सोमवार, 12 अगस्त 2019

दो शब्द


    " मौसम भविष्यवक्ताओं के द्वारा किए जाने वाले पूर्वानुमान सही निकल जाएँ तो पूर्वानुमान यदि गलत निकल जाएँ तो जलवायुपरिवर्तन !"
         सभी परिस्थितियों में दोष  मौसम और मानसून का ही दिया जाएगा |चूँकि सुयोग्य मौसमवैज्ञानिकों से की संभावना ही नहीं होती है उनका मौसम संबंधी आदेश सारा समाज मानता है सरकारें मानती हैं इसलिए प्रकृति को भी मानना चाहिए प्रकृति यदि नहीं मानती है तो जलवायु परिवर्तन !मानसून आने की जो तारीख मौसमवैज्ञानिकों के द्वारा निश्चित की जाए उस तारीख को मानसून पहुँचे तो ठीक अन्यथा जलवायुपरिवर्तन !ये कैसा आग्रह !मौसम भविष्यवक्ताओं के द्वारा भविष्यवाणियों के नाम पर वर्षा बाढ़ आँधी तूफानों के विषय में जब जो कुछ कहा जाए वैसा न हुआ तो जलवायुपरिवर्तन | 
     मौसम भविष्यवक्ताओं की मौसम से अपेक्षाएँ कुछ ऐसी लगती हैं कि वर्षा कब किस तारीख को कहाँ कितनी होगी ये सब कुछ निश्चित होना चाहिए यदि ऐसा निश्चित नहीं है इसमें प्रतिवर्ष बदलाव होते रहते हैं तो इसका मतलब जलवायु परिवर्तन ही मान लिया जाता है | 
    ऐसी सभी बातों पर ध्यान दिया जाए तो लगता है कि जलवायुपरिवर्तन जैसी कोई चीज है भी या नहीं ! कई बार लगता है कि कुछ लोगों को ऐसी आशंका ही तो नहीं है जिसका कोई आधार ही न हो!मौसम संबंधी पूर्वानुमान लगाने में असफल हो चुके मौसमभविष्यवक्ताओं की  यह केवल कल्पना मात्र ही तो नहीं है !मौसमभविष्यवक्ताओं के द्वारा की जाने वाली भविष्यवाणियों में और घटित हो रही घटनाओं में अंतराल इतना अधिक है कि गलत होने वाली भविष्यवाणियों के विषय में किसी प्रश्न का कोई जवाब ही किसी के पास नहीं है इसलिए हमारी समझ में 'जलवायुपरिवर्तन' नाम का शब्द मौसमभविष्यवक्ताओं के द्वारा की जाने वाली ऐसी भविष्यवाणियों के विषय में हर उस प्रश्न का जवाब है जो उनके द्वारा की जाने वाली मौसम संबंधी भविष्यवाणियों के गलत हो जाने के कारण पूछने के लिए उनसे किए जाते हैं !वस्तुतः झूठी निकल जाने वाली भविष्यवाणियों की संख्या इतनी अधिक होती है कि उनसे संबंधित वास्तविक प्रश्नों के बार बार बदल बदल कर काल्पनिक उत्तर देना कठिन होता है इसलिए ऐसे सभी प्रश्नों का एक मात्र उत्तर है 'जलवायुपरिवर्तन ' !इस उत्तर को सुन लेने के बाद प्रश्न करने वाले के पास मौन हो जाने के अतिरिक्त  दूसरा और कोई विकल्प बचता ही नहीं है ! इस प्रकार से 'जलवायुपरिवर्तन' के फायदे देखकर हमें ये कहने में कोई संकोच नहीं है कि  'जलवायुपरिवर्तन' शब्द इस युग के वैज्ञानिकों की सबसे बड़ी उपलब्धि है !
