समय विज्ञान का असर संबंधों के क्षेत्र में -
समय विज्ञान का महत्त्व इससे भी पता लगता है कि जिस स्त्री पुरुष आदि को देखकर एक समय हमें ख़ुशी मिलती है उसी स्त्री पुरुष आदि को देखकर दूसरे समय घृणा होने लगती है । यहाँ ध्यान देने लायक बात तो ये है कि स्त्री - पुरुष आदि तो वही हैं केवल समय बदला होता है किंतु लोगों का ध्यान अच्छाई बुराई के कारण भूत समय की ओर नहीं जाता है वो संबंधित स्त्री पुरुषों से घृणा करने लगते हैं उन्हें अच्छा बुरा मानकर उनसे सम्बन्ध बनाते बिगाड़ते रहते हैं वो यदि समय के महत्त्व को समझने लगें तो आपसी बैर विरोध गृह कलह तलाक जैसे मामलों में काफी कमी लाई जा सकती है समाज में बढ़ते असंतोष को काफी घटाया जा सकता है !
कई बार ऐसा विपरीत समय मात्र कुछ महीनों या एक आध वर्ष के लिए ही आता है जिसमें अपने को कहीं शांति नहीं मिलने लगती है उसका दोषारोपण हम किसी और पर न केवल करने लगते हैं अपितु उससे संबंध बिगाड़ लेते या तलाक ले लेते हैं और उस बिगाड़ के पथ पर इतना आगे बढ़ चुके होते हैं कि बुरा समय निकलने के बाद भी हम एक दूसरे के साथ फिर से जुड़ने लायक नहीं रह जाते हैं कई बार छोटे छोटे बच्चे होते हैं वो भटकते घूमने लगते हैं । ऐसे लोगों को यदि पता होता है कि ये सब बुरे समय के कारण हो रहा है तो वो उतने दिन सहकर निकाल लेते हैं समय और सब कुछ सुरक्षित बचाकर चला जा सकता है !
वैवाहिक आदि विषयों में भी जिन्हें विवाह का सुख जन्म समय विंदु के आधार पर जितना निश्चित होता है वो यदि उससे अधिक विवाह सुख वाले जीवन साथी से जुड़ते हैं तो जीवन साथी हमेंशा असंतुष्ट रहता है या विवाहेतर संबंधों से अपना स्तर बराबर करता है और यदि अपने से कम विवाह सुख वाले जीवन साथी से जुड़ते हैं तो उसी समस्या का सामना स्वयं को करना पड़ता है !
कुछ समय विंदु ऐसे होते हैं जिनमें जन्म लेने वाले लोग बिना तनाव के रह ही नहीं सकते !ऐसे लोग अच्छी से अच्छी एवं अनुकूल से अनुकूल बातों व्यवहारों से भी अपने लिए मानसिक तनाव खोज ही लेते हैं ऐसे लोगों को नमस्ते करने और न करने दोनों से ही तनाव होता है । ऐसे समय बहुत लोगों के जीवन में कुछ महीनों वर्षों आदि के लिए आते रहते हैं उनकी जानकारी यदि पहले से हो तो संतुलन बनाते हुए अधिक बिगाड़ से बचा भी जा सकता है।
कुछ लड़के लड़कियों के जन्म समय विंदु के अनुसार जब विवाह होने लायक समय होता है तब तो वो कैरियर बनाने आदि को लेकर विवाह नहीं करते और जब विवाह का समय निकल जाता है तब विवाह के लिए तनाव करते घूमते हैं तब विवाह नहीं हो रहा होता है यही स्थिति संतान के क्षेत्र में भी है जब तक संतान होती है तब तक संतान होने नहीं देना चाहते और जब संतान होने का समय निकल जाता है तब तनाव करते घूमते हैं ।इसी प्रकार कई बार विवाह सुख प्रदान करने वाला कोई अच्छा समय आया तो जो लड़के लड़की उसमें विवाह न करके प्रेम प्यार के नाम पर उस समय किसी से भी वैवाहिक सुख प्राप्त कर लेते हैं इसी से उनका विवाह सुखयोग कट जाता है और विवाह होने में कठिनाई आने लगती है उससे उन्हें तनाव होता है । कई बार विवाह सुखयोग की दृष्टि से जितने समय के लिए अनुकूल समय आया उतने समय के लिए कोई प्रेमी या प्रेमिका तो मिल जाएगी और वह समय बहुत आनंद पूर्वक बीतेगा किंतु जैसे ही वो समय बीत जाएगा वैसे ही उनके आपसी संबंध बिगड़ने लगते हैं और दोनों एक दूसरे से घृणा करने लगते हैं कई बार ये घृणा मरने और मारने जैसी भयावह स्थिति तक पहुँच जाती है । ऐसी सभी परिस्थितियों में समयविज्ञान मानव जीवन को कठिन से कठिन समस्याओं से निकालकर सरल बनाने में हमारी बड़ी मदद कर सकता है ।
