सोमवार, 5 सितंबर 2016

योगगुरु बन गए अचानक सेठ RK यादव ! आजकल तो लोग ऐसे ही बन जाया करते हैं योगगुरु !!

   धंधा व्यापार करने के लिए अब बाबा बनना जरूरी है किसी सामान को बेचने के लिए जब कोई डाढ़ा झोटा हिला हिलाकर विज्ञापन करता है तो लोग समझ जाते हैं कि कोई ईमानदार होगा तभी तो बाबा हैं किंतु ईमानदारी बाबाओं में बची कहाँ है आज !जो ईमानदार होगा वो व्यापार करने के लिए संन्यासी क्यों बनेगा !संन्यास तो सांसारिकप्रपंचों को छोड़ने के लिएहोता है !
   सेठ RK यादव के विषय में हमारे गुरू जी बताया करते थे कि अनपढ़ शरारती और चालाक होने के कारण उन्हें घर से निकाल दिया गया था !ये था कि इस अवारा का विवाह कौन करेगा !सेठ जी के पास न पैसे न कोई सहयोगी न कोई शिक्षा !गाँव में रहने के कारण मेहनत करना, बोझा ढोना ,खेलना  कूदना, तैराकी करना ,पेड़ों पर चढ़कर ऊपर से कूदना, भैंस की पीठ पर बैठ कर उसे दौड़ाते हुए कूद पड़ना आदि शरारतें वे बचपन से ही किया करते थे इन्हीं से घर वाले तंग थे !खैर !चालाक वो थे ही जब वो भटकते भटकते किसी शहर पहुँचे वहाँ और कुछ तो कर नहीं सकते थे खेल दिखाने वाले नटों के साथ लग गए उनकी सारी  कलाएँ सीखने में उन्हें देर नहीं लगी पहले से उनका अभ्यास था ही !
       धीरे धीरे कुछ दिनों बाद वे नटगिरी का खेल खुद शुरू करना  चाहते थे किंतु उसके लिए किसी सहयोगी की तलाश थी उन्होंने सुन रखा था कि पहाड़ी ईमानदार होते हैं तो खोजकर एक अपने जैसा ही पहाड़ी लाए और दोनों मिलकर नट गिरी का खेल घूम घूम कर दिखाने लगे !इससे अच्छी खासी आमदनी होने लगी !ऐसी ही कला दिखाते उन्हें एक सेठ जी ने देखा उनका पेट बहुत निकला  था उन्हें लालच बश उससे कहा कि तुम पेट पिचकाना हमें भी सिखा  दो !उसने कहा ठीक है वो उन्हें अपने साथ पार्क ले जाता वहाँ उन्हें भी उछालने कुदाने  लगा !
    नौकरों पर बोझ बनकर जीने वाले शारीरिक श्रम  चोर धनी लोगों के लिए उछलना कूदना तो दूर उनका बश चले तो वो अपने बदले साँस लेने की जिम्मेदारी भी नौकरों पर ही छोड़ दें !खैर धीरे धीरे निरंतर अभ्यास से सेठ जी का पेट पिचकने लगा !अब सेठ जी को बहुत ख़ुशी हुई उनके बहुत नाते रिस्तेदार उनसे प्रभावित हुए सेठ जी को लगा क्यों न ये सिखाने का धंधा कर लिया जाए !तो उन्होंने नटों के साथ मिलकर लोगों को ये सब सिखाना शुरू कर दिया लेकिन धंधे में मजे  वाली बात नहीं थी । अब उन्होंने नट को बाबा बना लिया और अपने नट गिरी के धंधे को योग कहने लगे फिर खेल शुरू हुआ उछलने कूदने से लेकर सभी प्रकार का !बासना प्रिय रोगी लोग पेट अंदर करने के लिए करने लगे कसरतें उनके हाथ पैर हिलने लगे नटों का धंधा चल गया !