      'जलवायुपरिवर्तन' के क्षेत्र को इतना अधिक विस्तार दे दिया गया है कि वर्षा बाढ़ सूखा आँधी तूफ़ान आदि जितने भी प्रकार की प्राकृतिक घटनाएँ होती हैं या हो सकती हैं  उन सभी की जिम्मेदारी अब जलवायुपरिवर्तन को सौंप दी गई है ! जलवायुपरिवर्तन किसी भी प्राकृतिक घटना को कैसे भी मोड़ देने में सक्षम बताया जा रहा है !जलवायुपरिवर्तन का प्रभाव कब कहाँ कैसा पड़ेगा उसके परिणाम स्वरूप कब क्या होगा इसका चूँकि पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है इसलिए जब जब कुछ ऐसा घटित होगा जिसकी भविष्यवाणी करने में मौसम वैज्ञानिकों के द्वारा नहीं की गई होगी या उनके द्वारा की गई कोई भविष्यवाणी गलत हो जाएगी तो उसके लिए मौसम भविष्यवक्ताओं की जगह  'जलवायुपरिवर्तन' को जिम्मेदार ठहराया जाएगा |
      'जलवायुपरिवर्तन' प्राकृतिक विषयों में किए जा रहे लगभग सभी प्रकार के अनुसंधानों के लिए वह मजबूत ताला (लॉक) है जिसके बाद इन विषयों में कोई अनुसंधान किया जाए या न किया जाए उसका कोई परिणाम निकल आवे या न भी निकले तथा मौसम के विषय में कोई भविष्यवाणी की जाए न भी की जाए वो भविष्यवाणी सही निकले या पूरी तरह गलत निकल जाए ऐसी सभी बातों के लिए मौसम भविष्यवक्ताओं को किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है !इसप्रकार से 'जलवायुपरिवर्तन' मौसम भविष्यवक्ताओं या भूकंपीय अनुसंधानकर्ताओं के लिए किसी  वरदान से कम नहीं है !इन विषयों में अनुसंधान के लिए जब जो कुछ भी किया जाए उसे ही अनुसंधान समझकर प्रोत्साहित किया जाना सरकारों एवं समाज की अपनी विवशता हो सकती है |
      कोई चिकित्सक यदि ये कह दे कि मैं चिकित्सा के विषय में कुछ भी नहीं जानता हूँ शिक्षक कह दे कि मैं शिक्षा के विषय में कुछ भी नहीं जनता हूँ ऐसे जो भी व्यक्ति किसी अधिकारी कर्मचारी के रूप में सरकारों के जिन भी विभागों में कार्यरत हैं वे यदि अपने अपने कार्यों में अपने को अक्षम बता दें या किसी भी विषय की जानकारी गलत दे जाएँ तो उनकी पद प्रतिष्ठा यहाँ तक कि नौकरी भी खतरे में पड़ सकती है सरकारें उनसे पाई पाई और पल  हिसाब लेने की इच्छा रखती हैं किंतु मौसम या भूकंप संबंधी अनुसंधानों के क्षेत्र में ऐसा नहीं है इन्हें इस बात का विशेष दर्जा मिला हुआ है कि भूकंप वैज्ञानिकों के नाम से सैलरी सम्मान पद प्रतिष्ठा प्राप्त करने वाले लोग कभी भी कह सकते हैं कि हमें अपने विषय में अभी तक कुछ नहीं पता है तो भी उन पर कोई असर नहीं हो सकता है !प्राकृतिक विषयों में अनुसंधानों का इतना अधिक आभाव है कि वो लोग  उन विषयों से संबंधित कुछ आधार विहीन काल्पनिक बातें भी कहें तो भी उन्हें उस अनुसंधान का अंग मान लिया जाएगा ! प्रत्येक देश में सरकारों को यदि अपने यहाँ ऐसे मंत्रालय या विभाग चले हैं तो उन्हें किसी न किसी को उनमें रखना ही होगा और वे जो कुछ भी कहें उसे मानना भी सरकारों की एक प्रकार की मजबूरी ही है |
      प्राकृतिक घटनाओं के विषय में जो अनुसंधान किए जा रहे हैं उनका कोई विशेष सकारात्मक परिणाम न निकल पाने का सबसे बड़ा एक कारण और है कि अन्य अनुसंधानों की तरह इसमें स्पष्टता का नितांत अभाव है वैचारिक संकीर्णता बहुत अधिक है |
      प्राचीनकाल में वैदिकविज्ञान के द्वारा मौसम संबंधी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जाता था जो  आधुनिक विज्ञान की अपेक्षा काफी कम खर्चीला एवं संतोष पूर्ण पूर्वानुमान प्रदान करने में सहायक होता था !एक कारण यह भी हो सकता है कि उस युग में उन वैदिक सेवाओं से किसान संतुष्ट थे क्योंकि उस युग में किसानों के आत्म हत्या की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ घटित होते नहीं देखी जाती थीं !वर्षा का सीधा संबंध कृषि क्षेत्र से होता है कृषि में ही किसानों के प्राण बसते हैं !वर्षा संबंधी पूर्वानुमान सही न मिलने से कृषि गड़बड़ाती है फसलें या उपज नष्ट हो  जाती है उचित मूल्य नहीं मिल पता है इसलिए किसान घबड़ा जाते हैं !वैदिकविज्ञान से प्राप्त मौसम संबंधी पूर्वानुमानों से उन्हें इस प्रकार की बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ता होगा !संभवतः यही कारण होगा कि आज की अपेक्षा उन युग में किसान अधिक प्रसन्न एवं स्वस्थ रह लेते थे |
