप !मानो आपकी मनोकामना ही पूरी हो गई हो !अन्यथा अब आपकी सरकार थी दोबारा बनवा देते वो ढाँचा !
          अरे पापियो ! लोक तंत्र में अपनी भावना व्यक्त करने का अधिकार तो हर किसी को होता है कार  सेवकों से वो भी छीन लिया था तुमने !वो भी कार सेवक यदि वो कलंकित ढाँचा गिरा भी देते तो वो तो न्यायालय के आदेश से दुबारा भी बनाया जा सकता था किंतु ऐ पापी !गोली चलवाने का निर्णय गलत था आज यदि कोई ऐसा निर्णय हो तो उन शहीद कारसेवकों को जिन्दा कर सकते हो क्या !कारसेवकों पर गोली चलवाने वाले पापी का ये दुस्साहस कि आज उसे सही भी ठहराया जा रहा  है !अब बारी हिंदुओं की वो आगामी चुनावों में ऐसी कलंकित ढाँचा भक्त पार्टी का बहिष्कार करें !
      अयोध्या की चर्चा छेड़कर समाज में आग लगाना चाह रहे हैं सपाई ! अपनी जनता को विश्वास में लेने के बजाए उन पर गोली चलवाना कहाँ का न्याय है और यदि यही विकल्प है तो अपनी बात मनवाने के लिए लोगों को गोलियों से भून देने वाले आतंक वादियों और शासकों में क्या अंतर रह जाएगा !लोकतान्त्रिक शासन का अर्थ ही होता है जनता को विश्वास में लेकर निर्णय लेना !किन्तु जन भावनाओं को कुचलने वाला आततायी आज उसे जायज भी ठहरा रहा है ये हिंदुओं  उपेक्षा करते हुए आतंक वादी ने अयोध्या में गोली चलवाने वाले हत्यारों  का आगामी चुनाव में बहिष्कार करें UP के लोग !
     लोकतंत्र में यदि अपनी बात रखने का हर किसी को अधिकार है तो राम भक्तों को क्यों नहीं है  कर सेवक   भी अपने प्रभु श्री राम के लिए उनकी जन्म भूमि पर अयोध्या में एक मंदिर बनवाना चाहते हैं इसमें गलत क्या है !क्या हिंदुस्तान में हिंदुओं को इतना भी अधिकार नहीं है कि वो अपने भगवान का एक मंदिर बनवा सकें !अरे अपनी जन्म भूमि सैफई में अपना जन्मोत्सव मनाने वाले राक्षसो !श्री राम की जन्म स्थली तुम्हें क्यों याद नहीं आती ! प्रदेश भर की जनता के टैक्स का पैसा क्यों खर्च होता है सैफई में ! तुम इतने ही काबिल थे तो पहले ही बनवा देते श्री राम मंदिर तो कर सेवकों को आने की नौबत ही क्यों आती !
     हे अयोध्या में राम भक्तों पर गोली चलवाने  वालो ! सरकार तुम्हारी है  हिम्मत है तो बना दो बाबरीमस्जिद !अन्यथा बकवास बंद करो !
       अरे मुख्यमंत्री के बाप जी ! ढाँचा ढहाने की चुनौती तुमने दी थी जिसे कारसेवकों ने स्वीकार किया और तोड़ दिया बाबरी ढाँचा और अब कार सेवकों की चुनौती तुम्हें है दोबारा बनाकर दिखा दो बाबरी ढाँचा !तुम्हारी सरकार है तुमने बीर रस की बड़ी बड़ी बातें करके क्यों तोड़वा डाली बाबरी मस्जिद !यदि बचाने और दोबारा बनाने की हिम्मत नहीं थी तो !आज भी सरकार तुम्हारी है अभी भी समय है अब भी दोबारा बना सकते हो बाबरी ढाँचा !हिम्मत है तो दुबारा बनाकर दिखा दो बाबरी ढाँचा !अन्यथाबाबरीढाँचेसेलगाव कानाटकबंदकरो !         हे मुख्यमंत्री के पिता श्री !बाबरी ढाँचा बचाने की यदि इतनी ही शौक थी तो ढाँचा टूटने से बचा तो आप नहीं ही पाए अब भी सरकार आपकी है गनीमत अभी भी है अपने प्रिय मुख्यमंत्री पुत्र श्री को आदेश देकर बाबरी ढाँचा दुबारा क्यों नहीं बनवा देते !कम से कम मुशलमानों से तो आँख मिलाकर बात करने लायक हो ही  जाएँगे आप ! यदि सैफई महोत्सव मनाने में प्रदेशवासियों के खून पसीने की गाढ़ी कमाई हर साल हवा में उड़ा देते हैं आप तो बाबरीढाँचे का पुनर्निमाण क्यों नहीं करा देते हैं आप !आखिर कितने दिन लगेंगे उसमें !
