रविवार, 30 अप्रैल 2017

भूकंप रिसर्च

  1. भारतीय वैज्ञानिकों ने ढूंढी भूकंप की भविष्यवाणी की तकनीक

हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय भू-भौतिकी अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) वैज्ञानिकों ने इसके लिए महाराष्ट्र के कोयना में जमीन के 7 किमी अंदर होने वाली हलचलों का अध्ययन शुरू किया है।वैज्ञानिकों का दावा है कि इस अध्ययन के बाद भूकंप की भविष्यवाणी भी की जा सकेगी।भूकंप के अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने डीप ड्रिलिंग विधि अपनाने का फैसला किया है।  इसमें  किमी गहराई पर फॉल्ट ज़ोन ऑब्जरवेटरी (निरीक्षण शाला) स्थापित होगी। वैज्ञानिकों ने 1.5 और 1.2 किमी गहरे दो बोरवेल बनाए हैं, ऐसे 6 बोरवेल और बनाए जाएंगे। इन बोरवेल में दो सिस्मिकमीटर भी स्थापित करेंगे !see more... http://fizikamind.in/news/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%B5%E0%A5%88%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%9E%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%A2%E0%A5%82%E0%A4%82%E0%A4%A2%E0%A5%80-%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%95%E0%A4%82%E0%A4%AA-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%AD%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%A4%E0%A4%95%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%95

 

 अधिक शक्तिशाली और विध्‍वंसक भूकंप से दहल सकता है काठमांडू : रिसर्च 

अमेरिका के नेवाडा विश्वविद्यालय के स्टीव वेस्नोस्की 20 साल से हिमालयन फ्रंटल फॉल्ट का अध्ययन कर रहे हैं.स्टीव ने भूकंप के बाद काठमांडो के आसपास भूकंप के अवशेषों के कई अध्ययन किए, खुदाई की, मिट्टियों और भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों का अध्ययन किया, और कहा कि यह प्रतीत होता है कि ये संवेदनशील फॉल्ट गोरखा भूकंप से भी ज्यादा बड़ा भूकंप ला सकते हैं'. बीते साल आए भूकंप और उसके बाद आए झटकों को पहले से भी अधिक भीषण भूकंप की चेतावनी के रूप में देखा जा सकता है, जो क्षेत्र को कहीं ज्यादा विध्वंसक प्रभावों के साथ दहला सकता है.| इस दल के निष्कर्ष दिखाते हैं कि त्रिवेणी स्थल भीषण भूकंप से पहले होने वाले तनाव के जमाव की ओर या तो बढ़ रहा है या फिर उसके अंतिम चरणों में है. यह जमीन में 15 से 30 फुट उंची दरारें डाल सकता है.स्टीव ने कहा, 'हमारे आकलन दिखाते हैं कि हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट फॉल्ट का यह क्षेत्र त्रिवेणी से बागमति तक लगभग 200 किलोमीटर का है और उसमें भी साथ के साथ दरार पैदा कर सकता है. काठमांडू के पास आने वाला अगला भीषण भूकंप गोरखा भूकंप से भी अधिक क्षेत्र में दरार पैदा कर सकता है'. यह अध्ययन अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लेटर्स नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया.https://khabar.ndtv.com/news/world/kathmandu-region-at-risk-of-larger-earthquake-study-1634710

 भूकंप की रिसर्च में सहायक होता है मेढक -

 मेढक इटली के 2009 के भूकंप से ठीक पहले वहां के एक तालाब के सारे मेढकों ने तालाब छोड़ दिया था और बाहर आ गए थे। ऐसा मेढकों ने भूकंप आने से ठीक कुछ दिन पहले किया था। इस पर इटली में रिसर्च भी किए गए थे। रिसर्च के निष्कर्ष में लिखा गया, "हो सकता है कि धरती के भीतर दबाव के कारण चट्टानों से चार्ज्ड कण निकले हों और पानी के साथ उनका रिएक्शन हो गया हो।" रिसर्च टीम को लीड करने वाले ने तब कहा था कि उनके थेसिस के आधार बायोलॉजिस्ट और जिओलॉजिस्ट्स को आगे काम करना चाहिए।seehttps://www.facebook.com/notes/hardoi-lets-unite-for-culture/4-%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%B0-%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%A4-%E0%A4%AA%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A5%87-%E0%A4%B9%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A5%87-%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A4%82-%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%95%E0%A4%82%E0%A4%AA-%E0%A4%86%E0%A4%8F%E0%A4%97%E0%A4%BE/556318831172617/

3. लाल चींटी-
 यूरोपियन जिओसाइंस यूनियन की एक सालाना मीटिंग में पेश किए गए अध्ययन के मुताबिक लाल चींटी भी भूकंप के संकेत को समझ सकती है। गैबरियल बर्बेरीच नाम के जिओ बायोलॉजिस्ट ने इसके लिए तीन सालों तक चींटी की गतिविधियों का विश्लेषण किया। उन्होंने कहा कि जब एक बार दो रिक्टर स्केल का भूकंप आया तो चींटियों की गतिविधि बदल गई। पहले चींटी रातों में बिल में ही रहती थी, लेकिन भूकंप के वक्त बाहर आ गई थी।https://www.facebook.com/notes/hardoi-lets-unite-for-culture/4-%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B5%E0%A4%B0-%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A5%87%E0%A4%A4-%E0%A4%AA%E0%A4%B9%E0%A4%B2%E0%A5%87-%E0%A4%B9%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A5%87-%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A4%82-%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%95%E0%A4%82%E0%A4%AA-%E0%A4%86%E0%A4%8F%E0%A4%97%E0%A4%BE/556318831172617/

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