     वर्तमान समय में सरकारें उस गणितागत मौसम विज्ञान का न तो उपयोग करती हैं और न ही उसे विज्ञान माना जा रहा है !ऐसी परिस्थिति में यदि कोई वैदिक विज्ञान के आधार पर प्राकृतिक घटनाओं के विषय में अनुसंधान करता भी है और वो  होता है कम खर्चीला एवं अधिक विश्वसनीय होने के बाद भी यह उपयोगी नहीं हो पाता है !यदि सरकार उसे नहीं स्वीकार करेगी तो उस मौसम पूर्वानुमान को जनहितकारी बनाने हेतु जन जन तक पहुँचाने के लिए एक व्यक्ति या कुछ लोग मिलकर भी सक्षम नहीं हो पाते हैं |वैदिकविज्ञान से संबंधित अनुसंधान कर्ताओं की अपनी अपनी जीवनोपयोगी आवश्यकताएँ भी होती हैं जिनकी आपूर्ति व्यक्तिगत रूप से उन्हें करनी ही होती है !वैसे भी इतना बड़ा बलिदान करके प्राचीन ऋषियों की तरह इस युग में जीवन यापन करना कठिन ही नहीं अपितु असंभव भी है |
     वैदिकविज्ञान से संबंधित मौसम के विषय का कोई भी अनुसंधान लेकर यदि कोई  वैदिकवैज्ञानिक  सरकारों  के किसी भी अंग तक अपनी आवाज पहुँचाना चाहता है तो उसे उन्हीं मौसम संबंधी विभागों में संपर्क करने के लिए भेज दिया जाता है जो लोग ऐसे  विषयों को विज्ञान मानते ही नहीं हैं इसलिए वे ऐसे विषयों पर बिचार करना आवश्यक भी नहीं समझते हैं |"न करेंगे न करने देंगे" वाले स्वभाव ने प्राकृतिक विषयों के अनुसंधानों को काफी नुक्सान  पहुँचाया है ! वैदिकविज्ञान से पूर्वानुमान लगाने में वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान जैसी घटनाओं के विषय में अधिक विश्वसनीय एवं काफी पहले पूर्वानुमान लगाने में सफलता मिल जाती है !
     मौसम के क्षेत्र में जिम्मेदारी जवाबदेही का अभाव है !भूकंप वैज्ञानिक कहे जाने वाले लोगों ने अपनी बात साफ साफ कह दी है कि भूकंप से संबंधित अभीतक किसी को कोई जानकारी नहीं है!वैसे भी भूमिगत प्लेटों के टकराने या गैसों के दबाव को भूकंपों के घटित होने कारण  मानना अभी तक केवल कपोल कल्पना मात्र है !इसे सिद्धकरने लायक अभी तक कुछ भी प्राप्ति नहीं हुई है केवल अँधेरे में तीर चलाए जा रहे हैं !
      वैदिक वैज्ञानिक होने के नाते मैं  संपूर्ण जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूँ आधुनिक वैज्ञानिक एवं रिसर्च पद्धति से  लाखों वर्ष तक लगातार अनुसंधान किए जाने पर भी भूकंपों के विषय में कभी कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है |भूकंपों के विषय में पूर्वानुमान लगा पाना ये वैदिक विज्ञान के बश की भी बात नहीं है किंतु वैदिक विज्ञानं भूकंपों के रहस्य को समझने में सफल हुआ है मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है | 
      इसी प्रकार से मौसम के क्षेत्र में सूखा वर्षा बाढ़ जैसी घटनाओं के लिए जलवायुपरिवर्तन को जिम्मेदारी सौंप दी गई है !मौसम भविष्यवक्ताओं के द्वारा की जाने वाली वर्षा संबंधी भविष्यवाणियाँ यदि सही निकल जाती हैं तब तो वे पूर्वानुमान हो गए और यदि गलत निकल जाती हैं तो उसके लिए भविष्यवक्ता की भविष्यवाणी को गलत नहीं माना जाएगा अपितु इसके लिए जलवायु परिवर्तन को दोषी माना जाएगा !
      ऐसे ही मौसम भविष्यवक्ताओं के द्वारा आँधी तूफानों के विषय में की गई भविष्यवाणियाँ यदि सही हो जाएँ तब तो सबकुछ ठीक है और यदि गलत हो जाएँ तो उसके लिए ग्लोबल वार्मिंग को दोषी माना जाएगा !
     मौसम को गलत और अपने को सही सिद्ध करने के लिए अलनीना लानीना और वायुप्रदूषण आदि इतनी बातें हैं अपनी मौसम  संबंधी भविष्यवाणियों के गलत होने पर इनका कभी भी कहीं भी उपयोग कर लिया जाता है |
      
    

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