यही स्थिति संपत्ति व्यवसाय आदि क्षेत्रों में भी है समय प्रतिकूलता के कारण इच्छाएँ अपूर्ण रहने पर तनाव होता ही है किंतु समय अनुकूल होने पर इच्छाएँ अपूर्ण रहें तो भी विपरीत परिस्थितियाँ सहकर भी वस्तुओं साधनों और सम्पत्तियों के अभाव में भी कैसा भी गरीब आदमी केवल संतोष करके प्रसन्न रह लेता है वो कितना भी गरीब क्यों न हो !उसी व्यक्ति के पास विरुद्ध समय में कितनी भी वस्तुएँ साधन और सम्पत्तियाँ आदि क्यों न संचित हों किंतु समय की प्रतिकूलता के कारण संतोष नहीं हो पाता है वो वस्तुएँ सुख नहीं दे पाती हैं।इसी असंतोष के कारण ही तो बड़े बड़े सम्पत्तिवान लोग भी संपत्ति प्राप्ति के लिए तमाम पाप पूर्ण ब्यवहार करते हैं किंतु संतुष्टि फिर भी नहीं होती है । इसी असंतोष के कारण तो चौदह हजार स्त्रियाँ होने के बाद भी रावण की बासना शांत नहीं हुई जबकि समय की अनुकूलता में ऐसा संतोष होता है कि सबकुछ होते हुए भी लोग विरक्त होते देखे जाते हैं । इसलिए सुख दुःख का कारण असंतोष और असंतोष का कारण अपना बुरा समय होता है ।
महोदय ! इस प्रकार से समय का अध्ययन जन्म और कर्म दो प्रकार से किया जाता है जिस समय जन्म होता है अथवा जिस समय कोई काम प्रारम्भ किया जाता है इन दोनों समय विन्दुओं का अनुसंधान करके पता लगाया जा सकता है कि इस समय पैदा हुए स्त्री पुरुषों को जीवन के किस वर्ष में किस प्रकार के कितने समय के लिए सुख दुःख आदि सहने पड़ेंगे !इसी प्रकार से जिस क्षण में कोई काम प्रारम्भ किया जाता है उस क्षण का अनुसन्धान करके ये पता लगाया जा सकता है कि ये कार्य बनेगा या बिगड़ेगा और किस स्तर पर या कितना समय बीतने पर समय का अच्छा बुरा प्रभाव पड़ेगा !इसका भी पता समय विज्ञान के द्वारा लगाया जा सकता है ।
अतएव आपसे विनम्र निवेदन है कि मानव जीवन को निरोग और तनाव मुक्त बनाने के लिए समय विज्ञान जैसे हमारे रिसर्च कार्य में भी सरकारी प्रोत्साहन मिलना चाहिए !
समय विज्ञान का महत्त्व इससे भी पता लगता है कि जिस स्त्री पुरुष आदि को देखकर एक समय हमें ख़ुशी मिलती है उसी स्त्री पुरुष आदि को देखकर दूसरे समय घृणा होने लगती है । यहाँ ध्यान देने लायक बात तो ये है कि स्त्री - पुरुष आदि तो वही हैं केवल समय बदला होता है किंतु लोगों का ध्यान अच्छाई बुराई के कारण भूत समय की ओर नहीं जाता है वो संबंधित स्त्री पुरुषों से घृणा करने लगते हैं उन्हें अच्छा बुरा मानकर उनसे सम्बन्ध बनाते बिगाड़ते रहते हैं वो यदि समय के महत्त्व को समझने लगें तो आपसी बैर विरोध गृह कलह तलाक जैसे मामलों में काफी कमी लाई जा सकती है समाज में बढ़ते असंतोष को काफी घटाया जा सकता है !
कई बार ऐसा विपरीत समय मात्र कुछ महीनों या एक आध वर्ष के लिए ही आता है जिसमें अपने को कहीं शांति नहीं मिलने लगती है उसका दोषारोपण हम किसी और पर न केवल करने लगते हैं अपितु उससे संबंध बिगाड़ लेते या तलाक ले लेते हैं और उस बिगाड़ के पथ पर इतना आगे बढ़ चुके होते हैं कि बुरा समय निकलने के बाद भी हम एक दूसरे के साथ फिर से जुड़ने लायक नहीं रह जाते हैं कई बार छोटे छोटे बच्चे होते हैं वो भटकते घूमने लगते हैं । ऐसे लोगों को यदि पता होता है कि ये सब बुरे समय के कारण हो रहा है तो वो उतने दिन सहकर निकाल लेते हैं समय और सब कुछ सुरक्षित बचाकर चला जा सकता है !
वैवाहिक आदि विषयों में भी जिन्हें विवाह का सुख जन्म समय विंदु के आधार पर जितना निश्चित होता है वो यदि उससे अधिक विवाह सुख वाले जीवन साथी से जुड़ते हैं तो जीवन साथी हमेंशा असंतुष्ट रहता है या विवाहेतर संबंधों से अपना स्तर बराबर करता है और यदि अपने से कम विवाह सुख वाले जीवन साथी से जुड़ते हैं तो उसी समस्या का सामना स्वयं को करना पड़ता है !
