पार्टी की अंदरूनी कलह के वास्तविक कारणों को ठीक ठीक समझे बिना उनका स्थाई निवारण कर पाना कैसे संभव है ?इसी विषय में मेरे कुछ नामवैज्ञानिक सुझाव !
इसी 'अ'अक्षर के मोह ने अमर सिंह जी को कहाँ कहाँ नहीं भटकाया !आप स्वयं देखिए -
यही अ अक्षर के अमर सिंह की आजम खान से नहीं पटी तो वो निकाले गए फिर अखिलेश आए तो अमर सिंह निकाले गए फिर एकमात्र अल्पसंख्यक चेहरा मानकर आजम को मुलायमसिंह जी ने सँभालकर रखा जबकि वे अपने बयानों से अखिलेश सरकार के लिए समस्याएँ रोज तैयार करते हैं खैर !दूसरी ओर इन्हीं अ अक्षर वाले अमर सिंह की अनिलअंबानी,अमिताभ बच्चन और अंत में अजित सिंह जी के साथ कैसी निभी!see more.... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2016/05/blog-post_59.html
इन्हीं सभी प्रकारों से देखा जाए तो समाजवादी पार्टी भी इस समय ऐसे ही 'अ' अक्षर वाले फोड़े से जूझ रही है ये सामान्य फोड़ा नहीं है फोड़ा है जिसका मुख जहाँ होता है सड़न उससे बहुत दूर हो रही होती है ऐसे फोड़े के केवल मुख का इलाज करके उसे ठीक नहीं किया जा सकता अपितु उसकी जड़ तक पहुँचना अत्यंत कठिन एवं विशेष आवश्यक होता है !
समाजवादी पार्टी में अकारण पनपे आपसी अविश्वास को यूँ ही नजरअंदाज करना ठीक नहीं होगा !इस तनाव को लंबा खींचना न केवल आगामी चुनावों के लिए हानिकारक होगा अपितु समाजवादी पार्टी के भविष्य के लिए भी विशेष घातक होगा ! यदि समय रहते इसके कारणों का निवारण नहीं हो सका तो अन्ना आंदोलन और आम आदमी पार्टी की तरह ही बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है समाजवादी पार्टी को !
'अ' अक्षर से प्रारंभ नामवाले अन्ना अरविन्द अग्निवेश और अमित त्रिवेदी ने अन्ना आंदोलन चौपट किया इसी प्रकार से 'अ' अक्षर से प्रारंभ नामवाले अरविन्द केजरीवाल ,आमआदमी पार्टी, आशुतोष ,अजीत झा, अलकालांबा, आशीष खेतान,अंजलीदमानियाँ ,आनंद जी, आदर्शशास्त्री,असीम अहमद इसी प्रकार से अजेश,अवतार ,अजय,अखिलेश,अनिल,अमान उल्लाह खान आदिsee more.... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_11.htmlइसी 'अ'अक्षर के मोह ने अमर सिंह जी को कहाँ कहाँ नहीं भटकाया !आप स्वयं देखिए -
यही अ अक्षर के अमर सिंह की आजम खान से नहीं पटी तो वो निकाले गए फिर अखिलेश आए तो अमर सिंह निकाले गए फिर एकमात्र अल्पसंख्यक चेहरा मानकर आजम को मुलायमसिंह जी ने सँभालकर रखा जबकि वे अपने बयानों से अखिलेश सरकार के लिए समस्याएँ रोज तैयार करते हैं खैर !दूसरी ओर इन्हीं अ अक्षर वाले अमर सिंह की अनिलअंबानी,अमिताभ बच्चन और अंत में अजित सिंह जी के साथ कैसी निभी!see more.... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2016/05/blog-post_59.html
इन्हीं सभी प्रकारों से देखा जाए तो समाजवादी पार्टी भी इस समय ऐसे ही 'अ' अक्षर वाले फोड़े से जूझ रही है ये सामान्य फोड़ा नहीं है फोड़ा है जिसका मुख जहाँ होता है सड़न उससे बहुत दूर हो रही होती है ऐसे फोड़े के केवल मुख का इलाज करके उसे ठीक नहीं किया जा सकता अपितु उसकी जड़ तक पहुँचना अत्यंत कठिन एवं विशेष आवश्यक होता है !
