समय की शक्ति
प्राकृतिक वातावरण बनने
बिगड़ने का कारण समय होता है समय तो बनते बिगड़ते दिखाई नहीं पड़ता है प्रकृति
में होने वाले बदलाओं को देखकर ही समय के बनने बिगड़ने का अनुमान लगा लिया
जाता है |प्राकृतिक वातावरण का संतुलन जब बहुत अधिक बिगड़ने लग जाए अर्थात
शिशिर ऋतु में सर्दी बिल्कुल न पड़े या बहुत अधिक पड़े में ,ग्रीष्म ऋतु में
गर्मी की यही स्थिति रहे और वर्षाऋतु में वर्षा का भी संतुलन बहुत अधिक
बिगड़ जाए | बार बार भूकंप सुनामी जैसी घटनाएँ घटित होने लगें | वातावरण
प्रदूषित होने लगे ,घोर गर्जना के साथ बार बार बादल फटने की घटनाएँ घटित
हों ,हिंसक बज्रपात होने लगे | ऐसे ही परिवर्तन नदियों तालाबों समुद्रों
आदि में होते दिखाई देने लगें, वृक्षों बनस्पतियों आदि के स्वभाव प्रभाव
में आकस्मिक बदलाव आने लगें | ग्रहों नक्षत्रों नभ मंडल आदि के रंग रूप चाल
ढाल में अस्वाभाविक बदलाव होते दिखाई दे तो उसी के अनुशार महामारी जैसी
प्राकृतिक आपदाओं को अपने समीप आया हुआ समझना चाहिए |
प्राकृतिक वातावरण को समय चक्र से प्रभावित होना ही होता है वो इससे
प्रभावित हुए बिना बच नहीं सकता है | समय का विराट चक्र अनादि काल से
निरंतर घूमते रहता है या कभी थकता और रुकता नहीं है | इसके घूमने या रुकने
का आदि अंत किसी को पता भी नहीं है यह उसी को पता होगा जिसे समय की शुरुआत
का वह विंदु पता होगा जब समय प्रारंभ हुआ था आदि काल में समय के शुरूआती
उसी क्षण के साथ जिन प्राकृतिक घटनाओं को वे सभी भूकंप वर्षा बाढ़ आँधी
तूफ़ान महामारी आदि प्राकृतिक घटनाएँ उसी समय सूत्र में पिरोई हुई हैंउसी के
अनुसार वे सभी भूकंप वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान महामारी आदि घटनाएँ आज तक अपने
अपने समय पर घटित होती चली जा रही हैं आगे भी जब तक सृष्टि है तब तक ऐसा
ही होता चला जाएगा | ऐसी परिस्थिति में उन प्राकृतिक घटनाओं के विषय में
पूर्वानुमान लगाने के लिए या तो समय का वह आदि विंदु पता हो या फिर
वर्तमान समय घटना को देखकर उसके अनुसार दूसरी अन्य घटनाओं के विषय में
पूर्वानुमान लगाया जा सकता है |उन घटनाओं से प्राप्त सांकेतिक चिन्हों को
पकड़ते हुए उन्हीं के आधार पर भावी प्राकृतिक घटनाओं के विषय में
पूर्वानुमान लगा लिया जाता है | इन्हीं सूचनाओं को प्राचीनकाल में आकाश
वाणी कहा जाता था | प्रकृति कभी प्रत्यक्ष बोलती नहीं है |
समय की शक्ति
समय का प्रकृति पर प्रभाव
समय और प्राकृतिक घटनाएँ
भूकंप वर्षा बाढ़ आँधी तूफान आदि घटनाएँ अक्सर घटित होती रहती हैं महामारियाँ भी आते जाते देखी ही जाती हैं |
समय का प्राणियों पर प्रभाव
समय का मानव जीवन पर प्रभाव
समय तथा रोग ,महारोग और प्राकृतिक दुर्घटनाएँ
1. किसी समय विशेष पर कोई रोग महारोग आदि प्रारंभ होना या कोई हिंसक दुर्घटना घटित होना |
2.रोगों महारोगों या हिंसकदुर्घटनाओं का शिकार होकर भी उनसे प्रभावित होना या न होना,दूसरी बात उन हिंसक दुर्घटनाओं का शिकार होकर मृत्यु हो जाना,घायल हो जाना,या एक खरोंच भी न लगाना पूरी तरह सुरक्षित बचकर निकल आना आदि |
दुर्घटनाओं में एक ही प्रकार से बहुत लोग प्रभावित होते हैं किंतु उस आपदा से पीड़ित होने वालों की संख्या आपदाप्रभावित संपूर्ण पीड़ितों की अपेक्षा काफी कम होती है | पीड़ित होने वालों में भी कुछ तो सामान्य चोट चभेट खाए हुए होते हैं जो शीघ्र स्वस्थ हो जाते हैं | कुछ गंभीर चोट खाने के कारण उन्हें दीर्घ कालीन चिकित्सा का सहारा लेना पड़ता है जबकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनकी दुर्भाग्य पूर्ण मृत्यु होते देखी जाती है उसी दुर्घटना में एक जैसी परिस्थित का सामना करने वाले कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिन्हें खरोंच तक नहीं लगती अपितु वे पूरी तरह से स्वस्थ बने बचे रहते हैं |ऐसी परिस्थिति में एक समय में घटित होने वाली एक प्रकार की प्राकृतिक आपदा में एक जैसे शिकार हुए लोगों में से कुछ लोग पूरी तरह स्वस्थ बने रहते हैं जबकि कुछ लोगों की मृत्यु तक हो जाती है |
समय संबंधी अनुसंधान
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