कुछ समय विंदु ऐसे होते हैं जिनमें जन्म लेने वाले लोग बिना तनाव के रह ही नहीं सकते !ऐसे लोग अच्छी से अच्छी एवं अनुकूल से अनुकूल बातों व्यवहारों से भी अपने लिए मानसिक तनाव खोज ही लेते हैं ऐसे लोगों को नमस्ते करने और न करने दोनों से ही तनाव होता है । ऐसे समय बहुत लोगों के जीवन में कुछ महीनों वर्षों आदि के लिए आते रहते हैं उनकी जानकारी यदि पहले से हो तो संतुलन बनाते हुए अधिक बिगाड़ से बचा भी जा सकता है।
कुछ लड़के लड़कियों के जन्म समय विंदु के अनुसार जब विवाह होने लायक समय होता है तब तो वो कैरियर बनाने आदि को लेकर विवाह नहीं करते और जब विवाह का समय निकल जाता है तब विवाह के लिए तनाव करते घूमते हैं तब विवाह नहीं हो रहा होता है यही स्थिति संतान के क्षेत्र में भी है जब तक संतान होती है तब तक संतान होने नहीं देना चाहते और जब संतान होने का समय निकल जाता है तब तनाव करते घूमते हैं ।इसी प्रकार कई बार विवाह सुख प्रदान करने वाला कोई अच्छा समय आया तो जो लड़के लड़की उसमें विवाह न करके प्रेम प्यार के नाम पर उस समय किसी से भी वैवाहिक सुख प्राप्त कर लेते हैं इसी से उनका विवाह सुखयोग कट जाता है और विवाह होने में कठिनाई आने लगती है उससे उन्हें तनाव होता है । कई बार विवाह सुखयोग की दृष्टि से जितने समय के लिए अनुकूल समय आया उतने समय के लिए कोई प्रेमी या प्रेमिका तो मिल जाएगी और वह समय बहुत आनंद पूर्वक बीतेगा किंतु जैसे ही वो समय बीत जाएगा वैसे ही उनके आपसी संबंध बिगड़ने लगते हैं और दोनों एक दूसरे से घृणा करने लगते हैं कई बार ये घृणा मरने और मारने जैसी भयावह स्थिति तक पहुँच जाती है । ऐसी सभी परिस्थितियों में समयविज्ञान मानव जीवन को कठिन से कठिन समस्याओं से निकालकर सरल बनाने में हमारी बड़ी मदद कर सकता है ।
यही स्थिति संपत्ति व्यवसाय आदि क्षेत्रों में भी है समय प्रतिकूलता के कारण इच्छाएँ अपूर्ण रहने पर तनाव होता ही है किंतु समय अनुकूल होने पर इच्छाएँ अपूर्ण रहें तो भी विपरीत परिस्थितियाँ सहकर भी वस्तुओं साधनों और सम्पत्तियों के अभाव में भी कैसा भी गरीब आदमी केवल संतोष करके प्रसन्न रह लेता है वो कितना भी गरीब क्यों न हो !उसी व्यक्ति के पास विरुद्ध समय में कितनी भी वस्तुएँ साधन और सम्पत्तियाँ आदि क्यों न संचित हों किंतु समय की प्रतिकूलता के कारण संतोष नहीं हो पाता है वो वस्तुएँ सुख नहीं दे पाती हैं।इसी असंतोष के कारण ही तो बड़े बड़े सम्पत्तिवान लोग भी संपत्ति प्राप्ति के लिए तमाम पाप पूर्ण ब्यवहार करते हैं किंतु संतुष्टि फिर भी नहीं होती है । इसी असंतोष के कारण तो चौदह हजार स्त्रियाँ होने के बाद भी रावण की बासना शांत नहीं हुई जबकि समय की अनुकूलता में ऐसा संतोष होता है कि सबकुछ होते हुए भी लोग विरक्त होते देखे जाते हैं । इसलिए सुख दुःख का कारण असंतोष और असंतोष का कारण अपना बुरा समय होता है ।
महोदय ! इस प्रकार से समय का अध्ययन जन्म और कर्म दो प्रकार से किया जाता है जिस समय जन्म होता है अथवा जिस समय कोई काम प्रारम्भ किया जाता है इन दोनों समय विन्दुओं का अनुसंधान करके पता लगाया जा सकता है कि इस समय पैदा हुए स्त्री पुरुषों को जीवन के किस वर्ष में किस प्रकार के कितने समय के लिए सुख दुःख आदि सहने पड़ेंगे !इसी प्रकार से जिस क्षण में कोई काम प्रारम्भ किया जाता है उस क्षण का अनुसन्धान करके ये पता लगाया जा सकता है कि ये कार्य बनेगा या बिगड़ेगा और किस स्तर पर या कितना समय बीतने पर समय का अच्छा बुरा प्रभाव पड़ेगा !इसका भी पता समय विज्ञान के द्वारा लगाया जा सकता है ।
अतएव आपसे विनम्र निवेदन है कि मानव जीवन को निरोग और तनाव मुक्त बनाने के लिए समय विज्ञान जैसे हमारे रिसर्च कार्य में भी सरकारी प्रोत्साहन मिलना चाहिए !
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