यहाँ शिवपाल और राम गोपाल जी जैसे लोगों के मुखों से निकल रही बातें उनकी अपनी नहीं अपितु अपनों की हैं वहाँ इन्हें समझाने से क्या होगा !यदि उनकी अपनी होतीं तो अभी तक साथ साथ कैसे रह लेते !इतने बड़े परिवार को मिलाजुला कर यहाँ तक इकट्ठे खींच लाने में परिवार के प्रत्येक सदस्य की सहनशील और सराहनीय भूमिका रही होगी !वर्तमान समय के पनपे विवाद के कारण सीधे तौर पर वो लोग नहीं हैं जो दिखाई पड़ रहे हैं जो वास्तविक कारण हैं उन्हें खोजकर उनका समाधान किया जाना बहुत आवश्यक है । अन्यथा आगामी चुनावों में न केवल पार्टी को गंभीर संकटों का सामना करना पड़ सकता है अपितु उसके बाद भी पार्टी इसी रूप में अर्थात अपने पुराने रूप में ही व्यवस्थित रह सकेगी इसकी भी संभावनाएँ और कारण तथा के निवारण अभी से खोजे जाने चाहिए !
निजी निवेदन :
आदरणीय अध्यक्ष जी यदि मुझे अपने दिल्ली प्रवास पर समय दें तो मैं मिलकर इस समस्या के विषय में शास्त्रीय समाधान जरूर निवेदन करूँगा !
मेरा नंबर - 09811226973 see more.... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_7811.html
अब पढ़िए मेरे द्वारापार्टी अध्यक्ष जी को लिखा गया पत्र -
निजी निवेदन :
आदरणीय अध्यक्ष जी यदि मुझे अपने दिल्ली प्रवास पर समय दें तो मैं मिलकर इस समस्या के विषय में शास्त्रीय समाधान जरूर निवेदन करूँगा !
मेरा नंबर - 09811226973 see more.... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_7811.html
अब पढ़िए मेरे द्वारापार्टी अध्यक्ष जी को लिखा गया पत्र -
माननीय मुलायमसिंह जी सादर नमस्कार !
विषय : समाजवादीपार्टी एवं परिवार में बढ़ा तनाव कम करने के लिए 'नामविज्ञान’ की विनम्र सलाह !
महोदय,
यदि आप अपनी पार्टी को इसी रूप में बचा कर रखना चाहते हैं और चाहते हैं कि पूरा परिवार पहले की तरह ही आपके साथ जुड़कर प्रेम पूर्वक चलता रहे तो आपको निर्णायक भूमिका में स्वयं ही रहना होगा और दिखना भी होगा !जब कोई जिम्मेदारी किसी को देनी जरूरी भी लगे तो किसी ऐसे व्यक्ति को दीजिए जिसका नाम 'अ' अक्षर से प्रारंभ न होता हो !
यदि आपको ऐसा नहीं करना है और अखिलेश को ही आगे बढ़ाना और उन्हीं को सक्षम बनाना है तो आपको 'अ' अक्षर से प्रारंभ नाम वाले लोगों एवं उनसे संबंधित सदस्यों की बातें सलाहें सुझाव सुनने मानने बिल्कुल बंद करने होंगे और केवल 'अ'खिलेश की आँखों से ही देखनी होगी पार्टी और उन्हीं के निर्णयों पर मोहर लगानी होगी क्योंकि 'अ' अक्षर से प्रारंभ नाम वाले किसी भी व्यक्ति को न तो 'अ'खिलेश पचा पाएँगे और न वो लोग ही 'अ'खिलेश को पचा पाएँगे !इन लोगों को जहाँ जब जैसा और जितना मौका मिलेगा वो एक दूसरे के लिए गड्ढे खोदते और दूसरों से भी खोदवाते रहेंगे जहाँ जब जिसको जो अवसर मिलेगा एक दूसरे को काटने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा , भले वो 'अ'खिलेश ही क्यों न हों !
हमारी बातों पर बिचार करते समय आपको यह भी ध्यान रखना होगा जिन सगे संबंधियों के बेटा बेटी बहुओं को आपने अपने साथ राजनीति में सक्रिय किया है उनमें काफी बड़ी संख्या है 'अ' अक्षर से प्रारंभ नाम वाले नेताओं की वो आपका शासन तो सह सकते हैं किंतु 'अ'खिलेश' का नहीं ! यदि वो लोग अपने छोटे कद के कारण सीधे तौर पर 'अ'खिलेश को पीछे करने में न भी सफल हों तो भी वो इसके लिए दूसरे लोगों को प्रेरित करते रहेंगे जैसे -राम गोपाल जी हों या शिवपाल जी हों इनके बच्चों के नाम 'अ' अक्षर से प्रारंभ होते हैं -
'आ'दित्य' यादव उर्फ 'अंकुर' यादव शिवपाल यादव के बेटे हैं और 'अनुभा' यादव उनकी बेटी है ये यदि ये राजनीति में न भी सक्रिय होते तो भी 'अ'खिलेश के विरोधी होते ही शिवपाल जी अपने बच्चों की भावना को नजर अंदाज कैसे कर सकेंगे !