     बाबाओं को व्यापार और ब्यभिचार की लत लगने लगी है योग के नाम पर समाज से धन माँगने वाले बाबा उसे  भोग पर खर्च करने लगे हैं  ऊपर से ये समाज को बताते हैं कि मैं तो केवल एक ग्लास दूध लेता हूँ बस !क्या समाज ऐसे झूठों पर भरोसा करता है । संस्कारों की शिक्षा देने के लिए सरकार के पास अपनी व्यवस्था क्या है?
    कई बाबा तो व्यापार तक करने लगे हैं । इसी प्रकार से घूस देकर नौकरी पाने वाले संस्कार भ्रष्ट शिक्षक स्कूल जाने से डरते हैं पढ़ाएँ क्या खाक !अयोग्यता के कारण डर डर कर जिंदगी काटने वाले शिक्षक कैसे सिखावें संस्कार !जिन्हें खुद कुछ आता  नहीं है झूठ बोल बोल कर आँखें झुकाकर मुख बंद करके बड़े बड़े अधिकारियों के यहाँ दुम हिलाकर शिक्षक रूप में जो जिंदगी काटे ले रहे हैंऐसे लोग कैसे सिखाएँगे संस्कार !
   असहिष्णुता घटाना  प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों का काम नहीं होता है  !इसके लिए भी कर्तव्य भ्रष्ट समाज सरकारों को ही कोसता  रहता  है !हर बात के लिए सरकारों की ओर ताक झाँक करना उचित नहीं है कुछ जिम्मेदारी अपनी भी तो होती है !
     जिस देश में संन्यासी लोग  ब्यापारी होने लगें ,शिक्षक कुसंस्कारी होने लगें, कर्तव्यभ्रष्ट अधिकारी होने लगें !मीडिया भिखारी होने लगे,नेता विकारी होने लगें ! ऐसे देश के युवाओं में संस्कार जगावे आखिर कौन !और कैसे रोके जाएँ बलात्कार !
     सहिष्णुता सिखाने के लिए साधूसंत आदि  धर्म से जुड़े लोग ,शिक्षक और मीडिया से जुड़े लोग ही तो होते हैं किंतु चरित्रवान साधूसंतों के दर्शन दुर्लभ हैं पाखंडी बाबा घूम रहे हैं कद्दू टिंडे मूली बैगन बेचते !कोई भी चरित्रवान साधू संत इतना कभी नहीं गिर सकता कि वो व्यापार करने लगे !क्योंकि व्यापार आदि सांसारिक प्रपंच छोड़ना ही तो संन्यास है किंतु संन्यास लेकर फिर व्यापार करने लगना ये तो अपनी की हुई वोमिटिंग चाटने के समान है ! ऐसे संन्यासियों से लोग संस्कारों की शिक्षा कैसे ले सकते हैं क्योंकि ये स्वयं दिनभर व्यापारिक झूठ बोला करते हैं । वास्तविकता तो ये है कि ऐसे लोगों का लक्ष्य साधू बन कर संसार के सारे भोग  भोगने के लिए धन जुटाना होता है।उसी दान के धन से वो  फैला लेते हैं सारा व्यापार जो अनैतिक है ! ऐसे लोगों से समाज क्या सीखे यही न कि व्यापार करने वालों को पहले दाढ़ा झोटा बढ़ाकर लाल कपडे पहनने चाहिए जब समाज  संतों जैसा ईमानदार होने का ठप्पा लगा दे तो व्यापार शुरू कर देना चाहिए  !इसे नैतिकता कैसे कहा जा सकता है ये तो विशुद्ध धोखा धड़ी है । ऐसे लोगों के पास समाज को सिखाने लायक होता क्या है !ये खुद पापों में प्रवृत्त होते हैं । 
     एक बाबा जी स्वदेशी अपनाने  नाटक करते थे किंतु दवा बनाने की उनकी सारी मशीनें विदेशी थीं दवा बनाने की प्रक्रिया उनकी विदेशी थी !उनके कहने का मतलब था कि विदेशों में बना जींस मत पहनों किंतु सिलाई मशीन विदेशी रख सकते हो किंतु ऐसे लोगों को ये समझ में नहीं आता है कि सिलाई मशीन विदेशी यदि रखी जा सकती है तो विदेशी जीन्स  पहनने में कौन सी बुराई हो जाती है !ऐसे बाबाओं को यदि थोड़ी भी  स्वदेशी की लज्जा होती तो ये पहले स्वदेशी मशीन बनाते और बाद में प्रोडक्ट बना लेते !

         असहिष्णुता (Intolerance) सामाजिक बुराई है इसे नष्ट करने का दायित्व भी समाज पर ही है
 सहिष्णुता बनाए रखना समाज का ही तो कर्तव्य है कि विपक्ष के हवा भरने पर भी लोग आंदोलित न हो किंतु समाज नहीं निर्वाह कर पा रहा है अपना दायित्व !
      असहिष्णुता अपराधों की जननी एवं विपक्ष के लिए साक्षात् संजीवनी होती है क्योंकि असहिष्णुता और अपराध साथ साथ बढ़ते हैं और अपराध बढ़ते ही सत्तापक्ष अर्थात सरकार को दोषी सिद्ध  करने का अवसर मिल जाता है !
        सहिष्णुता सत्ता पक्ष को सबल बनाती है इससे सरकार को अपनी पीठ थपथपाने का मौका मिलता है क्योंकि सामाजिक सहिष्णुता अपराधों को समाप्त करने में सहायक होती है ।इसलिए सत्ता पक्ष कभी भी नहीं चाहता है कि सहिष्णुता समाप्त हो ! 
  विपक्ष हर संभव प्रयास करता है कि सहिष्णुता समाप्त हो और उसे अपनी बात कहने का मौका मिले इसलिए जिस देश समाज में जितनी असहिष्णुता बढे उसके लिए केवल और केवल विपक्ष को ही जिम्मेदार माना जाना चाहिए !
मोदी जी सिखाएँगे क्या ? फर्जी ज्योतिषियों का भ्रष्टाचार भगाओ !
     संतान पैदा करने के उपायों नाम पर बाबा कर रहे हैं बलात्कार !
ज्योतिष पाखंडी और वास्तु व्यापारी उपायों के नाम पर कर रहे हैं नग नगीने यंत्र तंत्र ताबीजों का भारी भरकम कारोबार !कौवे कुत्ते चीटी चमगादड़ पुजाने में लगे हैं ! वास्तु व्यापारी पेंडुलम बेच रहे हैंकरवाचौथ जैसे पर्वों कौन किस कलर के कपड़े पहने ये राशि के हिसाब से बताया जा रहा है किस दिशा में सिर करके लेटें ये वास्तु एक्सपर्ट बताते हैं उस दिन किस आसन से लेटें कौन क्रीम लगावें कौन कैप्सूल खाएँ आदि का सारा इंतजाम भोगगुरु कलियुगी पतंजलि स्वामी कामदेव जी सँभाल रहे हैं डाँसपार्टियों चूमने चाटने वाले रिटायर्ड जिगोलो 'भोगवत' कथा कह रहे हैं !


   

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