अनपढ़ज्योतिषी लोग यदि पढ़े लिखे ही होते तो ज्योतिष सब्जेक्ट की परीक्षा पास करते और डिग्री ले लेते !पाखंडी और मूर्ख लोगों ने जबसे ज्योतिष और आयुर्वेद के क्षेत्र में घुसना शुरू कर दिया तबसे ज्योतिष और आयुर्वेद के क्षेत्र में डिग्रियों का प्रावधान किया गया तो उसे मानने में क्या बुराई है !
ज्योतिष पढ़ना जिनके बश का नहीं ऐसे बेवड़े नशेड़ी लोग अपनी तुलना वराहमिहिर, कल्याण वर्मा, भास्कराचार्य आदि से करने लगें ये मूर्खता नहीं तो क्या है ! ऐसे लोग तर्क देते हैं कि ज्योतिष की डिग्रियाँ उनके पास भी नहीं थीं और हमारे पास भी नहीं हैं !अरे !उन महान विद्वानों से इन छिछोरों की तुलना कैसे की जा सकती है।
ऐसे लोगों को इस प्रकार के बेहूदे तर्क देते समय इतनी अकल तो रखनी ही चाहिए कि उस समय यदि योग्यता का प्रमाण डिग्रियाँ होतीं तो उन्हें वो क्वालीफिकेशन हासिल करने में भी आपत्ति नहीं होती क्योंकि वो अवतारी विभूतियाँ थीं वो ज्योतिष विषय की कठिन से कठिन परीक्षाओं से इन कायरों की तरह मुख क्यों चुराते !
ज्योतिष पढ़ना जिनके बश का नहीं ऐसे बेवड़े नशेड़ी लोग अपनी तुलना वराहमिहिर, कल्याण वर्मा, भास्कराचार्य आदि से करने लगें ये मूर्खता नहीं तो क्या है ! ऐसे लोग तर्क देते हैं कि ज्योतिष की डिग्रियाँ उनके पास भी नहीं थीं और हमारे पास भी नहीं हैं !अरे !उन महान विद्वानों से इन छिछोरों की तुलना कैसे की जा सकती है।
ऐसे लोगों को इस प्रकार के बेहूदे तर्क देते समय इतनी अकल तो रखनी ही चाहिए कि उस समय यदि योग्यता का प्रमाण डिग्रियाँ होतीं तो उन्हें वो क्वालीफिकेशन हासिल करने में भी आपत्ति नहीं होती क्योंकि वो अवतारी विभूतियाँ थीं वो ज्योतिष विषय की कठिन से कठिन परीक्षाओं से इन कायरों की तरह मुख क्यों चुराते !
ज्योतिष की शिक्षा में डिग्री प्रमाणपत्रों से समस्या उन बेबड़े नशेड़ियों को है जिन छिछोरों का मन ज्योतिष पढ़ने लिखने में लगता नहीं है फिर
भी वो लोग ज्योतिष का अपमान करने पर आमादा बने रहते हैं । कहते हैं ज्योतिष में
हमसे चर्चा करो !
अरे !चर्चा करने की योग्यता ही होती तो ज्योतिष पढ़कर डिग्रियाँ लेने में क्यों आपत्ति होती !जो लोग ज्योतिष पढ़ नहीं पाए इसका मतलब ज्योतिष की चर्चा करने की उनमें योग्यता ही नहीं है और अयोग्य लोगों से चर्चा क्यों करनी !ऐसे लोगों को मुख लगाकर कोई ज्योतिष विद्वान् अपना समय और सम्मान बर्बाद क्यों करे !
अरे !चर्चा करने की योग्यता ही होती तो ज्योतिष पढ़कर डिग्रियाँ लेने में क्यों आपत्ति होती !जो लोग ज्योतिष पढ़ नहीं पाए इसका मतलब ज्योतिष की चर्चा करने की उनमें योग्यता ही नहीं है और अयोग्य लोगों से चर्चा क्यों करनी !ऐसे लोगों को मुख लगाकर कोई ज्योतिष विद्वान् अपना समय और सम्मान बर्बाद क्यों करे !
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