   हे हिंदुओं के साथ गद्दारी और मुस्लिमों के साथ विश्वासघात करने वाले तथा कथित धर्म निरपेक्ष लोगो !बाबरी ढाँचे को बचाने के लिए आखिर आपने किया ही  क्या है ?समाज के बहुत बड़े वर्ग को आशंका है कि बाबरी ढाँचा गिराने वाले लोग समाजवादी पार्टी से ही तो नहीं जुड़े थे क्योंकि यदि इस न होता तो ढाँचा गिराया गया तो सपाइयों को बुरा क्यों नहीं लगा और यदि बुरा लगा तो उसके लिए उन्होंने किया क्या !
        अरे सपा प्रमुख श्रीमान जी !बाबरी ढाँचे से आपका यदि इतना ही लगाव होता और यदि आप वास्तव में ढाँचा बचाना ही चाहते तो ढाँचा तोड़े जाते समय आप बचाने गए क्यों नहीं !अपनी पार्टी के कार्यकर्ता ही भेज देते !ढाँचा बचता  न बचता फिर भी कुछ लोग ढाँचा बचाने के लिए शहादत तो दे ही सकते थे !उसके लिए इन तथाकथित समाज वादियों को किसने रोका  था !इसी बहाने सही समाज को पता तो लगता कि आप वास्तव में ढाँचा बचाना चाहते थे !किंतु आपको तो मुस्लिमों के प्रति झूठी हमदर्दी दिखाकर हिंदू मुस्लिमों को लड़वाना मात्र था !
     हे सपा प्रमुख ! कारसेवकों पर गोली चलवाने के लिए क्या मुस्लिमों से सहमति ली थी आपने ! अरे मुस्लिमों के साथ विश्वासघात करके बाबरी ढाँचा गिरवा देने वाले पाखंडियो तुम हिंदुओं के तो नहीं ही हुए मुस्लिमों के साथ भी इतनी बड़ी गद्दारी की है तुमने ! यदि ऐसा न होता तो पिछले सैकड़ों वर्षों से न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा करते कारसेवकों को ढाँचा तोड़ने के लिए अचानक  उकसाया किसने !
      हे समाजवादी पार्टी के मुखिया ! बाबरी ढाँचे को बचाने का नाटक करने के लिए आपके द्वारा ही कारसेवकों को उकसाया गया था फिर उन पर गोलियाँ चलवाई गईं !'परिंदा पर नहीं मार सकता' जैसे जुमले उछाले गए ! कारसेवकों को ढाँचा गिराने की चुनौती दी गई जिसे श्री रामभक्त कर सेवकों को स्वीकार करना पड़ा और गिराना पड़ा वो कलंकित ढाँचा !अन्यथा कारसेवकों का लक्ष्य मंदिर बनवाना तो था किंतु न्यायालय के आदेश के विरुद्ध नहीं !
      श्री राम मंदिर बनवाने के लिए मुकदमा तो बहुत वर्षों से लड़ा जा रहा था यदि हिंदुओं के मन में न्यायालय का सम्मान ही न होता तो पहले भी तो ढाँचा तोड़ा जा सकता था किंतु ऐसा होना तो दूर इसके लिए कभी कोई प्रयास भी नहीं किया गया ! मुकदमा चलने के बावजूद हामिद अंसारी जैसे लोगों के अयोध्या के साधू संतों से मधुर संबंध थे किंतु हिंदू मुस्लिमों का भाई चारा उस समय के मुख्यमंत्री को पसंद नहीं आया उन्होंने हिंदुओं को ढाँचा गिराने की चुनौती दे डाली और मुस्लिमों के हमदर्द दिखने के लिए मरवा डाले निहत्थे कर सेवक !फिर भी कारसेवक यदि सह जाते तो इसे कायरता ही कहा जाता इसलिए उन्होंने चुनौती स्वीकार की और ढाँचा ढहा दिया !किंतु ढाँचा गिराते समय सत्ता से बेदखल सपाई क्यों नहीं गए थे ढाँचा बचाने !जाकर शहीद हो जाते ढाँचा भक्त !शहादत देने के लिए उन्हें किसने रोक था !यदि इतनी भी हिम्मत नहीं थी तो कारसेवकों को उकसाया क्यों था ! 
   

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