यही हाल 'रामगोपालजी का है उनके बेटे 'अ'क्षय' यादव और भांजे 'अ'रविंद' यादव के नाम भी तो 'अ' अक्षर से ही प्रारंभ होते हैं इसलिए 'अ'क्षय' यादव और 'अ'रविंद' यादव की भी आपस में नहीं बनेगी किंतु 'अ'खिलेश का विरोध करने के लिए दोनों एक साथ खड़े होंगे ! 'रामगोपालजी' को भी उनकी इस भावना के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से काम करना होगा । रामगोपाल जी के बिचार इन दोनों 'अ' अक्षर वालों से प्रभावित होने के कारण ही तो वो 'अ'मर सिंह को नहीं पचा पा रहे हैं क्योंकि 'अ'मर सिंह जी भी तो 'अ' अक्षर वाले ही हैं ऐसे में वो 'अ'खिलेश' को कैसे पचा पाएँगे ?
इसी प्रकार से''अ'भिषेक' उर्फ ''अ'शुल' राजपाल यादव जी के बेटे हैं ''अ'नुराग यादव' जी धर्मेंद्र यादव के छोटे भाई हैं ''अ'पर्णा'यादव हैं आपकी पुत्र बधू हैं और इन सबके नाम भी तो 'अ' अक्षर से ही प्रारंभ होते हैं इनमें हर किसी को आप 'अ'खिलेश विरोधी समझिए और आपस में भी ये सारे 'अ' अक्षर वाले एक दूसरे की जड़ें काटते रहेंगे यह भी मानकर चलिए !
पार्टी पदाधिकारियों में भी यही हाल है - 'आ'जमखान और उनके बच्चे 'अ'दीब और 'अ'ब्दुल्लाह ये सभी 'अ' अक्षर वाले होने के कारण इनकी पटरी आपस में खाए न खाए किंतु 'अ'खिलेश और 'अ'मरसिंह का विरोध करने के लिए ये तीनों एक होंगे !
'अ'मरसिंह जी भी 'अ' अक्षर वाले हैं इसीलिए भाई 'अ'रविंद सिंह के साथ संबंध नहीं निभा सके तो 'अ'खिलेश' जैसे अन्य लोगों के साथ कैसे निभेंगे ! 'अ'खिलेश' के कारण ही तो चले गए थे फिर 'अ' अक्षर वाले 'अ'मिताभ बच्चन 'अ'भिषेक बच्चन ,'अ'निल अंबानी ,'अ'जीत सिंह आदि से निपटते निपटाते अब पहुँचे हैं 'अ'खिलेश से निपटने ! वहाँ जहाँ से जिन कारणों से निकाले गए थे वे कारण वैसे ही हैं ऐसे में ये 'अ'खिलेश को निपटाने में कोई कोर कसर क्यों छोड़ देंगे ?
'अ'मर सिंह - 'आ'जम खान - 'अ'फजलअंसारी ,डा. 'अ'शोक वाजपेयी, 'अ'म्बिका चौधरी, 'अ'बुआजमी रहे बचे 'आ'शु मलिक जैसे 'अ' अक्षर वाले सभी लोगों से आपके 'अ'खिलेश अकेले कैसे जूझ पाएँगे इसलिए आप 'अ'खिलेश का स्थान स्वयं ग्रहण कीजिए हमारे नाम विज्ञान की दृष्टि से आपको चुनौती देने वाला आपकी पार्टी में कोई नहीं है !इसके अलावा समाजवादी पार्टी को टूटने से बचाने के लिए दूसरा कोई विकल्प है ही नहीं !
हे नेता जी ! बड़प्पन का उपयोग करके आप इस टूट को केवल कुछ दिनों के लिए टाल तो सकते हैं किंतु कुछ वर्षों के लिए नहीं ।उसके लिए या तो 'अ'खिलेश को निर्णायक भूमिका से हटाना होगा या फिर बाक़ी सभी 'अ' अक्षर वाले नेताओं की बातों विचारों की उपेक्षा करनी होगी !या फिर स्वयं कमान सँभालनी होगी इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं है ।
भवदीय :
डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
संस्थापक -राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संस्थान
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