अंधविश्वास भगाने के नाम पर ज्योतिष का विरोध करने वाले पाखंडी लोग समाज से चंदा माँग माँग कर धन उगाहने की दुकानें चलाने वाले समाज में कई प्रकार से सक्रिय हैं !
इन चोरों लुटेरों पाखंडियों के कई गिरोह समाज को विश्वास में लेने के लिए इधर उधर से चोरी चपाटी करके ऊट पटाँग कुछ किताबें भी बना लेते हैं । बलात्कार आदि अपराधों में कई जगह पकड़े जा चुके ऐसे लोगों के कारण ज्योतिष विद्वानों को कई बार बेइज्जती साहनी पड़ती है इसलिए समाज में ज्योतिष और ज्योतिषियों के प्रति जन जागरण करना जरूरी हो गया है ताकि समाज ऐसे विधर्मियों को पहचान सके जो सनातन धर्म से समाज को भटकाने के लिए उट पटांग हरकतें करते घूम रहे हैं ।
ये वर्ण शंकरी लोग समाज के मन में ज्योतिष आदि शास्त्रों के प्रति घृणा उत्पन्न करते हैं इनकी सबसे बड़ी पहचान होती है कि इनके पास ज्योतिष शास्त्र को पढ़ने की न कोई डिग्री होती है और न ही प्रमाण पत्र और न ही ज्योतिष पढ़ने कभी किसी सरकारी संस्कृत विद्यालयों में गए ही हैं फिर भी अपने को ज्योतिष शास्त्र का विद्वान् सिद्ध करते हैं !ऐसे लोगों को मूर्ख मानकर समाज का कोई ज्योतिष पढ़ा लिखा विद्वान व्यक्ति इन्हें अपने मुख नहीं लगाता !उसे ये समाज को बताते फिरते हैं कि उन्होंने उससे शास्त्रार्थ किया किंतु वो हार गया या जवाब नहीं दे सका !ये बिलकुल उसी तरह की बात है जैसे कोई हाथी किसी गाँव में जाए उसे देखकर कुत्ते भौंकने लगें चूँकि हाथी भौंक नहीं लेता है इसलिए कुत्ते हाथी से जीत गए !ऐसी बेहूदी बकवास होती है इन गधों की !ऐसी दोगली मानसिकता से भारतीय संस्कारित शास्त्रीय समाज को सतर्क रहने की आवश्यकता है ।
ज्योतिषविज्ञान हाथी है इसका विरोध करने वाले कुत्ते हैं हाथी अपनी गति से बढ़ता जा रहा है कुत्ते भौंकने के लिए ग्रुप बना रहे हैं किंतु झुंड बनाकर भौंकने से हाथी डर जाएगा क्या ?किंतु इतनी सी गलतफहमी के कारण परेशान हैं बेचारे !
यदि उन्हें थोड़ी भी अकल होती तो हाथी को चुनौती देने का उनका कोई तुक ही नहीं बनता है हाथी से कुत्तों की क्या बराबरी किंतु आदत ऐसी कि सब कुछ जानते हुए भी हाथी को देखकर कुत्तों का भौंके बिना मन ही नहीं मानता है ।
इन चोरों लुटेरों पाखंडियों के कई गिरोह समाज को विश्वास में लेने के लिए इधर उधर से चोरी चपाटी करके ऊट पटाँग कुछ किताबें भी बना लेते हैं । बलात्कार आदि अपराधों में कई जगह पकड़े जा चुके ऐसे लोगों के कारण ज्योतिष विद्वानों को कई बार बेइज्जती साहनी पड़ती है इसलिए समाज में ज्योतिष और ज्योतिषियों के प्रति जन जागरण करना जरूरी हो गया है ताकि समाज ऐसे विधर्मियों को पहचान सके जो सनातन धर्म से समाज को भटकाने के लिए उट पटांग हरकतें करते घूम रहे हैं ।
ये वर्ण शंकरी लोग समाज के मन में ज्योतिष आदि शास्त्रों के प्रति घृणा उत्पन्न करते हैं इनकी सबसे बड़ी पहचान होती है कि इनके पास ज्योतिष शास्त्र को पढ़ने की न कोई डिग्री होती है और न ही प्रमाण पत्र और न ही ज्योतिष पढ़ने कभी किसी सरकारी संस्कृत विद्यालयों में गए ही हैं फिर भी अपने को ज्योतिष शास्त्र का विद्वान् सिद्ध करते हैं !ऐसे लोगों को मूर्ख मानकर समाज का कोई ज्योतिष पढ़ा लिखा विद्वान व्यक्ति इन्हें अपने मुख नहीं लगाता !उसे ये समाज को बताते फिरते हैं कि उन्होंने उससे शास्त्रार्थ किया किंतु वो हार गया या जवाब नहीं दे सका !ये बिलकुल उसी तरह की बात है जैसे कोई हाथी किसी गाँव में जाए उसे देखकर कुत्ते भौंकने लगें चूँकि हाथी भौंक नहीं लेता है इसलिए कुत्ते हाथी से जीत गए !ऐसी बेहूदी बकवास होती है इन गधों की !ऐसी दोगली मानसिकता से भारतीय संस्कारित शास्त्रीय समाज को सतर्क रहने की आवश्यकता है ।
ज्योतिषविज्ञान हाथी है इसका विरोध करने वाले कुत्ते हैं हाथी अपनी गति से बढ़ता जा रहा है कुत्ते भौंकने के लिए ग्रुप बना रहे हैं किंतु झुंड बनाकर भौंकने से हाथी डर जाएगा क्या ?किंतु इतनी सी गलतफहमी के कारण परेशान हैं बेचारे !
यदि उन्हें थोड़ी भी अकल होती तो हाथी को चुनौती देने का उनका कोई तुक ही नहीं बनता है हाथी से कुत्तों की क्या बराबरी किंतु आदत ऐसी कि सब कुछ जानते हुए भी हाथी को देखकर कुत्तों का भौंके बिना मन ही नहीं मानता है ।
यही स्थिति ज्योतिष विज्ञान के विरोधियों की है यह जानते हुए भी कि ज्योतिषविज्ञान से उन नशेड़ियों का कोई संबंध नहीं है न उन्होंने ज्योतिष पढ़ी ही होती है और न ही ज्योतिष के बारे में कुछ जानते ही होते हैं फिर भी हाथियों से कहते हैं कि तुम मेरे साथ भौंको तो हम जानें कि तुम हाथी हो !
अजीब सा सवाल है कि कुत्तों के झुंड में आकर यदि भौंके तब तो हाथी अन्यथा कुत्ता किंतु पहली बात तो हाथी भौंक नहीं सकता और यदि भौंकने ही लगा तो हाथी किस बात का !
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